हम अपने उपनगर में निरंतर बिजली कटौती के विषय शिकायत करते हैं l  सप्ताह में तीन बार चौबीस घंटों के लिए, हमारा पड़ोस अन्धकार में डूबा होता है l घरेलु उपकरण उपयोग नहीं कर पाने की स्थिति में यह असुविधा अत्यंत असहनीय है l

मेरी मसीही पड़ोसन अक्सर पूछती है, “क्या हम इसके लिए भी धन्यवाद दें?” वह 1 थिस्सलुनीकियों 5:18  दोहराती है : “हर बात में धन्यवाद करो; क्योंकि तुम्हारे लिए मसीह यीशु में परमेश्वर की यही इच्छा है l” हम हमेशा कहते हैं, “बिल्कुल सच, हम हर बात में धन्यवाद देते हैं l” किन्तु जिस आधे मन से हम ऐसा कहते हैं, हर बार बिजली जाने पर हमारा  कुड़कुड़ाना इसका खण्डन करता है l

एक दिन, हालाँकि, हर बात में परमेश्वर को धन्यवाद देने  के हमारे विश्वास ने नया अर्थ हासिल किया l कार्य से घर लौटने पर मैंने अपने पड़ोसन को वास्तव में कांपते हुए कहते देखा, “यीशु आपका धन्यवाद कि बिजली बंद थी l मेरे घर के साथ हम सब नाश हो जाते !”

एक कचरा-वाहन के घर के सामने लगे बिजली खम्भे से टकराने से हाई-टेंशन तार अनेक घरों पर गिरे l बिजली रहने से, विनाश हो सकता था l

कठिन परिस्थितियाँ “धन्यवाद प्रभु” कहने में कठिनाई उत्पन्न करती हैं l हम परमेश्वर को धन्यवाद दें जो हर स्थिति को उस पर भरोसा करने का अवसर बनाता है–चाहे हम उसके  उद्देश्य को देखें या न देखें l