सही पहचान
जब मेरी सहेली ने मेरे द्वारा खींची गई तस्वीरों की समीक्षा की, तो उसने उन शारीरिक विशेषताओं की ओर इशारा किया, जिन्हें उन्होंने खामियों के रूप में देखा था। मैंने उसे करीब से देखने के लिए कहा। "मैं राजाओं के सर्वशक्तिमान राजा की एक सुंदर और प्यारी बेटी को देखती हूँ," मैंने कहा। "मैं परमेश्वर और अन्य लोगों के एक दयालु प्रेमी को देखती हूं, जिनकी वास्तविक दया, उदारता और विश्वास ने इतने सारे जीवन में बदलाव किया है।" जब मैंने उसकी आँखों में आँसुओं को देखा, तो मैंने कहा, "मुझे लगता है कि आपको एक ताज चाहिए!" उस दोपहर बाद में, हमने अपने दोस्त के लिए एकदम सही ताज चुना ताकि वह अपनी असली पहचान कभी न भूलें।
जब हम यीशु को व्यक्तिगत रूप से जानते हैं, तो वह हमें प्रेम से ताज पहनाता है और हमें अपनी सन्तान कहता है (1 यूहन्ना 3:1)। वह हमें विश्वास में दृढ़ रहने की शक्ति देता है ताकि "हमें हिवाव हो, और हम उसके आने पर उसके सामने लज्जित न हों” (2:28)। यद्यपि वह हमें वैसे ही स्वीकार करता है जैसे हम हैं, उसका प्रेम हमें शुद्ध करता है और हमें उसकी समानता में बदल देता है (3:2–3)। वह हमें उसके लिए हमारी आवश्यकता को पहचानने और पश्चाताप करने में मदद करता है जब हम पाप से दूर होने की शक्ति में आनन्दित होते हैं (पद 7–9)। हम विश्वासयोग्य आज्ञाकारिता और प्रेम में रह सकते हैं (पद 10), उसके सत्य को अपने हृदयों में छिपाकर और उसकी आत्मा को अपने जीवनों में उपस्थित जानकर l
मेरे दोस्त को उस दिन वास्तव में एक ताज या किसी अन्य हलके गहने की आवश्यकता नहीं थी। लेकिन हम दोनों को परमेश्वर के प्रिय बच्चों के रूप में अपने मूल्य की याद दिलाने की आवश्यकता थी।
आशा साझा करना
जबी शांति ने साझा किया कि कैसे ईश्वर ने उसकी पहचान को उसके प्यारे बच्चे के रूप में स्वीकार करने में मदद की, उसने हमारी बातचीत में पवित्रशास्त्र को चुना । मैं मुश्किल से यह पता लगा सकी कि हाई स्कूल के छात्रा ने अपनी बातें कहना बंद कर दिया और ईश्वर के शब्दों को उद्धृत करना शुरू कर दिया । जब मैंने उसे चलती-फिरती बाइबल की तरह चलने के लिए सराहा, तो उसकी भौं में शिकन आ गई । वह जानबूझकर पवित्रशास्त्र के पदों को कहती नहीं थी । बाइबल के दैनिक पठन के द्वारा, इसमें पायी जाने वाली बुद्धिमत्ता शांति की रोजमर्रा की शब्दावली का एक हिस्सा बन गए थे । उसने ईश्वर की निरंतर उपस्थिति में ख़ुशी जताई और अपने सत्य को दूसरों के साथ साझा करने के लिए हर अवसर का आनंद लिया । लेकिन शांति पहली ऐसी युवती नहीं है जिसका उपयोग ईश्वर ने दूसरों को प्रार्थनापूर्वक, पढ़ने, याद करने और पवित्रशास्त्र को लागू करने के लिए प्रेरित करने के लिए किया है ।
