मैं चिंतित होकर अपने पति के साथ हॉस्पिटल के कमरे में बैठी थी l मेरे छोटे बेटे की आंख की दोषनिवारक शल्यचिकित्सा हो रही थी और मैंने घबराहट और चिंता में अपने पेट में झटके महसूस किये l मैंने परमेश्वर की शांति के लिए प्रार्थना करने की कोशिश की l बाइबिल खोलकर मैंने परिचित परिच्छेद यशायाह 40 खोलकर अपने लिए कुछ नया खोजना चाही l  

पढ़ते समय, मैं ठहर गयी, क्योंकि उन प्राचीन शब्दों ने मुझे याद दिलाया कि प्रभु “चरवाहे के समान अपने झुण्ड को [चरते हुए] “भेड़ों के बच्चों को अँकवार में लिए रहेगा” (पद.11) l उस क्षण मेरी चिंता चली गयी और मैंने प्रभु को हमें संभालते हुए, अगुवाई करते हुए, और देखभाल करते हुए महसूस किया l प्रभु, मुझे इसकी ही ज़रूरत थी, मैंने धीमे से प्रार्थना की l मैंने खुद को शल्यचिकित्सा के दौरान और उसके बाद(जो सफल रही) परमेश्वर की शांति से घिरी हुई पायी l

परमेश्वर ने नबी यशायाह के द्वारा अपने लोगों का उनके दैनिक जीवन में सुख देनेवाला चरवाहा बनने की प्रतिज्ञा की l हम भी उसको अपनी चिंता बताकर और उसके प्रेम और शांति को खोजकर उसके कोमल देखभाल का अनुभव कर सकते हैं l हम जानते हैं कि वह हमें अपने हृदय के निकट रखकर हमें अपने अँकवार में उठानेवाला हमारा अच्छा चरवाहा है l