तीव्र दर्द और दुर्बल करनेवाला सिरदर्द ने मुझे मेरे स्थानीय चर्च परिवार के साथ . . . फिर से  आराधना में उपस्थित होने से रोक दिया l सामुदायिक आराधना की हानि से दुखी होकर मैंने एक ऑनलाइन उपदेश देखा l सबसे पहले, शिकायतों ने मेरे अनुभव को बढ़ा दिया l खराब ध्वनि और विडियो की गुणवत्ता ने मुझे विचलित कर दिया l लेकिन फिर विडियो पर एक आवाज़ ने एक परिचित गीत सुनाई l जब मैं उसे गाने लगी मेरे आँसू बहने लगे l “तू मेरा दर्शन हो, मेरे हृदय के ईश्वर, केवल तू और कोई नहीं l तू मेरा सर्वोत्तम विचार, रात या दिन में l चलते हुए या नींद में l तेरी उपस्थिति मेरा प्रकाश”(Be Thou my vision, O Lord of my heart. Naught be all else to me save that Thou art. Thou my best thought, by day or by night. Waking or sleeping, Thy presence my light) l परमेश्वर की निरंतर उपस्थिति पर केन्द्रित रहकर, मैं अपने बैठक में बैठे हुए उसकी आराधना की l 

जबकि पवित्रशास्त्र सामूहिक आराधना (इब्रानियों 10:25) के महत्वपूर्ण, आवश्यक प्रकृति की पुष्टि करता है, परमेश्वर एक चर्च की इमारत की दीवारों के भीतर नहीं है l यीशु की कूएँ पर सामरी महिला के साथ बातचीत में, उसने मसीह (यूहन्ना 4:9) की सभी अपेक्षाओं को चुनौती दी l निंदा करने के बजाय, यीशु ने सच बोला और उससे प्रेम किया जब वह उस कुँए के निकट खड़ी थी (पद.10) l उसने अपनी संतान के बारे में उनके अन्तरंग और संप्रभु ज्ञान को प्रगट किया (पद.17-18) l अपने ईश्वरत्व की घोषणा करते हुए, यीशु ने घोषणा की कि पवित्र आत्मा ने परमेश्वर के लोगों के हृद्यों में से सच्ची आराधना को उत्पन्न किया, किसी ख़ास भौतिक स्थान से नहीं (पद.23-24) l 

जब हम परमेश्वर कौन है, उसने क्या किया है, और सब कुछ जिसकी उसने प्रतिज्ञा की है पर केन्द्रित होते हैं, हम उसकी निरंतर उपस्थिति में आनंदित हो सकते हैं जब हम दूसरे विश्वासियों के साथ, अपने बैठक के कमरों में . . . और सभी जगह उसकी उपासना करते हैं!