मिट्टी का एक प्राचीन मुहर यरूशलेम पुरातत्व इंस्टीट्यूट की आलमारी में पाँच साल तक पड़ा रहा क्योंकि यरूशलेम की पुरानी दीवार के दक्षिणी भाग के निकट खुदाई में मिली इस  3,000 वर्ष पुरानी वस्तु के प्रारंभिक जांच में इसका महत्व पता न चला l किन्तु तब एक शोधकर्ता के उस मुहर पर खुदे शब्दों की गहन जांच में एक बड़ी खोज सामने आई l अभिलेख प्राचीन इब्री में था : “यहूदा के राजा आहाज (के पुत्र) हिजकिय्याह का l”

मुहर के बीच जीवन का प्रतीक दो-पंखों वाला सूर्य की आकृति है l मुहर खोजनेवाले पुरातत्ववेत्ताओं का मानना है कि राजा हिजकिय्याह ने इस मुहर का उपयोग खतरनाक बीमारी से प्रभु की चंगाई पाने के बाद परमेश्वर की सुरक्षा के रूप में करने लगा (यशायाह 38:1-8) l हिजकिय्याह प्रभु से चंगाई मांग रहा था l और परमेश्वर ने उसकी प्रार्थना सुनकर उसे यह कहकर, “मैं [सूर्य की छाया को] दस अंश पीछे की ओर लौटा दूंगा”  एक चिन्ह दिया कि वह दी गयी अपनी प्रतिज्ञा पूरी करेगा (पद.8) l

पुरातत्विक शिल्पकृति के ये तथ्य हमें उत्साहवर्धक ताकीद देते हैं कि बाइबिल के लोग हमारी तरह सीख रहे थे कि सहायता मांगने पर प्रभु हमारी सुनता है l और यद्यपि हमारी अपेक्षानुसार उसका उत्तर नहीं होता, हम उसकी करुणा और सामर्थ्य में विश्राम कर सकते हैं l सूर्य की गति को प्रभावित करनेवाला हमारे हृदयों को भी प्रभावित कर सकता है l