सिकुआ शंकुधारी वृक्ष, रक्त दारु वृक्ष की तीन प्रजातियों में से एक, विश्व के सबसे अधिक और सबसे टिकाऊ वृक्षों में से है l उसकी ऊँचाई 300 फीट, वजन 2.5 लाख पौंड (11 लाख किलोग्राम) से ऊपर, और उम्र 3,000 वर्ष होती है l किन्तु बड़े सिकुआ वृक्ष का आकार और उम्र भूमि के नीचे क्या है, पर आधारित है l एक एकड़ से भी अधिक भूमि में पसरी हुई 12 से 14 फीट गहरी जड़ों की जाल, वृक्ष की गगनचुंबी ऊँचाई और आश्चर्यजनक वजन को थामें रहती है l
हालाँकि, रक्त दारु वृक्ष की फैली हुई जड़ प्रणाली, यीशु के जीवन को सुदृढ़ बनानेवाली राष्ट्रीय इतिहास, धर्म, और प्रतीक्षा की तुलना में छोटी है l एक मरतबा उसने धार्मिक अगुओं के समूह से कहा कि शास्त्र जिनसे वे प्रेम करते हैं उसकी कहानी बताते हैं (यूहन्ना 5:39) l नासरत की आराधनालय में उसने यशायाह की पुस्तक खोलकर, इस्राएल के उद्धारकर्ता का वर्णन पढ़कर बोला, “आज ही यह लेख तुम्हारे सामने पूरा हुआ है” (लूका 4:21) l
अपने पुनरुत्थान बाद, यीशु ने अपने शिष्यों को समझने में सहायता की कि किस तरह मूसा, और नबियों के शब्द, और इस्राएल के गीत ने प्रगट किया था कि उसके लिए दुःख और मृत्यु सहकर पुनरुथित होना क्यों ज़रूरी था (24:46) l
यीशु को इतिहास और राष्ट्र के शास्त्र में जड़वत देखकर और हमारे जीवनों को उसकी कितनी ज़रूरत है महसूस करना क्या ही मनोहर और शोभनीय है l
समस्त शास्त्र हमें देखने में मदद करते हैं कि यीशु हमारे जीवनों की ज़रूरत है l