जब प्रेरित पौलुस ने तीमुथियुस को नेतृत्व में कदम रखने के लिए प्रोत्साहित किया, तो उसने इस जवान में भरोसा दर्शाया (1 तीमुथियुस 4:11,16) । पौलुस ने स्वीकार किया कि तीमुथियुस बचपन से ही पवित्रशास्त्र में जड़वत था (1 तीमुथियुस 3:15) । पौलुस की तरह, तीमुथियुस को संदेह का सामना करना पड़ा । फिर भी, दोनों लोग ऐसे जीवन जीये जैसे कि वे विश्वास करते थे कि “सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र “परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है ।” उन्होंने माना कि पवित्रशास्त्र “उपदेश, समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिए लाभदायक है, ताकि परमेश्वर का जन सिद्ध बने, और हर एक भले काम के लिए तत्पर हो जाए” (2 तीमुथियुस 3:16-17) ।
जब हम परमेश्वर की बुद्धि को अपने हृदयों में छिपा लेते हैं, तो उसका सत्य और प्रेम स्वाभाविक रूप से हमारी बातचीत में प्रवाहित होता है । हम जहाँ भी जाते हैं ईश्वर की अनंत आशा को साझा करते हुए चलने वाली बाइबल की तरह हो सकते हैं ।
सेवा करने के लिए जीवित
दस वर्षीय चेल्सिया को एक बड़ा कला सेट मिलने के बाद, उसने महसूस किया कि जब वह दुखी होती थी तो परमेश्वर उसे बेहतर एहसास करने में मदद करने के लिए कला का उपयोग करता था l जब उसने जाना कि कुछ बच्चों के पास कला सामग्री सरलता से उपलब्ध नहीं है, उसने उनकी मदद करना चाहा l तो जब उसके जन्मदिन की पार्टी का समय आया, उसने अपने मित्रों से उसके लिए उपहार लाने के लिए मना किया l इसके बदले में, उसने उन्हें आवश्यकतामंद बच्चों की मदद करने के लिए कला सामग्री दान करने और डिब्बे बनाने के लिए आमंत्रित किया l
बाद में, उसने अपने परिवार की मदद से, चेल्सिया चैरिटी(Chelsea Charity) आरम्भ किया l उसने और लोगों से डिब्बे बनाने के लिए माँगना शुरू किया ताकि और बच्चों की मदद की जा सके l उसने समूहों को कला टिप्स भी दिये जिन्होंने उसके डिब्बे प्राप्त किये थे l एक स्थानीय अखबार द्वारा चेल्सिया का इंटरव्यू लेने के बाद, पूरी देश से लोग सामग्री दान करना आरम्भ के दिए l जबकि चेल्सिया चैरिटी अंतर्राष्ट्रीय रूप से निरंतर कला सामग्री भेजती रही है, यह युवा लड़की दर्शा रही है कि कैसे परमेश्वर हमें उपयोग कर सकता है जब हम दूसरों की सेवा करने के लिए जीने की इच्छा रखते हैं l
चेल्सिया की साझा करने की भावना/दया और इच्छा एक विश्वासयोग्य भंडारी का हृदय प्रतिबिंबित करता है l प्रेरित पतरस यीशु में सभी विश्वासियों को विश्वासयोग्य भंडारी बनने के लिए उत्साहित करता है जब वे परमेश्वर द्वारा उनको दिए गए संसाधन और वरदान को साझा करने के द्वारा “एक दूसरे से अधिक प्रेम [रखते हैं]” (1 पतरस 4:8-11) l
