लम्बी दौड़ का मेरा प्रशिक्षण ठीक नहीं चल रहा था, और हाल ही की  मेरी दौड़ विशेष तौर से निराशाजनक थी l आधे समय तक मैं चलता था और एक बिंदु पर मुझे बैठना पड़ता था l ऐसा महसूस हो रहा था जैसे मैं छोटी-जांच में हार चुका था l

तब मुझे याद आया कि प्रशिक्षण का सम्पूर्ण मकसद यही था l यह न ही उतीर्ण होने की जांच थी, न ही कोई पदवी पाने की l इसके बदले, मुझे अपने धीरज को बढ़ाने के लिए बार-बार इसमें से होकर जाना था l

शायद आप किसी आज़माइश का सामना करते हुए बुरा महसूस करते हैं l परमेश्वर हमारी आत्मिक मांसपेशी और धीरज को मजबूत बनाने के लिए हमें ऐसी जांच के समय से निकलने देता है l वह हमें उस पर निर्भरता सिखाता है, और पवित्र बनने के लिए शुद्ध करता है, ताकि हम और भी मसीह के समान बन जाएं l

इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि भजनकार परमेश्वर द्वारा इस्राएलियों को आग और पानी में से ले जाने के लिए उसकी प्रशंसा करता है (भजन 68:10-12) जब वे दासत्व और निर्वासन में दुःख उठाए l परमेश्वर ने न केवल उनकी रक्षा की और अति बहुतायत के स्थान में लेकर आया, किन्तु इस प्रक्रिया में उनको विशुद्ध भी किया l

जांच से निकलते हुए, हम परमेश्वर पर सामर्थ्य और दृढ़ता के लिए निर्भर हो सकते हैं l वह हमें हमारे कठिनतम क्षणों के द्वारा परिस्कृत कर रहा है l