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“चित्ताकर्षक चीजों” से लड़ना

1960 के दशक की एक टीवी श्रृंखला में, एक आदमी एक नायक से कहता है कि उसे अपने बेटे को यह तय करने देना चाहिए कि वह कैसे जीना चाहता है। नायक जवाब देता है कि हम युवा को उनके  लिए खुद निर्णय नहीं लेने दे सकते। जो भी पहली आकर्षक चीज़ वह देखेगा उसे ही पकड़ लेगा । फिर, जब उसे पता चलता है कि उसमें एक कांटा (गलत बात)  है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। गलत विचार इतनी चमक के साथ आते हैं कि उन्हें यह विश्वास दिलाना मुश्किल है कि लंबे समय में अन्य चीजें बेहतर हो सकती हैं। उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि माता–पिता के लिए  अपने बच्चों में सही व्यवहार बनाना  और “ प्रलोभन को दूर रखने”  में उनकी मदद करना महत्वपूर्ण है।

नायक के शब्द नीतिवचन में पाए जाने वाले ज्ञान से संबंधित हैं: “लड़के को उसी मार्ग की शिक्षा दे जिसमें उसको चलना चाहिएए और वह बुढ़ापे में भी उससे न हटेगा” (22:6) । हालाँकि कई लोग इन शब्दों को एक वादे के रूप में पढ़ सकते हैं, वे वास्तव में एक मार्गदर्शक हैं। यीशु में विश्वास करने के लिये हम सभी को  अपना निर्णय स्वयं करने के लिए बुलाया गया है। परन्तु हम परमेश्वर और पवित्रशास्त्र के प्रति अपने प्रेम के द्वारा बाइबल की नींव रखने में मदद कर सकते हैं। और हम प्रार्थना कर सकते हैं कि जैसे जैसे हमारे छोटे बच्चे बड़े होते हैं, वे मसीह को उद्धारकर्ता के रूप में स्वीकार करें और उसके मार्गों पर चलना चुनें, न कि दुष्टों के मार्गों में (पद 5) ।

पवित्र आत्मा की सक्षमता के माध्यम से “चित्ताकर्षक चीजों” चीजेंपर हमारी अपनी जीत भी शक्तिशाली गवाही है। यीशु की आत्मा हमें प्रलोभन का सामना करने में मदद करती है और हमारे जीवन को अनुकरणीय उदाहरणों में ढालती है।

कोई नुकसान नहीं

मेरे दोस्त रूएल ने एक पूर्व सहपाठी के घर में आयोजित एक हाई स्कूल पुनर्मिलन में भाग लिया। नदी–तट पर बनी यह हवेली दो सौ उपस्थित लोगों को समायोजित कर सकती थी।  इससे  रूएल को छोटा महसूस हुआ । रूएल ने मुझसे कहा, “मुझे दूर–दराज के ग्रामीण चर्चों में सेवकाई करने के कई सुखद वर्ष मिले हैं, और भले ही मुझे पता है कि मुझे ऐसा नहीं करना चाहिएए लेकिन मैं अपने सहपाठी की धन सम्पति से ईर्ष्या किए बिना नहीं रह सका। मेरे विचार भटक गए कि अगर मैं अपनी डिग्री का उपयोग व्यवसायी बनने के लिए करता तो जीवन कितना अलग हो सकता था।  लेकिन बाद में मैंने खुद को याद दिलाया कि ईर्ष्या करने के लिए कुछ भी नहीं है”; रूएल ने एक मुस्कान के साथ कहना जारी रखा, “मैंने अपना जीवन परमेश्वर की सेवा में लगा दिया, और इसके परिणाम अनंत काल तक रहेंगे।” जब उसने ये शब्द कहे तो मैंने उसके चेहरे पर शांति का जो भाव देखा वह मुझे हमेशा याद रहेगा।