हमारे प्रेम के छोटे कार्य दूसरों को हमारे साथ मिलकर देने के लिए प्रेरित करते हैं l परमेश्वर हमारे साथ-साथ मिलकर सहायता देनेवालों का संगठन/जमघट तैयार कर सकता है l जब हम परमेश्वर पर निर्भर होते हैं, हम सेवा करने के लिए जीवित रहते हैं और परमेश्वर को वह महिमा दे सकते हैं जिसके वह योग्य है l
जहाँ भी हम आराधना करते हैं
तीव्र दर्द और दुर्बल करनेवाला सिरदर्द ने मुझे मेरे स्थानीय चर्च परिवार के साथ . . . फिर से आराधना में उपस्थित होने से रोक दिया l सामुदायिक आराधना की हानि से दुखी होकर मैंने एक ऑनलाइन उपदेश देखा l सबसे पहले, शिकायतों ने मेरे अनुभव को बढ़ा दिया l खराब ध्वनि और विडियो की गुणवत्ता ने मुझे विचलित कर दिया l लेकिन फिर विडियो पर एक आवाज़ ने एक परिचित गीत सुनाई l जब मैं उसे गाने लगी मेरे आँसू बहने लगे l “तू मेरा दर्शन हो, मेरे हृदय के ईश्वर, केवल तू और कोई नहीं l तू मेरा सर्वोत्तम विचार, रात या दिन में l चलते हुए या नींद में l तेरी उपस्थिति मेरा प्रकाश”(Be Thou my vision, O Lord of my heart. Naught be all else to me save that Thou art. Thou my best thought, by day or by night. Waking or sleeping, Thy presence my light) l परमेश्वर की निरंतर उपस्थिति पर केन्द्रित रहकर, मैं अपने बैठक में बैठे हुए उसकी आराधना की l
जबकि पवित्रशास्त्र सामूहिक आराधना (इब्रानियों 10:25) के महत्वपूर्ण, आवश्यक प्रकृति की पुष्टि करता है, परमेश्वर एक चर्च की इमारत की दीवारों के भीतर नहीं है l यीशु की कूएँ पर सामरी महिला के साथ बातचीत में, उसने मसीह (यूहन्ना 4:9) की सभी अपेक्षाओं को चुनौती दी l निंदा करने के बजाय, यीशु ने सच बोला और उससे प्रेम किया जब वह उस कुँए के निकट खड़ी थी (पद.10) l उसने अपनी संतान के बारे में उनके अन्तरंग और संप्रभु ज्ञान को प्रगट किया (पद.17-18) l अपने ईश्वरत्व की घोषणा करते हुए, यीशु ने घोषणा की कि पवित्र आत्मा ने परमेश्वर के लोगों के हृद्यों में से सच्ची आराधना को उत्पन्न किया, किसी ख़ास भौतिक स्थान से नहीं (पद.23-24) l
जब हम परमेश्वर कौन है, उसने क्या किया है, और सब कुछ जिसकी उसने प्रतिज्ञा की है पर केन्द्रित होते हैं, हम उसकी निरंतर उपस्थिति में आनंदित हो सकते हैं जब हम दूसरे विश्वासियों के साथ, अपने बैठक के कमरों में . . . और सभी जगह उसकी उपासना करते हैं!
परमेश्वर जानता है हम एहसास करते हैं
पूर्ण पराजित महसूस करते हुए, सिमरा अपने पुत्र की नशे से लड़ाई से अत्यंत दुखित थी l “मैं बुरा महसूस करती हूँ,” वह बोली l “क्या परमेश्वर सोचता है कि मेरे पास विश्वास नहीं है क्योंकि मैं प्रार्थना करते समय अपने आंसू नहीं रोक सकती?”
