जब हैना विल्बरफ़ोर्स (प्रसिद्ध अमेरिकी राजनीतिज्ञ के चाची) मरने पर थी, उसने एक पत्र लिखा जिसमें उसने यीशु में एक साथी विश्वासी की मृत्यु के बारे में बताया : “वह प्रिय व्यक्ति धन्य है जो महिमा में प्रवेश कर गया है, अब यीशु की उपस्थिति में है, जिसे वह देखे बिना प्यार करता था l मेरा हृदय आनंद से उछल पड़ा l” उसके बाद उसने अपनी स्थिति का वर्णन किया : “मैं, बेहतर या बदतर; यीशु, हमेशा की तरह भला l”

उनके शब्द मुझे भजन 23 के विषय सोचने को विवश करते हैं, जहाँ दाऊद लिखता है, “चाहे मैं घोर अन्धकार से भरी हुई   तराई [मृत्यु की छायावाली तराई] में होकर चलूँ, तौभी हानि से न डरूँगा; क्योंकि तू मेरे साथ रहता है” (पद.4) l ये शब्द पन्ने से बाहर कूदकर निकल आते हैं क्यों वे वहां हैं, मृत्यु की छाया वाली तराई के बीच, जहाँ दाऊद का परमेश्वर के विषय वर्णन अत्यंत व्यक्तिगत हो जाता है l वह भजन के आरम्भ में परमेश्वर के विषय बात करने के बाद──”यहोवा मेरा चरवाहा है”(पद.1) ──उससे बात कर रहा है : “क्योंकि तू मेरे साथ रहता है”(पद.4, italics जोड़ा गया है) l 

यह जानना कितना आश्वस्त करनेवाला है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर जिसने “पृथ्वी और जगत की रचना की” (90:2) इतना तरस खानेवाला है कि वह सबसे कठिन स्थानों में भी हमारे साथ चलता है l चाहे हमारी परिस्थिति बेहतर या बदतर हो जाए, हम अपने चरवाहा, उद्धारकर्ता, और मित्र की ओर मुड़ सकते हैं और उसे “हमेशा अच्छा” ही पाएंगे l इतना भला कि मृत्यु स्वयं ही परास्त हो जाती है, और हम “यहोवा के धाम में सर्वदा वास [करेंगे]” (23:6) l