Our Authors

सब कुछ देखें

Articles by सोचितल डिक्सॉन

हमेशा बाँटने योग्य

यीशु में विश्वासी होने के बाद मैंने अपने माँ के साथ सुसमाचार बाँटा। यीशु पर भरोसा करने का निर्णय लेने के बदले, जैसा मैंने सोचा था, उसने  मुझ से एक साल तक बात करना बंद कर दी। यीशु का अनुसरण करने का दावा करने वाले लोगों के साथ उसके बुरे अनुभवों ने उसे मसीह में अविश्वासी बना दिया। मैंने उसके लिए प्रार्थना की और सप्ताह में एक बार मैं उनके पास जाता था। पवित्र आत्मा ने मुझे दिलासा दी और मेरे दिल पर काम करना जारी रखा क्योंकि मेरी माँ ने चुप्पी साध ली थी। जब उसने आखिरकार मेरे फोन कॉल का जवाब दिया, तो मुझे जब भी मौका मिलता उसे उसके लिये अपने प्रेम के लिये प्रतिबद्धता दिखाता और  परमेश्वर की सच्चाई के बारे में  बताता। हमारे सुलह के महीनों बाद, उसने कहा कि मैं बदल गई हूँ। लगभग एक साल बाद उसने यीशु को अपने उद्धारकर्ता के रूप में ग्रहण किया, और इसके परिणामस्वरूपए हमारा रिश्ता गहरा हुआ।   

यीशु में विश्वासियों को मानवता को दिए गए सबसे महान उपहार तक पहुंच है और वह उपहार है मसीह। प्रेरित पौलुस कहता है कि “में उसके ज्ञान की सुगन्ध हर जगह फैलानी है” (2कुरिन्थियों 2रू14)। वह उन लोगों को संदर्भित करता है जो सुसमाचार को मसीह की सुखद सुगंध के रूप में साझा करते हैं, जो विश्वास करते हैं, लेकिन मानते हैं कि जो यीशु को अस्वीकार करते हैं उनके लिये मृत्यु की गन्ध हैं। (पद् 15.16)

जब हम मसीह को अपने उद्धारकर्ता के रूप में ग्रहण करते हैं, तो हमें पृथ्वी पर अपने सीमित समय का उपयोग दूसरों से प्रेम करते हुए उसके जीवन–परिवर्तनकारी सत्य को फैलाने के लिए सौभाग्य प्राप्त होता है। हमारे सबसे कठिन और अकेले क्षणों में भी हम भरोसा कर सकते हैं कि वह हमें वह प्रदान करेगा जिसकी हमें आवश्यकता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि व्यक्तिगत कीमत क्या है, परमेश्वर का सुसमाचार हमेशा साझा करने लायक है।

प्रेम जोखिम के लायक है

जब मेरे एक मित्र ने हमारी दस साल पुरानी दोस्ती बिना कोई कारण बताएं तोड़ दी, तो मैं लोगों से दूरी बनाने की अपनी पुरानी आदत में पुनः लौट गया l अपने दुख से संघर्ष करते हुए, मैंने अपनी अलमारी से सी.एस.लिउईस की लिखी किताब द फोर लव्ज़(The Four Loves) निकाली l लिउईस ध्यान देता है कि प्रेम अतिसंवेदनशीलता की मांग करता है l वह कहता है कि जब कोई प्रेम करने का जोखिम उठाता है तो “कोई सुरक्षित निवेश नहीं” होता है l वह सलाह देता है कि “किसी चीज़ से” प्रेम करने का “[भावी परिणाम] हृदय का अत्यधिक दुखित होना/निचोड़ा जाना और संभवतः टूटना है l” उन शब्दों को पढ़ने से उस वृतांत को पढ़ने का मेरा दृष्टिकोण बदल गया कि किस प्रकार पतरस का यीशु का एक बार नहीं बल्कि तीन बार इनकार करने के बाद, यीशु अपने पुनरुत्थान के बाद अपने शिष्यों के समक्ष एक बार नहीं बल्कि तीन बार प्रकट होता है (यूहन्ना 21:1-14) l

यीशु ने कहा “हे शमौन, यूहन्ना के पुत्र, क्या तू इन से बढ़कर मुझसे प्रेम रखता है?” (21:15)।

धोखा और अस्वीकृति के डंक के अनुभव के बाद, यीशु ने पतरस से भय के जगह साहस, निर्बलता की जगह सामर्थ्य, निराशा की जगह निःस्वार्थता से बात की l अपने प्रेम करने की इच्छा की पुष्टि के द्वारा उसने क्रोध की जगह करुणा को प्रदर्शित किया।

