हमने धीरज से अपने बेटे को ठीक होने और हमारे परिवार में अपने नए जीवन को अनुकूल बनाने में मदद की l एक अनाथालय में उसके आरंभिक दिनों का मानसिक आघात उसको नकारात्मक बना रहा था l जबकि मुझ में उसके आरंभिक दिनों की कठिनाइयों में अत्यधिक सहानुभूति थी, मैं भावनात्मक रूप से उसके व्यवहारों के कारण उससे खुद को अलग करना चाही l लज्जित होकर, मैंने उसके चिकित्सक से बताया l उसका कोमल उत्तर कठोर था : “वह चाहता है कि उसके प्रेम दिखाने से पूर्व आप आगे बढ़कर उसे प्रेम दिखाएं l”

यूहन्ना परमेश्वर के प्रेम को परस्पर प्रेम का स्रोत और कारण बताते हुए पत्री के पानेवालों को प्रेम की अद्वितीय गहराई में ले जाता है (1 यूहन्ना 4:7,11) l मैं दूसरों को ऐसा प्रेम दिखाने में अक्षम हूँ, चाहे अजनबी, मित्र, अथवा मेरे अपने बच्चे हों l फिर भी यूहन्ना के शब्द मुझ में ऐसा करने की नूतन इच्छा और योग्यता उत्पन्न करते हैं : परमेश्वर आगे चला l  उसने अपने पुत्र को भेजकर अपने प्रेम की सम्पूर्णता दर्शाया l मैं बहुत धन्यवादित हूँ कि वह हमारे अन्दर से अपना हृदय वापिस लेकर हमारे समान नहीं करता l  

यद्यपि हमारा पापी भाव परमेश्वर के प्रेम को आमंत्रित नहीं करता, वह हमें देने में अटल है (रोमि. 5:8) l उसका “पहले जानेवाला” प्रेम हमें परस्पर प्रेम हेतु प्रतिउत्तर एवं प्रतिबिम्ब के रूप में विवश करता है l