बड़ी भूरी ट्राउट मछलियाँ शरद ऋतू की अपनी क्रियापद्धति अनुसार ओविही नदी में अंडे दे रही हैं l आप उन्हें छिछले कंकरीले जल में अपना घोंसला बनाते देख सकते हैं l

बुद्धिमान मछुए यह जानकार कि मछलियाँ अंडे पर हैं उन्हें परेशान नहीं करते l अंडे न दब जाएँ, वे कंकरीली जगहों पर पाँव नहीं रखते अथवा अण्डों के स्थान से धारा के प्रतिकूल नहीं जाते जहाँ पथरीले टुकड़े बिखरकर अण्डों को दबा न दें l और मछली पकड़ने के प्रलोभन के बावजूद, वे घोंसलों के निकट ट्राउट मछलियों का शिकार नहीं करते हैं l

ये बचाव जिम्मेदार मछली पकड़ने की नियम नीतियाँ हैं l किन्तु और गंभीर और बेहतर कारण भी हैं l

वचन कहता है कि परमेश्वर ने हमें पृथ्वी दी है (उत्पत्ति 1:28-30) l यह हमारे उपयोग के लिए है, किन्तु हम इससे प्रेम करनेवाले की तरह इसका उपयोग करें l

मैं परमेश्वर के हाथों के कार्यों पर विचार करता हूँ : एक तीतर का घटी में बोलना, एक बारहसिंघा का लड़ाई आरंभ करना, दूर एक हिरन का झुण्ड, एक ट्राउट मछली और रंग बदलते उसके गुलाबी बच्चे, झरने में अपने बच्चों के साथ खेलती हुई एक माता उदबिलाऊ -मैं इनको पसंद करता हूँ, क्योंकि मेरे पिता ने अपने महान प्रेम में इन्हें मेरे आनंद के लिए मुझे दिए हैं l

और जिनसे मैं प्रेम करता हूँ, उनकी सुरक्षा भी करता हूँ l