कुछ वर्ष पूर्व एक प्रकाशक ने गलती की l एक पुस्तक बहुत वर्षों से बिक रही थी, इसलिए उसमें बदलाव ज़रूरी था l लेखक ने पुस्तक को पुनः लिखकर उसे बिल्कुल नया करना चाहा l किन्तु नए संकरण के प्रकाशन बाद, समस्या खड़ी हो गई l प्रकाशक ने नये आवरण के साथ पुरानी पुस्तक को छाप दी l
बाहरी आवरण साफ़ और नया था, किन्तु भीतर पुराना और पुराना l यह “नया संस्करण” नया नहीं था l
कभी-कभी लोग मानते हैं कि जीवन में बदलाव ज़रूरी है l बातें गलत दिशा में जा रही हैं l इसलिए हृदय में ज़रूरी बदलाव किये बिना बाहरी आवरण बदल देते हैं l वे किसी बाहरी आचरण को बदल देते हैं किन्तु समझते नहीं कि केवल परमेश्वर ही अन्दर का बदलाव ला सकता है l
यूहन्ना 3 में, निकुदेमुस ने ऐसा महसूस किया क्योंकि यीशु “परमेश्वर की ओर से” था (पद.2) l उसने बिल्कुल भिन्न बात बताया l यीशु के कहने पर निकुदेमुस ने पहचाना कि यीशू नए जन्म से कम कुछ नहीं देता है (पद.4) : उसे बिल्कुल नया बनने के लिए “नए सिरे” से जन्म लेना था (पद.7) l
बदलाव केवल यीशु मसीह पर विश्वास करने से आता है l यह तब होता है जब “पुरानी बातें बीत” जाती हैं और “सब बातें नयी” हो जाती हैं (2 कुरिं. 5:17) l क्या आपको परिवर्तन चाहिए? यीशु में विश्वास करें l वही आपके हृदय को बदलकर सब कुछ बिल्कुल नया कर देता है l
केवल परमेश्वर हमें नया बना सकता है l