पवित्रशास्त्र प्रगट करता कि पतरस आहत हुआ क्योंकि यीशु ने उससे तीसरी बार पूछा, “क्या तू मुझसे प्रीति रखता है?” (पद.17) l लेकिन जब यीशु ने पतरस से दूसरों से प्रेम(पद. 15-17)   एवं उसका अनुसरण करके (पद.19) अपना प्रेम प्रमाणित करने को कहा, तो उसने अपने सभी शिष्यों से बिना किसी शर्त के प्रेम का जोखिम उठाने को आमंत्रित किया l हममें से प्रत्येक को उत्तर देना होगा जब यीशु पूछेगा, “क्या तुम मुझसे प्रीति रखते हो?” हमारा उत्तर असर डालेगा कि हम दूसरों से किस तरह प्रेम करते हैं l

परमेश्वर का महान प्रेम

जब मेरे एक मित्र ने मुझसे पवित्रता को प्रोत्साहित करने वाले एक कार्यशाला में किशोरावस्था की लड़कियों को संबोधित करने को कहा, तो मैंने मना कर दिया‌। एक भाग खड़े हुए किशोर के रूप में, मैंने संघर्ष किया था और मेरी अनैतिकता के कारण दशकों तक के घाव के निशान थे l  शादी के बाद अपने पहले बच्चे को गर्भपात के कारण खो देने के कारण मैंने सोचा कि परमेश्वर मेरे बीते हुए पापों के कारण मुझे दंड दे रहा है। अनन्तः जब मैंने 30 वर्ष की आयु में अपना जीवन मसीह को समर्पित कर दिया, मैंने अपने पापों का अंगीकार किया और पश्चाताप किया . . . बार-बार l अभी भी, दोष भावना और शर्मिंदगी मुझे खाए जा रही थी। मैं परमेश्वर के अनुग्रह के विषय कैसे बता सकता था जब कि मैंने उसके उस महान अनुग्रह के दान को पूरी तरह अपने जीवन में अनुभव नहीं किया था? धन्यवाद हो, समय के साथ, अपने पापों से मन फिराने से पूर्व जो मैं था परमेश्वर ने उन झूठों को समाप्त कर दिया जो मुझे जकड़े हुए थे l उसके अनुग्रह से, अंततः मैंने परमेश्वर के क्षमा को प्राप्त किया जो वह मुझे प्रारंभ से देना चाहता था।

परमेश्वर हमारी परेशानियों से उत्पन्न विलापों और हमारे बीते पापों के परिणाम को समझता है। हालाँकि, वह अपने लोगों को निराशा पर विजय पाने, अपने पापों से मन फिराने, और उसके महान “प्रेम,” “तरस,” और “विश्वासयोग्यता” (विलापगीत 3:19-23) की आशा में ऊपर उठने की शक्ति देता है l परमेश्वर का वचन कहता है कि परमेश्वर स्वयं हमारा “भाग है”─हमारी आशा और उद्धार है─और हम उसकी अच्छाइयों पर भरोसा रखना सीख सकते हैं (पद 24-26)।

हमारा करुणामय पिता उसकी प्रतिज्ञाओं पर भरोसा करने में हमारी सहायता करता है l जब हम उसके महान प्रेम को अपने लिए भरपुरी के साथ स्वीकारते हैं तब हम उसके अनुग्रह का सुसमाचार फैला सकते हैं l

परमेश्वर कहाँ है?

वाल्डो कहाँ है? नामक बच्चों की प्रसिद्ध पुस्तक श्रृंखला में  पकड़ में ना आने वाला एक व्यक्ति एक लाल और सफेद धारीदार शर्ट और मोज़े के साथ मेचिंग टोपी, नीली जींस, भूरे रंग के जूते और चश्मा पहनता है। सचित्र बनाने वाले ने दुनिया भर के विभिन्न स्थानों पर पात्रों की भीड़ से भरे व्यस्त चित्रों के भीतर बड़ी चतुराई से वाल्डो को सादे दृष्टि से छिपा दिया। वाल्डो को देखना हमेशा आसान नहीं होता, लेकिन उसका सिरजनहार वादा करता है कि पाठक हमेशा उसे ढूंढ पाएंगे। यद्यपि परमेश्वर को खोजना वास्तव में पहेली पुस्तक में वाल्डो की तलाश करने जैसा नहीं है, किन्तु हमारा सिरजनहार वादा करता है कि हम उसे भी ढूंढ सकते हैं।

