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Articles by सोचितल डिक्सॉन

मैं तुम्हें देख सकता हूँ

जब ज़ेवियर दो वर्ष का था, वह जूते की एक छोटी दूकान के गलियारे में दौड़ लगाने लगा l तब मेरे पति, एलन ने कहा, “मैं तुम्हें देख सकता हूँ,” वह जूते के डिब्बों के पीछे छिपकर खिलखिलाता रहा l
कुछ क्षण बाद, मैंने एलन को घबराकर एक गलियारे से दूसरे में भागते देखा l वे ज़ेवियर को पुकार रहे थे l हम दोनों दौड़ कर स्टोर के सामने आ गए l हमारा बेटा अभी भी खिलखिला रहा था, और हमने उसे दूकान के सामने व्यस्त सड़क की ओर भागते देखा l

कुछ ही पलों में, एलन ने उसे गोद में उठा लिया l हमने उसे बाहों में लेकर परमेश्वर का  धन्यवाद किया l हमने सिसकते हुए अपने छोटे बेटे के गोल-मोल गालों को चूमा l एक वर्ष पूर्व ज़ेवियर के जन्म लेने से पहले मैं अपना पहला गर्भ खो चुकी थी l जब परमेश्वर ने हमें एक बेटा के रूप में आशीषित किया, मैं भयभीत माँ हो गयी l जूते की दूकान वाले अनुभव ने यह जता दिया था कि मैं हमेशा अपने बेटे पर दृष्टि रखने या उसे सुरक्षित रखने में असमर्थ हूँ l किन्तु मैंने चिंता और भय से संघर्ष करते समय अपने सर्व उपस्थित परमेश्वर पर जो मेरा सहायक और सुरक्षा देनेवाला है, भरोसा करके शांति का अनुभव किया l

हमारा स्वर्गिक पिता अपने बच्चों पर सदा अपनी दृष्टि रखता है (भजन 121:1-4) l जबकि हम परीक्षा, दुःख, या हानि को रोकने में असमर्थ हैं, हम सदा उपस्थित रहनेवाले और सुरक्षा देनेवाले परमेश्वर पर जो हमारे जीवनों पर दृष्टि रखता है, निश्चित भरोसे के साथ जीवन व्यतीत कर सकते हैं (पद.5-8) l

हम ऐसे दिनों का सामना करेंगे जब हम खुद को खोया हुआ और मजबूर महसूस करेंगे l हम खुद को सामर्थहीन भी महसूस करेंगे जब हम अपनों की सुरक्षा नहीं कर पाएंगे l किन्तु हम सर्वज्ञानी परमेश्वर पर भरोसा कर सकते हैं जो सदैव हम पर अर्थात् अपने प्रिय और अतिप्रिय बच्चों पर दृष्टि रखता है l 

जैसे विज्ञापित किया गया

छुट्टियों में, हम दोनों पति-पत्नी ने जॉर्जिया के शाताहुची नदी में रबर के बने नौका से सैर करने का फैसला किया l सैर की तैयारी में सैंडल, ग्रीष्मकालीन कपड़े, और एक चौड़ी टोपी पहनने के बाद हमनें पाया कि विज्ञापन के विपरीत हमारे सैर में थोड़ी गति से नौकायन करना भी शामिल था l यह तो भला था कि हम झागदार पानी में एक अनुभवी जोड़े के साथ नौकायन कर सके l उन्होंने मेरे पति को चप्पु चलाने की मूल बातें सिखाई और गंतव्य तक सुरक्षित पहुँचाने का वादा किया l मैं अपने जीवन रक्षक जैकेट के लिए धन्यवाद देती हूँ l नदी के निचले भाग के दलदली तट पर पहुँचने तक मैं चिल्लाती रही और नौका के प्लास्टिक हैंडल को जोर से पकड़ी रही l मैं नौका से तट पर उतरकर अपने थैले से पानी निचोड़ती रही और मेरे पति ने मेरे गीले कपड़ों को निचोड़ने में सहायता की l हम दोनों खूब खुश हुए, यद्यपि हमारा सैर विज्ञापन के विपरीत था l

