वित्तीय सलाह पर अधिकांश पुस्तकों में मैंने एक रोचक विचारधारा देखी है, कि आज खर्चे कम करो कल करोड़पति बनो। एक पुस्तक का भिन्न दृष्टिकोण था, समृद्ध जीवन जीना हो तो सादगी से जिओ। यदि आनन्द अनुभव करने के लिए आपको अधिक फैंसी सामान चाहिए, तो “आप जीने के मुख्य मुद्दे से चूक गए हैं”।

इस व्यावहारिक ज्ञान से यीशु की प्रतिक्रिया याद आती है जब किसी ने उनसे उसके भाई से सम्पति बाँटने को कहा। “जीवन सम्पति की बहुतायत से नहीं होता” कहते हुए यीशु ने “हर प्रकार के लोभ” से बचने की चेतावनी दी (लूका 12:14-15)। उन्होंने बताया कि सुखी जीवन के लालच में एक धनवान ने फ़सल भंडार में रखने की योजना बनाई-पहली सदी की रिटायरमेंट प्लानिंग-जिसका कटु परिणाम हुआ। सम्पति ने उसे सुख न दिया क्योंकि उसी रात उसकी मृत्यु हो गई (पद 16-20 )।

यीशु के शब्द हमें अपनी मंशा जाँचने की प्रेरणा देते है। हमारा हृदय परमेश्वर के राज्य की खोज में-उन्हें जानने में और दूसरों की सेवा करने में लगना चाहिए न कि भविष्य सुरक्षित करने में (पद 29-31)। जब हम यीशु के लिए जिएँ और उनका सन्देश निसंकोच दूसरों से बांटें, तो हम उनके साथ सुखी जीवन जी सकते हैं अभी -ऐसे राज्य में जो हमारे जीवन को अर्थ देता है (पद 32-36)।