मेरा भाई और मैं जिनमें एक वर्ष से भी कम अंतर है, उम्र में बढ़ते हुए बहुत “प्रतियोगी” रहे (अनुवाद : हम लड़ते थे! ) l पिता समझ गए l उनके पास भाई थे l माँ? थोड़ा समझ पायी l
हमारी कहानी उत्पत्ति की पुस्तक में ठीक बैठ सकती थी, जिसे एक अच्छा नाम दिया जा सकता था भाईयों के आपसी झगड़े का संक्षिप्त इतिहास l कैन और हाबिल (उत्प.4); इसहाक और इश्माएल (21:8-10); बिन्यामिन को छोड़कर, यूसुफ और बाकी सब (अध्याय 37) l किन्तु भाईयों की दुश्मनी में याकूब और एसाव अव्वल हैं l
एसाव अपने जुड़वाँ भाई याकूब से दो बार धोखा खाने पर उसकी हत्या करना चाहा (27:41) l दशकों बाद याकूब और एसाव मेल करनेवाले थे (अध्याय 33) l किन्तु उनके वंशज एदोम और इस्राएल राष्ट्र में शत्रुता चलती रही l इस्राएलियों के प्रतिज्ञात देश में प्रवेश करते समय, एदोम धमकी और सेना के साथ उनसे मिला (गिनती 20:14-21) l बहुत बाद में, जब आक्रमणकारियों से यरूशलेम वासी भागने लगे, एदोम ने शरणार्थियों को मारा (ओबद्याह 1: 10-14) l
हमारे लिए सुखकर है कि बाइबिल केवल हमारे टूटेपन की नहीं किन्तु परमेश्वर के छुटकारे की कहानी भी बताती है l यीशु ने सब कुछ बदल दिया और अपने शिष्यों से कहा, “मैं तुम्हें एक नयी आज्ञा देता हूँ कि एक दूसरे से प्रेम रखो” (यूहन्ना 13:34) l तब वह हमारे लिए मर कर उसका अर्थ बता दिया l
बड़े होकर हम दोनों भाई निकट आ गए l परमेश्वर के साथ भी ऐसा है l जब हम उसके द्वारा प्रदत्त क्षमा का उत्तर देते हैं, वह भाई-बहनों के बीच विरोध को भाईचारे के प्रेम में बदल देता है l
भाई-बहनों के बीच लड़ाई स्वाभाविक है l परमेश्वर का प्रेम अलौकिक है l