संगीतात्मक औषधि
दाऊद वीणा लेकर बजाता; और शाऊल चैन पाकर अच्छा हो जाता थाl 1 शमुएल 16:23
जब पांच साल की बेल्ला को अमेरिका के नॉर्थ डकोटा में कैंसर के लिए अस्पताल में भर्ती किया गया, तो उसके इलाज के हिस्से के रूप में उसे संगीत चिकित्सा दी गयीl बहुत से लोगों ने मूड/मिज़ाज पर संगीत के शक्तिशाली प्रभाव का अनुभव किया है,बिना यह समझे कि ऐसा क्यों है, लेकिन शोधकर्ताओं ने हाल ही में एक नैदानिक(clinical) लाभ का प्रमाण प्रस्तुत किया है l बेल्ला जैसे कैंसर रोगियों और पार्किंसन रोग/parkinson, मनोभ्रंश/dementia और आघात(trauma) से पीड़ित लोगों के लिए अब संगीत इलाज के तौर पर नुस्खा में दिया जा रहा है l
जब राजा शाऊल पीड़ा अनुभव कर रहा था तो वह संगीत के नैदानिक नुस्खे के लिए पहुंचा l उसके परिचारकों ने उसमें शांति की कमी देखी और सुझाव दिया कि वे किसी को उसके लिए वीणा बजाने के लिए इस आशा में खोजें कि वह “अच्छा हो जाए” (1 शमुएल 16:16) l उन्होंने यिशै के पुत्र दाऊद को बुलवाया, और शाऊल उस से प्रसन्न हुआ और उस से बिनती की, कि वह “[उसकी] सेवा में बना रहे” (पद.22) l दाऊद ने शाऊल के अशांति के क्षणों में उसके लिए वीणा बजाया, जिससे उसे उसकी पीड़ा से राहत मिली l
हम शायद जिसे केवल वैज्ञानिक रूप से ही खोज रहे हों वह परमेश्वर पहले से ही जानता है कि संगीत हमें कैसे प्रभावित कर सकता हैl जैसा कि हमारे शरीर और संगीत दोनों के रचयिता और सृष्टिकर्ता के रूप में,उसने हमारे स्वास्थ्य के लिए एक नुस्खा प्रदान किया जो सभी के लिए सरलता से उपलब्ध है, इससे फर्क नहीं पड़ता कि हम किस युग में रहते हों या डॉक्टर के पास जाना कितना आसान ही क्यों न हो l यहाँ तक कि जब सुनने का कोई तरीका नहीं है, तब भी हम अपने आनंद और संघर्ष के बीच में परमेश्वर के लिए गा सकते हैं,अपना खुद का संगीत बना सकते हैं (भजन 59:16; प्रेरितों 16:25) l

प्रोत्साहन का जल
मैं इसे “खाली/धूसर से हरियाली (lean to green) चमत्कार कहता हूँ l यह पंद्रह वर्षों से अघिक समय से हर वसंत में होता हैl सर्दियों के महीनों के समाप्त होने के बाद, हमारे आंगन में घास धूल से भरी और भूरी होती है, इतनी अधिक कि,एक आकस्मिक राहगीर जो उधर से गुज़र रहा हो उसे यह विश्वास हो सकता है कि यह सूख चुकी है l कोलोराडो, अमेरिका का एक पश्चिमी राज्य है जहाँ पहाड़ों पर बर्फ होती है, लेकिन मैदानी इलाकों “द फ्रंट रेंज”(the Front Range) पर मौसम सूखा होता है-— अधिकाँश गर्म महीने सूखे की चेतावनी से भरे होते है l लेकिन हर साल मई के अंत के आसपास, मैं स्प्रिंकलर/फौवारा(sprinkler) चालू करता हूँ—पानी की भारी मात्रा नहीं बल्कि कम, और लगातार सिंचाई के साथ, लगभग दो सप्ताहों में, जो सूखा और भूरा दिखता था वह प्रचूर और हरा हो जाता है l