रूएल ने मत्ती 13: 44–46 में यीशु के दृष्टान्तों से शांति प्राप्त की। वह जानता था कि परमेश्वर का राज्य सबसे असली धन  है। उसके राज्य की तलाश करना और उसके लिए जीना विभिन्न रूप ले सकता है। कुछ के लिए, इसका अर्थ पूर्ण समय की सेवकाई हो सकता है, जबकि अन्य के लिए, यह एक धर्मनिरपेक्ष कार्यस्थल में सुसमाचार को दिखाना हो सकता है। इस बात की परवाह किए बिना कि परमेश्वर हमें कैसे उपयोग करना चाहता है, यीशु के दृष्टांतों में मनुष्यों की तरह उस अविनाशी धन का मूल्य जो हमें दिया गया है हम उसके नेतृत्व पर भरोसा करना और उसका पालन करना जारी रख सकते हैं। परमेश्वर का अनुसरण करने से हमें जो कुछ भी प्राप्त होता है, उसकी तुलना में इस दुनिया में हर चीज का मूल्य असीम रूप से कम है (1 पतरस 1:4–5)। हमारा जीवन जब उसके हाथों में दिया जाता है, अनन्त फल उत्पन्न कर सकता है।

खोना, पाना, आनन्द करना

वे मुझे रिंगमास्टर कहते हैं। इस साल अब तक मैंने 167 खोई हुई अंगूठियां पाई हैं।

अपनी पत्नी कैरी के साथ समुद्र तट पर टहलने के दौरान, हमने एक वृद्ध व्यक्ति के साथ बातचीत की, जो सर्फ लाइन के ठीक नीचे के क्षेत्र की बारीकी से जांच करने के लिए मेटल डिटेक्टर (धातू संसूचक) का उपयोग कर रहा था। उन्होंने समझाया, “कभी कभी अंगूठियों पर उनके नाम होते हैं, और जब मैं उन्हें लौटाता हूं तो मुझे उनके मालिकों के चेहरे देखना अच्छा लगता है। मैं ऑनलाइन पोस्ट करता हूं और यह देखने के लिए जांच करता हूं कि क्या किसी ने खोया–पाया विभाग से संपर्क किया। मैंने वर्षों से खोई हुई  अंगूठियां पाई हैं।” जब हमने बताया  कि मुझे भी मेटल डिटेक्टर से चीजें ढूंढने में मजा आता हैए लेकिन मैंने अक्सर ऐसा नहीं किया, तो उन्होंने जाते समय मुझ से कहा था “जब तक  करते नहीं तब तक आप कभी नहीं जानते!”

हम लूका 15 में एक अन्य प्रकार की “खोज और बचाव”  पाते हैं। यीशु की आलोचना उन लोगों की परवाह करने के लिए की गई थी जो परमेश्वर से दूर थे (पद 1–2) । जवाब में, उसने खोई हुई और फिर पाई गई चीज़ों के बारे में तीन कहानियाँ सुनाईं—एक भेड़, एक सिक्का और एक बेटा। वह आदमी जिसे अपनी  खोई हुई भेड़ मिल जाती है, “तब वह बड़े आनन्द से उसे अपने कंधों पर उठा लेता  है और घर में आकर अपने मित्रों और पड़ोसियों को एक साथ बुलाकर कहता है, मेरे साथ आनन्द करो क्योंकि मेरी खोई हुई भेड़ मिल गई है” (लूका 15:5–6) । सभी कहानियाँ अंततः मसीह के लिए खोए हुए लोगों को खोजने के बारे में, और  उस आनंद के बारे में है जो  तब मिलता है जब वे उसमें पाये जाते  हैं।

यीशु खोये हुओं को ढूँढ़ने और उनका उद्धार करने (19:10) आया, और वह हमें  अपना अनुसरण करने के लिये बुलाता है कि हम लोगों को परमेश्वर के पास वापिस लाने के लिसे उनसे प्रेम करें। (देखें मत्ती 28:19)। दूसरों को उसकी ओर मुड़ते देखने का आनंद इंतजार कर रहा है। जब तक हम नहीं जा कर यह नहीं करते  हम कभी नहीं जान पाएंगे।

पहुंचना (हाथ बढ़ाना)