“मैं नहीं जानता कि परमेश्वर क्या सोचता है,” मैंने कहा l लेकिन मैं जानता हूँ कि वह वास्तविक भावनाओं को संभाल सकता है l यह ऐसा नहीं है कि वह हमारी भावनाओं को नहीं जानता है l” मैंने प्रार्थना की और सिमरा के साथ आंसू बहाए जब हमने उसके बेटे के छुटकारे के लिए विनती की l
बाइबल में परमेश्वर के साथ मल्लयुद्ध करते हुए अनेक लोगों का उदहारण निहित है जब वे संघर्ष कर रहे थे l भजन 42 का लेखक परमेश्वर की शांति की निरंतर और शक्तिशाली उपस्थिति का अनुभव करने के लिए गहरी इच्छा प्रगट करता है l उसने जो दुःख सहा उसके लिए अपने आँसू और उदासी को स्वीकार करता है l जब वह खुद को परमेश्वर की विश्वासयोग्यता का याद दिलाता है, उसका आंतरिक उथल-पुथल, कम होता है और भरोसेमंद प्रशंसा के साथ प्रवाहित होता है l अपने “प्राण” को उत्साहित करते हुए भजनकार लिखता है, “परमेश्वर पर भरोसा रख; क्योंकि वह मेरे मुख की चमक और मेरा परमेश्वर है” (पद.11) l वह परमेश्वर के बारे में क्या सच है और अपनी अभिभूत करनेवाली भावनाओं की निर्विवाद वास्तविकताओं के बीच आगे पीछे खींचा जाता है l
परमेश्वर हमें अपने स्वरुप में और भावनाओं के साथ अभिकल्पित किया है l दूसरों के लिए हमारे आँसू गहरा प्रेम और तरस प्रगट करते हैं, ज़रूरी नहीं की विश्वास की कमी l हम परमेश्वर तक अपने कच्चे घाव अथवा पुराने दाग़ लेकर जा सकते हैं क्योंकि वह जानता है कि हम आभास करते हैं l हर एक प्रार्थना, चाहे वह शांत, सिसकती हुई , या भरोसे के साथ ऊंची आवाज़ में है, सुनने और हमारी देखभाल की उसकी प्रतिज्ञा में हमारे भरोसे को प्रदर्शित करती है l
एक शानदार अंत
मेरे पति और बेटे ने एक फिल्म देखने के लिए टेलीविजन चैनलों पर तलाश की और पाया कि उनकी पसंदीदा फ़िल्में पहले से ही चल रही थीं l जब उन्होंने अंतिम दृश्यों को देखने का आनंद लिया, खोज एक खेल बन गया l उन्होंने अपनी पसंदीदा फिल्मों में से आठ खोजने में कामयाब रहे l निराश होकर, मैंने पुछा कि देखने के लिए उन्होंने केवल एक फिल्म क्यों नहीं चुना l मेरे पति हँस दिए l “किसको एक शानदार अंत पसन्द नहीं है?”
मुझे स्वीकार करना पड़ा कि मैं भी अपने पसंदीदा किताबों या फिल्मों में अंत खोजती हूँ l मैंने भी अपनी बाइबल में सरसरी नज़रें दौड़ाई है और अपने पसंदीदा भागों पर या कहानियों पर केन्द्रित रही हूँ जो अधिक रुचिकर और समझने में आसान लगते हैं l लेकिन पवित्र आत्मा परमेश्वर का भरोसेमंद और जीवन में प्रयोग किये जाने योग्य सभी बातों का उपयोग हमें रूपांतरित करने और पुष्टि करने में करता है कि मसीह में विश्वासियों के लिए उसकी कहानी का अंत अच्छा होगा l
मसीह खुद को “आल्फा और ओमेगा, पहला और अंतिम, आदि और अंत” घोषित करता है (प्रकाशितवाक्य 22:13) l वह घोषणा करता है कि उसके लोग अनंत जीवन के वारिश होंगे (पद.14) और जो “इस भविष्यवाणी की पुस्तक की बातों” में बढ़ाने या घटाने का साहस करता है उनको चेतावनी देता है (पद.18-19) l