उस सैर के विज्ञापन के विपरीत, जिसमें सैर के विषय ख़ास जानकारी नहीं थी, यीशु ने स्पष्ट रूप से अपने शिष्यों को बता दिया था कि भविष्य में कठिन दिन आएँगे l उसने उनसे कह दिया था कि वे सताए जाएंगे और शहीद भी होंगे और कि वह मृत्यु सहकर जी उठेगा l उसने अपनी विश्वसनीयता की गारन्टी देकर उन्हें आश्वस्त भी किया था कि वह निर्विवाद विजय और अनंत आशा की ओर उनकी अगुवाई करेगा (यूहन्ना 16:16-33) l

काश यीशु का अनुकरण करते समय जीवन सरल होता, किन्तु उसने स्पष्ट कर दिया था कि उसके शिष्य समस्याओं का सामना करेंगे l किन्तु उसने उनके साथ रहने का वादा किया है l परीक्षाएं हमारी सीमाओं को परिभाषित नहीं करेंगी, अथवा हमारे लिए परमेश्वर की योजना को नष्ट नहीं करेंगी, क्योंकि यीशु के पुनरुत्थान ने हमें अनंत विजय में पहुँचा दिया है l

सिद्ध पिता

भीड़ भरे एक स्टोर के गलियारे में खड़ी, मैं पिता दिवस का सबसे अच्छा कार्ड खोज रही थी l यद्यपि वर्षों बाद हम दोनों बाप बेटी ने एक तनावपूर्ण सम्बन्ध के बाद मेल-मिलाप कर लिया था, किन्तु मैं कभी भी अपने पिता से निकट सम्बन्ध नहीं रख पायी थी l

मेरे निकट खड़ी उस महिला ने आह भरकर उस कार्ड को फिर से उस शेल्फ में रख दिया l “वे उन लोगों के लिए कार्ड क्यों नहीं बनाते जिनका सम्बन्ध अपने पिता से ठीक नहीं है, किन्तु सही सम्बन्ध बनाने का प्रयास कर रहे हैं?”

मेरे उत्तर देने से पहले ही वह जल्दी से दूकान से बाहर चली गयी, इसलिए मैंने उसके लिए प्रार्थना किया l मैंने परमेश्वर को धन्यवाद दिया कि केवल वही सिद्ध पिता है l मैंने उससे अपने पिता से सम्बन्ध मजबूत करने के लिए सामर्थ्य मांगी l

मैं अपने स्वर्गिक पिता से गहरा सम्बन्ध रखने की भी चाहत रखती हूँ l मैं परमेश्वर की नित्य उपस्थिति, सामर्थ्य, और सुरक्षा के लिए दाऊद का भरोसा चाहती हूँ (भजन 27:1-6) l

जब दाऊद ने सहायता माँगी, वह परमेश्वर के उत्तर की आशा रखता था (पद.7-9) l यद्यपि संसार के माता-पिता अपने बच्चों को त्याग देते हैं, छोड़ देते हैं अथवा उनकी उपेक्षा करते हैं, दाऊद ने परमेश्वर की शर्तहीन स्वीकार्यता की घोषणा करता है (पद.10) l वह परमेश्वर की भलाई की निश्चितता में जीता था (पद.11-13) l हममे से कईयों की तरह, दाऊद भी संघर्ष करता था, किन्तु पवित्र आत्मा उसे भरोसा रखने और प्रभु पर निर्भरता कायम रखने में उसकी सहायता करता था (पद.14) l

अनंत के इस ओर हम सब कठिन संबंधों का सामना करेंगे l किन्तु जब लोग चूक करें, हमें छोड़ दें, उस स्थिति में भी हमारा एक मात्र सिद्ध पिता हमसे पूर्ण प्रेम करता है और सुरक्षा देता है l