भविष्यद्वक्ता यिर्मयाह के द्वारा, परमेश्वर ने अपने लोगों को निर्वासन में परदेशियों के रूप में रहने का निर्देश दिया (यिर्मयाह 29:4-9)। उसने तब तक उनकी रक्षा करने की प्रतिज्ञा की जब तक कि वह उन्हें अपनी सिद्ध योजना के अनुसार पुनर्स्थापित नहीं कर देता (पद. 10-11)। परमेश्वर ने इस्राएलियों को आश्वासन दिया कि उसकी प्रतिज्ञा का पूरा होना प्रार्थना में उसे पुकारने की उनकी प्रतिबद्धता को गहरा करेगी (पद. 12)।

आज, भले ही परमेश्वर ने यीशु की कहानी और आत्मा में स्वयं को प्रकट किया है, लेकिन इस दुनिया की व्यस्तता से विचलित होना आसान है। हम यह सवाल करने के लिए भी विवश हो सकते हैं कि, "परमेश्वर कहाँ हैं?" हालांकि, सभी चीजों का सृष्टिकर्ता और पालनकर्ता इस बात को घोषित करता हैं कि जो लोग उसके हैं वे हमेशा उसे पाएंगे यदि वे अपने पूरे दिल से उसे ढूंढते हैं (पद. 13-14)।

हम एक है

एक छोटे से कृषक समुदाय में समाचार तेजी से प्रसारित होते हैं। जयंत के परिवार के पास दशकों से जिस खेत का स्वामित्व था, उसे बैंक द्वारा बेचने के कई साल बाद, उन्हें पता चला कि संपत्ति बिक्री के लिए उपलब्ध होगी। काफी त्याग और बचत के बाद जयंत नीलामी में पहुंचे और करीब दो सौ स्थानीय किसानों की भीड़ में शामिल हो गए। क्या जयंत की मामूली बोली ही काफी होगी? जब नीलामीकर्ता ने ऊंची बोली लगाने का आह्वान किया तो उसने गहरी सांसें लेते हुए पहली बोली लगाई। भीड़ तब तक खामोश रही जब तक उन्होंने गैवेल की आवाज नहीं सुनी। साथी किसानों ने जयंत और उनके परिवार की जरूरतों को अपनी वित्तीय उन्नति से ऊपर रखा।

किसानों के दयालुता के बलिदान के बारे में यह कहानी दर्शाती है कि कैसे प्रेरित पौलुस ने मसीह के अनुयायियों को जीने का आग्रह किया। पौलुस हमें चेतावनी देता है कि हम अपनी स्वार्थी अभिलाषाओं को दूसरों की आवश्यकताओं के सामने रखकर और आत्म-संरक्षण के लिए हाथ-पांव मार कर, "इस संसार के स्वरूप" (रोमियों 12:2) के अनुरूप न हों। इसके बजाय, जब हम दूसरों की सेवा करते हैं तो हम अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए परमेश्वर पर भरोसा कर सकते हैं। जैसे-जैसे पवित्र आत्मा हमारे दिमागों को नवीनीकृत करता है, हम परमेश्वर -सम्मानित प्रेम और उद्देश्यों के साथ परिस्थितियों का जवाब दे सकते हैं। दूसरों को पहले रखने से हमें अपने बारे में बहुत अधिक सोचने से बचने में मदद मिल सकती है क्योंकि परमेश्वर हमें याद दिलाता है कि हम किसी बड़ी चीज़ का हिस्सा हैं—चर्च (v 3-4)।

पवित्र आत्मा विश्वासियों को शास्त्रों को समझने और उनका पालन करने में मदद करता है। वह हमें निस्वार्थ रूप से देने और उदारता से प्यार करने का अधिकार देता है, ताकि हम एक साथ एक साथ पनप सकें।

हम जहां भी जाएं प्रेम करें

मैं छुट्टियों के दौरान एक झील के किनारे बैठी थी, अपनी बाइबल पढ़ रही थी और अपने पति को मछली पकड़ते  देख रही थी। एक युवक ने हमसे संपर्क किया, सुझाव दिया कि हम अलग-अलग चारा का उपयोग करें। एक पैर से दूसरे पैर पर थिरकते हुए उसने मेरी ओर देखा और कहा, "मैं जेल में रहा हूँ।" उसने मेरी बाइबल की ओर इशारा किया और आह भरी, "क्या आपको लगता है कि परमेश्वर वास्तव में मेरे जैसे लोगों की परवाह करता है?"