हम बाइबल में सब कुछ जान या समझ नहीं सकेंगे, लेकिन हम जानते हैं कि यीशु फिर से आ रहा है l वह अपने वादे को पूरा करेगा l वह पापों का नाश करेगा, सभी गलतियों को सही करेगा, सभी चीजों को नया करेगा, और हमेशा के लिए हमारे प्रेमी राजा के रूप में राज्य करेगा l अब, यह एक शानदार अंत है जो हमारी नई शुरुआत की ओर ले जाता है l
सब की पहुँच में
एलयूथेरा के छोटे कैरिबियन द्वीप पर एक मानव निर्मित पुल से, आगंतुक अटलांटिक के उत्तेजित गहरे नीले जल और कैरिबियन सागर के शांत फिरोजी जल के बीच के स्पष्ट अंतर का आनंद ले सकते हैं l समय के बीतने के साथ, तूफ़ान ने धरती के मूल भूभाग को मिटा दिया जो किसी समय पत्थर का प्राकृतिक मेहराब था l ग्लास विंडो ब्रिज(Glass Window Bridge) जो एलयूथेरा पर पर्यटकों का आकर्षण है “धरती पर “सबसे संकीर्ण जगह” के रूप में जाना जाता है l
बाइबल अनंत जीवन की ओर जाने वाले मार्ग का वर्णन संकरा “और थोड़े हैं जो उसे पाते हैं” के रूप में करती है (मत्ती 7:14) l फाटक छोटा है क्योंकि परमेश्वर का पुत्र ही एकमात्र पुल है जो पतित मानव और परमेश्वर का मेल पवित्र आत्मा की सामर्थ्य से करा सकता है (पद.13-14 यूहन्ना 10:7-9; 16:13 देखें) l हालाँकि, पवित्रशास्त्र यह भी कहता है कि हरेक जाति, राष्ट्र और समाजीय दर्जा के लोग स्वर्ग में प्रवेश कर सकते हैं और राजाओं के राजा को दण्डवत करेंगे और उसके सिंहासन के चारों ओर उपासना करेंगे (प्रकाशितवाक्य 5:9) l विरोध और एकता की यह अद्भुत छवि में परमेश्वर के सब भिन्न-भिन्न खूबसूरत लोग शामिल हैं l
यद्यपि हम अपने पापों के कारण परमेश्वर से अलग हैं, परमेश्वर द्वारा सृष्ट हर व्यक्ति मसीह के साथ व्यक्तिगत सम्बन्ध के द्वारा मेल के इस संकरे पथ पर चलकर स्वर्ग में अनंतता में प्रवेश करने के लिए आमंत्रित हैं l क्रूस पर उसके बलिदान, कब्र से पुनरुथान, और स्वर्ग में आरोहण ही वह सुसमाचार है जो सब के पहुँच में है और जो आज और हर दिन साझा करने के योग्य है l
मसीह में अनमोल जीवन
मेरी खोई हुई सगाई की अंगूठी को पागल की तरह खोजने के दौरान मेरे गालों से आंसू बह निकले l सोफे के तकियों को उठाने और हमारे घर का हर एक कोना और दरार की सफाई के एक घंटे बाद, एलेन बोला, “मैं माफ़ी चाहता हूँ । हम दूसरा ले लेंगे l”
“धन्यवाद,” मैंने उत्तर दिया l “लेकिन इसका भावनात्मक मूल्य इसकी सामग्री मूल्य से अधिक है l दूसरी अंगूठी उसकी जगह नहीं ले सकती है l” प्रार्थना करते हुए, मैं उस आभूषण की खोज जारी रखा । “परमेश्वर, कृपया, मुझे ढूंढने में मेरी मदद करें l”