शांति के साथ दृढ़ रहना

अपने संघर्षों और पुराने दर्द में परमेश्वर पर भरोसा रखते हुए जब मैं आगे बढ़ रही हूँ, छोटी से छोटी रूकावट भी क्रोधी आक्रमणकारी दुश्मन महसूस होता है l प्रथम समस्या मुझे दाहिनी ओर से दबाती है l दूसरी समस्या मुझे पीछे से धक्का देती है l तीसरी समस्या सामने से आक्रमण करती है l इन समयों में, जब मेरी ताकत क्षीण होती है और तुरन्त आराम नहीं मिलता, दौड़कर छिप जाना एक अच्छी सोच लगती है l किन्तु इसलिए कि मैं दर्द से भाग नहीं सकती, अपनी स्थिति को बदल नहीं सकती, अथवा अपनी भावनाओं को अनदेखा नहीं कर सकती, मैं धीरे-धीरे अपनी समस्या से निकलने के लिए परमेश्वर पर भरोसा करना सीख रही हूँ l

जब मुझे प्रोत्साहन, आराम, और साहस की ज़रूरत होती है, मैं भजनकारों के भजनों को प्रार्थनापूर्वक पढ़ती हूँ, जो ईमानदारी पूर्वक अपनी स्थितियों को परमेश्वर के निकट लाते हैं l मेरे एक प्रिय भजन में, दाऊद अपने बेटे, अबशालोम से भाग रहा है, जो उसका राज्य उससे छीनकर उसे मार डालना चाहता है l यद्यपि दाऊद अपनी दर्द भरी स्थिति पर विलाप करता है (भजन 3:1-2), वह परमेश्वर की सुरक्षा पर भरोसा रखकर अपनी प्रार्थना के उत्तर का इंतज़ार किया (पद.3-4) l राजा ने न अपनी नींद नहीं खोयी और न ही अनहोंनी से भयभीत हुआ, क्योंकि उसने परमेश्वर पर उसे थामने और बचाने के लिए भरोसा किया (पद.5-8) l

भौतिक और भावनात्मक पीड़ा अक्सर आक्रामक शत्रुओं के समान महसूस होते हैं l हम हार मानने के लिए प्रेरित होते हैं अथवा घबराहट में भाग जाने की इच्छा होती है जब हमें हमारे वर्तमान के संघर्ष में उसका हल दिखाई नहीं देता l किन्तु, दाऊद की तरह, हम भरोसा कर सकते हैं कि परमेश्वर हमें थामेगा और हम उसके निरंतर और प्रेमी उपस्थिति में विश्राम कर सकते हैं l

कार्य पर प्रशिक्षण

अपने बेटे के अध्यापक से विज्ञान शिविर में सहयोगी बनने के आग्रह से मैंने संकोच किया। अपने बेटे को प्रेम करने और उसकी परवरिश में परमेश्वर ने मेरी सहायता की है परंतु दूसरों के लिए वह मेरा इस्तेमाल करेंगे इसका मुझे संदेह था।

आज भी मैं नहीं समझ पाती कि परमेश्वर-एकमात्र परिपूर्ण, सिर्फ एक जो हृदयों और जीवनों को बदल सकते हैं-समय के साथ हमें भी बदल देते हैं। तब पवित्र-आत्मा याद दिलाती है कि पौलुस ने कैसे तीमुथियुस को विश्वास से उसको मिले वरदान को चमकाने के लिए कार्य-पर-प्रशिक्षण आरंभ करने को कहा (2तीमुथियुस 1:6)। जैसे तीमुथियुस लोगों की सेवा करेगा, उसे साहस मिलेगा क्योंकि उसके सामर्थ के स्रोत परमेश्वर उसकी प्रेम करने और अनुशासित रहने में उसकी मदद करेंगे (पद 7)।

मसीह हमें बचाते और सामर्थी बनाते हैं ताकि mहम अपने जीवन से उन्हें आदर दें, हमारी योग्यता के कारण नहीं वरन इसी कि हम उनके परिवार के बहुमूल्य सदस्य हैं (पद 9)।