हाल ही में एक पोस्ट में, ब्लॉगर बोनी ग्रे ने उस पल को याद किया जब उसके दिल में भारी उदासी छाने लगी थी। उसने कहा, “मेरे जीवन के सबसे सुखद हिस्से (अध्याय) में, मुझे अचानक घबराहट और  निराशा का अनुभव होने लगा।” ग्रे ने अपने दर्द को दूर करने के लिए अलग अलग तरीके खोजने की कोशिश की, लेकिन उसने जल्द ही महसूस किया कि वह अकेले इसे संभालने के लिए काफी मजबूत नहीं थी।  उसने बताया कि, “मैं नहीं चाहती थी  कि कोई मेरे विश्वास पर सवाल उठाए, इसलिए मैं चुप रही और प्रार्थना की, कि  मेरी निराशा दूर हो जाए। परन्तु परमेश्वर हमें चंगा करना चाहता है, न कि हमें लज्जित करना चाहता है; और न ही हमें हमारे दुखों से छिपाना चाहता है।” ग्रे ने परमेश्वर की  उपस्थिति की शान्ति में चंगाई पाई;  तूफानों की लहरों के बीच, जिसमें उसे डूबने का खतरा, था वह उसका सहारा था ।

 जब हम नीची जगह पर होते हैं और निराशा से भरे होते हैं, तो परमेश्वर वहां होते हैं और हमें संभालेंगे भी। भजन संहिता 18 में, दाऊद ने परमेश्वर की प्रशंसा की कि उसने उसे उस नीची जगह से छुड़ाया, जिसमें वह अपने शत्रुओं से लगभग पराजित होने के बाद था। उसने घोषणा की – “उसने ऊपर से हाथ बढ़ाकर मुझे थाम लिया, उसने मुझे गहरे जल में से खींच लिया” (पद 16)। ऐसे क्षणों में भी जब निराशा हमें समुद्र में दुर्घटनाग्रस्त लहरों की तरह नष्ट करने लगती है, परमेश्वर हमसे इतना प्यार करते हैं कि वह हमारे पास पहुंचेंगे और हमारी मदद करेंगे, हमें शांति और सुरक्षा के “खुले स्थान” में लाएंगे (पद 19)।  जब हम जीवन की चुनौतियों से व्याकुल महसूस करते हैं, तो आइए हम उसे अपने शरणस्थान के रूप में देखें।

कॉफी की गन्ध वाली साँस

क्ई साल पहले एक सुबह मैं अपनी कुर्सी पर बैठा था, जब मेरी सबसे छोटी बच्ची नीचे आयी। वह दौडती हुई सीधी मेरे पास आई और उछल कर मेरी गोद में बैठ गई। मैंने एक पिता की तरह उसे चिपटा लिया  और सिर पर एक कोमल चुंबन दिया, और वह खुशी से चिल्लायी। लेकिन फिर उसने अपनी भौंह को सिकोड़ लिया, अपनी नाक सिकोड़ ली, और मेरे कॉफी मग पर एक आरोप लगाने वाली नज़र डाली। उसने गंभीरता से घोषणा की “डैडी, मैं आपको प्यार करती हूँ, और आप मुझे अच्छे लगते हैं, लेकिन मुझे आपकी गंध पसंद नहीं है।”

मेरी बेटी यह नहीं जान सकती थी, लेकिन उसने शालीनता और सच्चाई से बात की: वह मेरी भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाना चाहती थीए लेकिन उसने मुझे कुछ बताने के लिए मजबूर महसूस किया। और कभी कभी हमे  अपने रिश्तों में ऐसा करने की ज़रूरत होती है।

इफिसियों 4 में, पौलुस इस बात पर ध्यान देता है कि हम एक दूसरे से कैसे संबंधित हैं,खासकर  कठिन सत्य बोलते समय। “अर्थात् सारी दीनता और नम्रता सहित, और धीरज धरकर प्रेम से एक दूसरे की सह लो” (पद 2)। नम्रता, दीनता और धैर्य हमारे संबंध का आधार बनाते हैं। उन चारित्रिक गुणों को विकसित करने से जैसे ईश्वर हमारा मार्गदर्शन करता है,  “हमें प्रेम में सच्चाई से चलते  हुये” (पद 15) में मदद मिलेगी और उस संवाद को खोजने में  मदद होगी  /जो  आवश्यकता के अनुसार औरों के निर्माण में सहायक हो” (पद 29) ।

अपनी कमजोरियों के बारे में किसी को भी सामना करना पसंद नहीं है। लेकिन जब हमारे बारे में कुछ  “गंध” आती है, तो परमेश्वर हमारे जीवन में अनुग्रह, सच्चाई, नम्रता और  सभ्यता  लाने के  वफादार दोस्तों का उपयोग  कर सकते हैं।