हाल ही में एक समूह में भागीदारी करते समय अगुए ने प्रश्न किया “क्या परमेश्वर आपके जीवन में कुछ नया कर रहा है?” कुछ कठिन स्थितियों से जूझ रही मेरी सहेली, मिंडी ने उत्तर दिया l उसने अपने वृद्ध माता-पिता के साथ धीरज, अपने अस्वस्थ पति के लिए ताकत, और बच्चों की समझ शक्ति और नाती-पोतों के विषय बताया जिन्होंने यीशु को उद्धारकर्ता ग्रहण नहीं किया था l तब उसने हमारी स्वाभाविक सोच के विपरीत गहरी पहुँच वाली टिप्पणी की : “मैं मानती हूँ परमेश्वर मेरे प्रेम करने और अवसर की सीमा को बढ़ाने का नया कार्य कर रहा है l”
थिस्सलुनीके के नए विश्वासियों के लिए पौलुस की प्रार्थना यहाँ ठीक बैठती है : “तुम्हारा प्रेम भी आपस में और सब मनुष्यों के साथ बढ़े, और उन्नति करता जाए” (1 थिस्स. 3:12) l उसने उनको यीशु के विषय शिक्षा दी थी किन्तु दंगे के कारण उसे अचानक जाना पड़ा था (प्रेरितों 17:1-9) l अब अपनी पत्री में वह उनको अपने विश्वास में स्थिर रहने को कहा (1 थिस्स. 3:7-8) l और उसकी प्रार्थना थी कि प्रभु उनके प्रेम को सबके लिए बढ़ाए l
कठिनाईयों में हम अक्सर शिकायत करते और पूछते हैं, “क्यों? या सोचते है, मैं क्यों? ऐसी स्थितियों में दूसरों से प्रेम करने के नए अवसरों के लिए प्रभु से प्रेम को बढ़ाने और सहायता करने की ताकत मांगे l
हमारी परेशानियाँ दूसरों के लिए हमारी प्रार्थनाओं में प्रेम और परानुभूति से भर सकती हैं l