मत्ती 25 की शुरुआत करते हुए, मैंने जोर से पढ़ा कि यीशु ने अपने अनुयायियों के बारे में बात की जो जेल में बंद थे।

"इससे लगता है? जेल में होने के बारे में?" जब मैंने साझा किया कि कैसे परमेश्वर अपने बच्चों के प्रति दया को अपने प्रति प्रेम का एक व्यक्तिगत कार्य मानता है, तो उसकी आँखों से आँसू छलक पड़े (v 31-40)।

"काश मेरे माता-पिता भी मुझे माफ कर देते।" उसने अपना सिर नीचे कर लिया। "मैं अभी वापस आऊँगा।" वह लौटा और उसने मुझे अपनी फटी-फटी बाइबल सौंप दी। "क्या आप मुझे दिखाएंगे कि उन शब्दों को कहां खोजना है?"

मैंने  सिर हिलाया। जब हमने उनके और उनके माता-पिता के लिए प्रार्थना की तो मैंने और मेरे पति ने उन्हें गले लगाया। हमने संपर्क जानकारी का आदान-प्रदान किया और उसके लिए प्रार्थना करना जारी रखा।

एक बिंदु या किसी अन्य पर, हम अप्रसन्न, अवांछित, आवश्यकता में महसूस करेंगे, और यहां तक ​​कि शारीरिक या भावनात्मक रूप से कैद भी महसूस करेंगे (v 35-36)। हमें परमेश्वर की प्रेममय करुणा और क्षमा के अनुस्मारकों की आवश्यकता होगी। हमारे पास इन भावनाओं के साथ संघर्ष करने वाले अन्य लोगों का समर्थन करने के अवसर भी होंगे। हम परमेश्वर की मुक्ति योजना का हिस्सा बन सकते हैं क्योंकि हम जहाँ भी जाते हैं उसके सत्य और प्रेम का प्रसार करते हैं।

अपने उपदेश का पालन करना

मैंने अपने बेटों के लिए बाइबल पढ़ना शुरू किया जब मेरा सबसे छोटा जेवियर बालवाड़ी में दाखिल हुआ। मैं सीखने योग्य क्षणों की तलाश करूंगी और उन पदो को साझा करूंगी जो हमारी परिस्थितियों पर लागू होंगे और उन्हें मेरे साथ प्रार्थना करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। जेवियर ने बिना कोशिश किए ही शास्त्र-वचनों को जुबानी याद कर लिया। यदि हम ऐसी स्थिति में होते जिसमें हमें ज्ञान की आवश्यकता होती, तो वह उन पदों को तपाक से कह डालता था जो परमेश्वर के सत्य पर प्रकाश डालते।

एक दिन, मैं गुस्से में आ गयी और उसके कान में, कठोरता से बोली। मेरे बेटे ने मुझे गले लगाया और कहा, "मां, आप जो मुझे उपदेश देती हैं, उसका पालन कीजिए।"

जेवियर का कोमल स्मरण प्रेरित याकूब की बुद्धिमान सलाह को प्रतिध्वनित करता है जब उसने विभिन्न देशों में बिखरे हुए यीशु में यहूदी विश्वासियों को संबोधित किया (याकूब 1:1)। विभिन्न तरीकों पर प्रकाश डालते हुए कि पाप मसीह के लिए हमारी गवाही में हस्तक्षेप कर सकता है, याकूब ने उन्हें "उस वचन को नम्रता से ग्रहण [करने]” के लिए प्रोत्साहित किया जो “हृदय में बोया गया [था]” (पद 21)। सुनने के द्वारा लेकिन पवित्रशास्त्र का पालन न करने से, हम उन लोगों की तरह हैं जो आईने में देखते हैं और भूल जाते हैं कि हम कैसे दिखते हैं (पद 23-24)। हम उस विशेषाधिकार की दृष्टि खो सकते हैं जो हमें मसीह के लहू के द्वारा परमेश्वर के साथ सही बनाए गए प्रतिरूप के रूप में दिया गया है।

यीशु में विश्वासियों को सुसमाचार साझा करने की आज्ञा दी गई है। पवित्र आत्मा हमें बेहतर प्रतिनिधि और इसलिए सुसमाचार के संदेशवाहक बनने के लिए सशक्त करते हुए हमें बदलता है। चूँकि हमारी प्रेमपूर्ण आज्ञाकारिता हमें परमेश्वर के सत्य और प्रेम के प्रकाश को प्रतिबिंबित करने में मदद करती है, जहाँ भी वह हमें भेजता है, हम जो प्रचार करते हैं उसका पालन करके हम दूसरों को यीशु की ओर संकेत कर सकते हैं।