हमारा काम है परमेश्वर तथा दूसरों से प्रेम करें। मसीह का काम है हमें बचाएं और संसार के प्रति हमारी संकरी दृष्टि से बढ़कर उद्देश्य दें। प्रतिदिन जैसे हम उनके पीछे जहाँ वे ले जाएँ वहाँ चलते हैं, तो वह उनके प्यार और सच्चाई से दूसरों को उत्साहित करने में हमारा इस्तेमाल करते हुए हमें बदल देते हैं।

केवल प्रार्थना के द्वारा

मेरी मित्र ने कैंसर के उपचार के दौरान मुझे देर रात फ़ोन किया। उसके रुदन से मेरा दिल भर आया और मैंने प्रार्थना की। हे प्रभु, मैं क्या करूं?

उसके रुदन ने मेरा दिल चीर डाला। उसकी पीड़ा को कम या उसकी स्थिति को सही या उसे प्रोत्साहित करने के लिए मैं कुछ ना कर सकी। परंतु मैं जानती थी कि कौन सहायता कर सकते हैं। प्रार्थना में मुश्किल हुई तो मैं फुसफुसाई यीशु, यीशु, यीशु।

उसका रोना सिसकियों में बदल कर धीमी सासों में थम गया। उसके पति ने बताया कि, "वह सो गई है" । "हम कल फोन करेंगे।" फोन रख कर मैंने रोते-रोते प्रार्थना की।

प्रेरित मरकुस ऐसे पिता की कहानी बताता है शैतान के चुंगल में फंसे अपने पुत्र को यीशु के पास लाया (मरकुस 9:17)। अपनी जटिल समस्या के वर्णन केk साथ उसकी प्रार्थना में संदेह था (पद 20-22)। उसने यीशु से उसके अविश्वास का उपाय करने को कहा। यीशु के नियंत्रण लेते ही पिता और पुत्र को मुक्ति और शांति मिली (पद 25-27)। 

हमारे प्रियजनों को पीड़ा हो तो स्वभाविक तौर पर हम सही करना चाहते हैं, परंतु केवल प्रभु यीशु ही हमारी सहायता कर सकते हैं। यीशु नाम पुकारने से, वे उनके सामर्थ और उपस्थिति पर विश्वास करने में हमें सक्षम बनाते हैं।

बढ़ाने वाले की महिमा

एक दिन मैंने अपने आँगन में नरगिस के फूलों को खिले देखा। मैंने न तो इन्हें बोया था, न ही खाद या पानी डाला था। मैं समझ नहीं पाया कि यह फूल क्यों और कैसे खिले।

बीज बोने के दृष्टांत में यीशु ने आध्यात्मिक परिपक्वता के रहस्य को चित्रित किया है। उन्होंने परमेश्वर के साम्राज्य की तुलना बीज बोने वाले किसान से की है (मरकुस 4:26)। यीशु ने कहा, अंकुर आप फूटता है, चाहे किसान सोए या जागे या इस बढ़ने की प्रक्रिया को समझे या नहीं। भूमि के मालिक को फसल का लाभ मिला (पद 27-29)। भले ही उस का बढ़ना इस बात पर निर्भर नहीं था कि उसे मिट्टी के नीचे हो रही गतिविधि की कितनी समझ थी। नरगिस के फूलों के समान बीजों का बढ़ना परमेश्वर के समय और सामर्थ के कारण हुआ।

चाहे वह हमारे व्यक्तिगत आध्यात्मिक विकास की या फिर यीशु के आने तक कलीसिया की बढ़ोतरी की परमेश्वर की योजना की बात हो, परमेश्वर के रहस्यमई तरीके हमारी अपनी क्षमताओं या उनके कामों की समझ पर निर्भर नहीं हैं। तोभी, परमेश्वर उन्हें जानने, उनकी सेवा करने और बढ़ाने वाले की स्तुति और अपनी आध्यात्मिक परिपक्वता के फल का लाभ उठाने के लिए हमें आमंत्रित करते हैं जिसे वे हममें और हमारे द्वारा विकसित करते हैं।

