हमारे अपने माता-पिता को अलविदा कहते समय मेरी बेटी रोने लगी l नाना-नानी इंग्लैंड में हमलोगों से मिलकर अपने घर अमरीका जानेवाले थे l मैं नहीं चाहती वे जाएँ,” उसने कहा l मेरे उसको शांत करने पर, मेरे पति ने कहा, “मुझे डर है कि यही प्रेम की कीमत है l”

हम अपने प्रेमियों से अलगाव का दर्द महसूस कर सकते हैं, किन्तु क्रूस पर प्रेम की कीमत चुकाते समय यीशु ने चरम अलगाव महसूस किया l जो मानव और परमेश्वर दोनों ही था, यशायाह द्वारा 700 वर्ष पूर्व दी गई नबूवत को पूरा किया जब “उसने अपना प्राण मृत्यु के लिए उंडेल दिया” (यशायाह 53:12) l इस अध्याय में हम यीशु को दुखी पुरुष दर्शाने वाले सुस्पष्ट संकेतक पाते हैं, जैसे जब वह “हमारे ही अपराधों के कारण घायल किया गया” (पद.5), जो क्रूस पर उसके साथ हुआ और जब सिपाहियों ने उसके पंजर में भाला भोंका (यूहन्ना 19:34), और कि “उसके कोड़े खाने से हम लोग चंगे हो गए” (यशा.53:5) l

प्रेम के कारण, यीशु संसार में आया और बालक के रूप में जन्म लिया l प्रेम के कारण, उसने व्यवस्था के शिक्षक, भीड़, और सिपाहियों का दुर्व्यवहार सहा l प्रेम के कारण उसने दुःख उठाया और सिद्ध बलिदान के रूप में मरकर, पिता के समक्ष हमारे स्थान पर खड़ा हुआ l हम प्रेम के कारण जीते हैं l