वह हरी घास मुझे याद दिलाती है कि प्रोत्साहन कितना महत्वपूर्ण है l इसके बिना, हमारा जीवन और हमारा विश्वास लगभग निर्जीव जैसा हो सकता है l लेकिन यह आश्चर्जनक है कि लगातार प्रोत्साहन हमारे हृदय, दिमाग और आत्माओं के लिए क्या कर सकता है l थिस्सलुनीकियों को लिखी पौलुस की पहली पत्री इस सच्चाई पर ज़ोर देती है l लोग चिंता और भय से जूझ रहे थे l पौलुस ने देखा कि उन्हें उनके विश्वास को मजबूत करने की आवश्यकता है l उसने उनसे एक दूसरे को प्रोत्साहन देने और एक दूसरे की उन्नति के अच्छे काम को जारी रखने का आग्रह किया (1 थिस्सलुनीकियों 5:11) वह जानता था कि ऐसी ताजगी के बिना, उनका विश्वास मुरझा सकता है l पौलुस ने इसे प्रत्यक्ष रूप से अनुभव किया, क्योंकि वही थिस्सलुनीकियों के विश्वासी उसके लिए भी प्रोत्साहन थे, उसका निर्माण कर रहे थे l आपके और मेरे पास प्रोत्साहन करने का समान अवसर है—एक दूसरे को फलने-फूलने और बढ़ने में मदद करने का l

चौखट पर दिलासा
जब मैंने दक्षिणी लुइसियाना में 2016 की बाढ़ के बाद अपने सोशल मीडिया फीड को स्कैन किया, मुझे एक सहेली का पोस्ट मिलाl यह अनुभव करने के बाद कि उसके घर को गिराकर फिर से बनाया जाएगा, मेरी सहेली की माँ ने उसे सफाई के अत्यंत कष्टदायी कार्य में भी परमेश्वर को ढूँढने के लिए प्रोत्साहित कियाl मेरी सहेली ने बाद में बाइबल के उन पदों की तस्वीरें पोस्ट कीं जिन्हें उसने घर के खुले हुए चौखटों पर पाया,जो स्पष्ट रूप से उस समय लिखे गए थे जब घर बनाया गया थाl लकड़ी के तख्तों पर बाइबल के वचन पढ़कर उसे दिलासा मिलाl
सम्भवतःदरवाजे की चौखटों पर बाइबल के पदों को लिखने की परंपरा इस्राएल को परमेश्वर की आज्ञा से आयी होगी l परमेश्वर ने इस्राएलियों को निर्देश दिया कि वे उसके आदेशों को याद रखने के तरीके के रूप में चौखटों पर लगाये कि वह(परमेश्वर) कौन है l आज्ञाओं को अपने हृदय पर लिख कर(व्यवस्थाविवरण 6:6) उन्हें अपने बच्चों को सिखा कर (पद.7) परमेश्वर की आज्ञाओं को याद करने के लिए प्रतीकों और अन्य साधनों का उपयोग करके (पद.8), और शब्दों को चौखटों और प्रवेश मार्गों पर लगा कर (पद.9) इस्राएलियों को लगातार परमेश्वर के वचन का स्मरण कराते थे l उन्हें प्रोत्साहित किया गया कि जो कुछ परमेश्वर ने उनसे कहा था या उनके साथ की वाचा को कभी न भूलें l
अपने घरों में परमेश्वर के वचनों को प्रदर्शित करने के साथ-साथ उनके अर्थ को अपने हृदयों में बोने से हमें एक ऐसी नींव बनाने में मदद मिल सकती है जो पवित्रशास्त्र में प्रकट की गयी उसकी विश्वासयोग्यता पर निर्भर करती है l और वह उन शब्दों का उपयोग त्रासदी या अत्यंत कष्टदायी नुक्सान के बीच भी हमें दिलासा देने के लिए कर सकता है l

परमेश्वर की सामर्थ्यशाली उपस्थिति
2020 में, इस उत्सव ने अमेरिकी संविधान के उन्नीसवें संशोधन के पारित होने की सौवीं वर्षगाँठ को चिन्हित किया, जिसने महिलाओं को मतदान का अधिकार दिया l पुरानी तस्वीरों में भजन 68:11 के शब्दों से अलंकृत झंडो के साथ प्रदर्शन करनेवालों को कदमताल/मार्च(march) करते हुए दिखाया गया है :“प्रभु आज्ञा देता है, तब शुभ समाचार सुनानेवालियों की बड़ी सेना हो जाती है l”