हम नहीं टूटेंगे

कैलिफ़ोर्निया में रहने के नाते मैं सर्द चीजों से दूर रहती हूँ। हालांकि, बर्फ के चित्र देखना मुझे पसंद हैं। इसलिए जब इलिनोइस से मेरी मित्र ने उसकी खिड़की के बाहर के दृश्य का चित्र भेजा तो मैं मुस्कराने लगी। पर चमकीली बर्फ़ की चादर के बोझ से झुकी शाखाओं को देखकर मेरी प्रशंसा उदासीनता में बदल गई। कोई शाख बर्फ़ का बोझ कितनी देर सह पाएगी? उस भार को देखकर मैं अपने कंधों के बारे में सोचने लगी जो चिंताओं के बोझ से झुके हुए थे।

“सर्वोतम धन सांसारिक या अस्थायी नहीं होता”, यह कह कर यीशु हमें अपनी चिंताओं का त्याग कर देने को कहते हैं। ब्रह्मांड का सृष्टिकर्ता और निर्वाहक अपने बच्चों से प्रेम करता है, और उन्हें तृप्त करता है, तो हमें चिंता करके अनमोल समय व्यर्थ करने की आवश्यकता नहीं है। परमेश्वर जानते हैं कि हमें क्या चाहिए और वही हमारी देखभाल करेंगे (मत्ती 6:19-32)। वह सर्वप्रथम हमें उनके पास आने, वर्तमान में उनकी उपस्थिति और प्रावधान पर भरोसा करने, और हर दिन विश्वास से जीने को कहते हैं (पद 33-34)।

जीवन में,  हम परेशानियों और अनिश्चितताओं का सामना करेंगे, जो हमारे कंधों को झुका सकती हैं। जब हम परमेश्वर पर भरोसा करेंगे, तो भले ही चिंता हमें झुका दे पर हमें तोड़ नहीं पाएगी।

निर्भय होकर देना

मेरा बेटा जेवियर छह साल का था, जब मेरी एक मित्र अपने शिशु के साथ हमारे यहाँ आई थी और जेवियर उसे कुछ खिलौने देना चाहता था। उसकी उदारता देखकर मैं खुश थी जब तक कि वह उसे एकदुर्लभ स्टफ़ टॉय ना देने लगा,  मेरी मित्र ने विनम्रता से मना किया तो उसने कहा, "बाँटने के लिए मेरे डैडी मुझे बहुत खिलौने देते हैं।" उदारता से देने की बात उसने मुझ से सीखी थी,  पर मैंने प्रायः अपनी वस्तुओं को परमेश्वर और अन्य लोगों से छिपा कर रखने की कोशिश की है। परन्तु मेरा स्वर्गीय पिता मुझे सब कुछ देता है इसे स्मरण करके बाँटना आसान हो जाता है।

 

इस्राएलियों को जो परमेश्वर ने उन्हें दिया था उसका एक भाग लेवी याजकों को देने, और उन पर भरोसा करने का आदेश मिला था, जो दूसरों की आवश्यकतानुसार मदद करेंगे। जब लोगों ने मना किया, तो मलाकी नबी ने कहा कि वे परमेश्वर को लूट रहे थे (मलाकी 3:8–9)। यदि वे यह दिखाते हुए, कि उन्हें परमेश्वर के प्रबन्ध और सुरक्षा पर भरोसा है, स्वेच्छा से देंगे (10–11) तब सारी जातियां उन्हें परमेश्वर के धन्य लोग बुलाएंगी (12)।

स्वेच्छापूर्ण और निडर दान, हमारे प्यारे पिता की देखभाल में हमारे आत्मविश्वास को दिखाता है-जो एक महान दानी हैं।