एक दिन मैंने अपने आँगन में नरगिस के फूलों को खिले देखा। मैंने न तो इन्हें बोया था, न ही खाद या पानी डाला था। मैं समझ नहीं पाया कि यह फूल क्यों और कैसे खिले।

बीज बोने के दृष्टांत में यीशु ने आध्यात्मिक परिपक्वता के रहस्य को चित्रित किया है। उन्होंने परमेश्वर के साम्राज्य की तुलना बीज बोने वाले किसान से की है (मरकुस 4:26)। यीशु ने कहा, अंकुर आप फूटता है, चाहे किसान सोए या जागे या इस बढ़ने की प्रक्रिया को समझे या नहीं। भूमि के मालिक को फसल का लाभ मिला (पद 27-29)। भले ही उस का बढ़ना इस बात पर निर्भर नहीं था कि उसे मिट्टी के नीचे हो रही गतिविधि की कितनी समझ थी। नरगिस के फूलों के समान बीजों का बढ़ना परमेश्वर के समय और सामर्थ के कारण हुआ।

चाहे वह हमारे व्यक्तिगत आध्यात्मिक विकास की या फिर यीशु के आने तक कलीसिया की बढ़ोतरी की परमेश्वर की योजना की बात हो, परमेश्वर के रहस्यमई तरीके हमारी अपनी क्षमताओं या उनके कामों की समझ पर निर्भर नहीं हैं। तोभी, परमेश्वर उन्हें जानने, उनकी सेवा करने और बढ़ाने वाले की स्तुति और अपनी आध्यात्मिक परिपक्वता के फल का लाभ उठाने के लिए हमें आमंत्रित करते हैं जिसे वे हममें और हमारे द्वारा विकसित करते हैं।