बाद में, सप्ताह के शुरुआत में पहने हुए अपने स्वेटर के जेब में हाथ डालने पर, मुझे वह कीमती आभूषण मिल गया l “धन्यवाद, यीशु!” मैंने कहा । जब मैं और मेरा पति आनंदित हुए, मैंने वह अंगूठी पहन ली और उस उस स्त्री के दृष्टान्त को याद किया जिसने एक सिक्का खोया था (लुका 15:8-10) । उस स्त्री की तरह जिसने अपने खोये हुए चांदी के सिक्के को खोजने का यत्न किया था, मैं खोयी हुयी चीज़ के मूल्य को जान गयी थी l हम में से कोई भी अपने मूल्यवान चीज को पाने के लिए गलत नहीं थे । यीशु ने केवल उस कहानी का उपयोग अपने द्वारा बनाए गए प्रत्येक व्यक्ति को बचाने की अपनी इच्छा पर जोर देने के लिए किया l एक पापी के पश्चाताप का परिणाम स्वर्ग में उत्सव है l
ऐसा व्यक्ति बनना कितना बड़ा उपहार होगा जो दूसरों के लिए उतनी ही लगन से प्रार्थना करता है जितना हम खोए हुए खजाने को पाने के लिए प्रार्थना करते हैं l यह मनाना क्या ही सौभाग्य है जब कोई पश्चाताप करता और अपना जीवन मसीह को समर्पित कर देता है, तो उसका जश्न मनाना क्या ही विशेषाधिकार है l अगर हमने यीशु पर अपना भरोसा रखा है, तो हम आभारी हो सकते हैं कि हमने किसी ऐसे व्यक्ति से प्यार किये जाने की ख़ुशी का अनुभव किया है जिसने कभी हार नहीं मानी क्योंकि उसने सोचा कि हम खोजने लायक हैं l
सत्य के साथ झूठ
मैंने अपनी बाइबल मंच पर रखी और प्रतीक्षा कर रहे उत्सुक चेहरों को आँखें गड़ाकर देखा जो उपदेश सुनने के लिए मेरा इंतज़ार कर रहे थे l मैंने प्रार्थना करके तैयारी की थी l मैं क्यों नहीं बोल पा रहा था?
तुम बेकार हो । तुम्हें कभी भी कोई नहीं सुनेगा, खासकर यदि उनको तुम्हारा अतीत पता है । और परमेश्वर कभी तुम्हें उपयोग नहीं करेगा । मेरे हृदय और मन में बैठे हुए, मेरे जीवन पर विभिन्न तरीकों से बोले गए इन शब्दों ने झूठ के खिलाफ एक दशक लंबे युद्ध को सुलगा दिया था जो मैंने आसानी से विश्वास किया था । हालाँकि मुझे पता था कि यह शब्द सही नहीं थे, मैं अपनी असुरक्षा और भय से बच नहीं पा रहा था । तो मैंने अपनी बाइबल खोली l
नीतिवचन 30:5 की ओर मुड़ते हुए, जोर से पढ़ने से पहले मैंने धीरे से साँस अन्दर खींची और छोड़ी l “परमेश्वर का एक एक वचन ताया हुआ है, ”मैंने पढ़ा, “वह अपने शरणागतों की ढाल ठहरा है ।” मैंने अपनी आँखें बंद की जब शांति ने मुझे अभिभूत किया, और मैंने भीड़ के साथ अपनी गवाही बाँटना शुरू किया ।
हम में से कई लोगों ने नकारात्मक शब्दों या विचारों की पंगु करने वाली शक्ति का अनुभव किया है । हालाँकि, परमेश्वर का शब्द “ताया हुआ,” सिद्ध और बिल्कुल सही है । जब हम अपने मूल्य या परमेश्वर के बच्चों के रूप में अपने उद्देश्य के बारे में आत्मा को कुचलने वाले विचारों पर विश्वास करने के लिए ललचाते हैं, तो परमेश्वर का स्थायी और अचूक सत्य हमारे दिमाग और हमारे दिलों की रक्षा करता है l हम भजनकार के साथ गूंज सकते है, जिसने लिखा : “हे यहोवा, मैं ने तेरे प्राचीन नियमों को स्मरण करके शान्ति पाई है” (भजन 119:52) l
हम नकारात्मक-बोल के स्थान पर बाइबल से झूठ का मुकाबला करें जो हमने परमेश्वर, अपने, और दूसरों के विषय स्वीकार किया है l