लचीला विश्वास

एक झील के उत्तरी किनारे के साथ ऊंचे टीलों ने आस-पास के घरों को हिलनेवाली रेत में डूबने के खतरे में डाल दिया। हालांकि निवासियों ने अपने घरों की सुरक्षा के प्रयासों में रेत के टीले को हटाने की कोशिश की, लेकिन वे असहाय रूप से देखते रहे जब उनकी आंखों के ठीक सामने मजबूत घर बालू में दब गए l एक स्थानीय अधीकारी ने हाल ही में नष्ट हुए छोटे मकान के मलबे की सफाई का निरीक्षण किया, उन्होंने पुष्टि की कि इस प्रक्रिया को रोका नहीं जा सकता था। घर के मालिकों ने इन अस्थिर तटबंधों के खतरों से बचने की कितनी भी कोशिश की हो,  टीले केवल एक मजबूत बुनियादी सहारा प्रदान नहीं कर सके।

यीशु रेत पर घर बनाने की व्यर्थता जानते थे। चेलों को झूठे भविष्यद्वक्ताओं से सावधान रहने की चेतावनी देने के बाद, उसने उन्हें आश्वासन दिया कि प्रेमपूर्ण आज्ञाकारिता ज्ञान को प्रदर्शित करती है (मत्ती 7:15-23)। उसने कहा कि हर कोई जो उसके वचनों को सुनता है और उन्हें "मानता है, वह उस बुद्धिमान मनुष्य के समान ठहरेगा जिसने अपने घर चट्टान पर बनाया” (पद 24)। जो कोई परमेश्वर के वचनों को सुनता है और उन्हें व्यवहार में नहीं लाने का चुनाव करता है, वह हालाँकि "उस निर्बुद्धि मनुष्य के समान ठहरेगा जिसने अपने घर बालू पर बनाया" (पद 26)।

जब परिस्थितियाँ रेत के समान महसूस होती है जो  हमें क्लेश या चिंताओं के बोझ तले दफ़न कर रही है, तो हम अपनी आशा को अपनी चट्टान, मसीह, में रख सकते हैं। वह हमें अपने अपरिवर्तनीय चरित्र की अडिग नींव पर निर्मित लचीला विश्वास विकसित करने में मदद करेगा।

परमेश्वर के बच्चे

एस्तेर अपनी गंभीर रूप से विकलांग बेटी के साथ कपड़ों की दुकान में गई। काउंटर के पीछे का आदमी उन्हें घूरता रहा, उसकी आँखों ने बच्चे की उपस्थिति पर अपना मौन विरोध व्यक्त किया - कारण, वह ऑटिस्टिक/स्वलीन बच्ची (दिमागी विकलांगता) थी।

ये कठोर निगाहें एस्तेर से भली-भांति परिचित थीं, अपने करीबी परिवार और दोस्तों से भी अपने बच्चे के कारण उसने जो क्रोध और दिल के दर्द का अनुभव किया था, वह सब इसलिए कि वे नियमित रूढ़ियों के अनुकूल नहीं थे, उसने उसे एक माँ से कम महसूस कराया। क्लर्क की ओर देखते हुए और अपनी बेटी को अपने पास खींचकर उसने अपनी खरीदारी पूरी की और वापस कार की ओर चल दी।

जैसे ही वे अपने वाहन में बैठे, उसने चुपचाप अपनी कड़वाहट के लिए दोषी महसूस किया और परमेश्वर से उन लोगों के प्रति क्षमा की भावना मांगी, जो अक्सर उनकी बेटी की विकलांगता के आधार पर उनका न्याय करते थे। उसने परमेश्वर से माँ के रूप में अनुभव की गई बेकार की भावनाओं को दूर करने में उसकी मदद करने के लिए कहा, और उसने परमेश्वर से परमेश्वर की प्यारी बेटी के रूप में अपनी असली पहचान को अपनाने में मदद करने के लिए कहा।

प्रेरित पौलुस ने घोषणा की कि यीशु में विश्वासी “विश्वास के द्वारा परमेश्वर की सब सन्तान” हैं, समान रूप से मूल्यवान और खूबसूरती से विविध। हम घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए हैं और जानबूझकर एक साथ काम करने के लिए रचे गए हैं (गलातियों 3:26-29)। जब परमेश्वर ने हमें छुड़ाने के लिए अपने पुत्र को भेजा, तो हम अपने पापों की क्षमा के लिए क्रूस पर बहाए गए उसके लहू के द्वारा परिवार बन गए (4:4–7)।  परमेश्वर के प्रतिरूप के रूप में, हमारा मूल्य दूसरों की राय, अपेक्षाओं या पूर्वविचारों से निर्धारित नहीं किया जा सकता है।

हम क्या हैं? हम परमेश्वर के बच्चे हैं।