यह पूछने पर कि उसके विचार से क्या अज्ञानता और बेपरवाही आधुनिक समाज में समस्याएँ हैं, एक व्यक्ति ने मज़ाक किया, “मुझे नहीं मालुम और मुझे परवाह नहीं l”

मेरे विचार से अनेक निराश लोग आज संसार और लोगों के विषय ऐसा ही सोचते हैं l किन्तु जब बात होती है हमारे जीवन की परेशानियों और चिंताओं की, यीशु पूरी तरह समझता, और गहरी चिंता करता है l यशायाह 53, यीश के क्रूसीकरण का पुराने नियम का नबूवत, हमारे लिए यीशु की चिंता की एक झलक है l “वह सताया गया, तौभी वह [वध होनेवाली भेड़ की तरह] शांत रहा” (पद.7) l “मेरे ही लोगों के अपराधों के कारण उस पर मार पड़ी” (पद.8) l “यहोवा को यही भाया कि उसे कुचले; उसी ने उसको रोगी कर दिया; जब वह अपना प्राण दोषबलि करे, तब वह अपना वंश देखने पाएगा, वह बहुत दिन जीवित रहेगा; उसके हाथ से यहोवा की इच्छा पूरी हो जाएगी” (पद.10) l

यीशु ने क्रूस पर स्वेच्छा से हमारे पाप और दोष सह लिए l हमारे लिए हमारे प्रभु से अधिक कोई नहीं सहा l उसे मालूम था कि हमारे पापों से हमें बचाने में उसको क्या कीमत देनी होगी, और प्रेम में, उसने अपनी इच्छा से कीमत चुका दी (पद.4-6) l

मृत्यु से पुनरुत्थान के कारण यीशु, जीवित है और हमारे साथ उपस्थित है l कोई भी स्थिति हो, यीशु समझता और चिंता करता है l वह हमें लिए चलेगा l