भजन सहिंता 68 में, दाऊद ने परमेश्वर का वर्णन एक ऐसे व्यक्ति के रूप में किया है जो बंदियों को छुड़ाता है (पद.6), अपने निज भाग को [जो] बहुत सूखा था . . . उसको हरा भरा किया है” (पद.9-10) l इस भजन के पैंतीस पदों में, दाऊद बयालीस बार परमेश्वर का ज़िक्र करता है, यह प्रकट करते हुए कि कैसे वह लगातार उनके साथ रहा है, उन्हें अन्याय और पीड़ा से बचाने के लिए काम कर रहा है l और स्त्रियों की एक बड़ी भीड़ इस सत्य का प्रचार करती हैI (पद.11)
चाहे वे स्त्रियाँ जिन्होंने मतदान के अधिकार के लिए कदमताल/मार्च किया था, पूरी तरह से भजन 68 को समझ पायी थीं या नहीं लेकिन उनके झंडों ने एक कालातीत सत्य की घोषणा की l परमेश्वर, “अनाथों का पिता” और “विधवाओं का न्यायी” है (पद.5), अपने लोगों के आगे-आगे जाकर उन्हें आशीष, विश्राम और आनंद के स्थानों की ओर ले जाता है l
आज यह याद करते हुए प्रोत्साहित हों कि परमेश्वर की उपस्थिति हमेशा अपने लोगों के साथ रही है, और विशेष रूप से कमज़ोर और पीड़ितों के साथ l जैसे कि अतीत में वह उसकी आत्मा के माध्यम से था,परमेश्वर आज भी हमारे साथ सामर्थ्यशाली रूप से उपस्थित है l

कभी भी बहुत दूर नहीं
राज ने अपनी युवास्था में यीशु पर उद्धारकर्ता के रूप में भरोसा किया था, लेकिन जल्द ही, वह विश्वास से भटक गया और परमेश्वर से अलग जीवन व्यतीत करने लगा l फिर एक दिन, उसने यीशु के साथ अपने रिश्ते को नया करने और चर्च वापस जाने का फैसला किया—सिर्फ़ एक महिला द्वारा डांटे जाने के लिए जिसने उसे इतने वर्षों तक अनुपस्थित रहने के लिए फटकार लगाई l इस डांट ने राज के वर्षों के भटकने में शर्म और ग्लानी की भावना को और बढ़ा दिया l क्या मैं आशा से परे हूँ? उसने आश्चर्य किया l तब उसने स्मरण किया कि कैसे मसीह ने शमौन पतरस को पुनर्स्थापित/पुनरुद्धार किया था (यूहन्ना 21:15-17) यद्यपि उसने उसका इनकार किया था (लूका 22:34, 60-61)
पतरस ने जो भी डांट की उम्मीद की होगी, उसने केवल क्षमा और पुनर्स्थापना प्राप्त की थीl यीशु ने पतरस के इनकार का उल्लेख भी नहीं किया, बल्कि उसे मसीह के प्रति अपने प्रेम की पुष्टि करने और अपने अनुयायियों की देखभाल करने का मौका दियाI (यूहन्ना 21:15-17) पतरस के इनकार करने से पहले यीशु के शब्द पूरे हो रहे थे : “जब तू फिरे, तो अपने भाइयों को स्थिर करनाI” (लूका 22:32)
राज ने परमेश्वर से उसी क्षमा और बहाली/पुनरुद्धार को माँगा, और आज वह न केवल यीशु के साथ निकटता से चल रहा है बल्कि एक चर्च में सेवा कर रहा है और अन्य विश्वासियों का भी समर्थन कर रहा है l इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम परमेश्वर से कितनी दूर चले गए हैं, वह न केवल हमें क्षमा करने और वापस स्वागत करने के लिए तैयार है बल्कि हमें पुनर्स्थापित/हमारा पुनरुद्धार करने के लिए भी तैयार है ताकि हम उससे प्रेम कर सकें, उसकी सेवा कर सकें और उसकी महिमा कर सकें l हम कभी भी परमेश्वर से अधिक दूर नहीं हैं : उसकी प्रेममयी बांहे खुली हुयी हैं l