1960 के दशक में, गायकों की तगड़ी किंगस्टन ने “डेजर्ट पीट” नामक एक गीत जारी किया l प्रेम गीत में एक प्यासा चरवाहा है जो मरुभूमि पार करते समय एक हैण्ड पंप के निकट पहुँचता है, जहाँ डेजर्ट पीट पढ़ने वाले से एक पर्चा के द्वारा आग्रह करता है कि बर्तन में रखे पानी का उपयोग पीने के बजाए हैण्ड पंप को चलाने के लिए करें l

चरवाहा पानी पीने का लोभ त्यागकर कहे अनुसार पानी का उपयोग करता है l  आज्ञाकारिता के परिणामस्वरूप उसे अधिक मात्र में ठंडा और संतुष्ट करनेवाला जल मिलता है l यदि वह भरोसा नहीं करता, उसे पीने के लिए संतुष्ट न करनेवाला केवल एक बर्तन गर्म पानी ही मिलता l

यह मुझे बियाबान में इस्राएल की यात्रा याद दिलाती है l जब उनकी प्यास उनको परेशान करने लगी (निर्ग. 17:1-7), मूसा प्रभु के पास गया l उसे होरेब की चट्टान को अपनी लाठी से मारने को कहा गया l मूसा द्वारा विश्वास करके आज्ञा मानने से चट्टान से जल निकला l

दुर्भाग्यवश, इस्राएल लगातार मूसा के विश्वास के उदहारण पर नहीं चले l आखिरकार, “सुने हुए वचन से उन्हें कुछ लाभ न हुआ; क्योंकि सुननेवालों के मन में विश्वास के साथ नहीं बैठा” (इब्रा. 4:2) l

कभी-कभी जीवन एक निर्जल मरुभूमि के समान लगता है l किन्तु सबसे अविश्वसनीय परिस्थिति में भी परमेश्वर हमारी आत्मिक प्यास बुझा सकता है l जब हम विश्वास से परमेश्वर की प्रतिज्ञाएं मानते हैं, हम अपने दैनिक ज़रूरतों के लिए जीवन जल और अनुग्रह के सोते का अनुभव कर सकते हैं l