“परिवर्तन : अन्दर का भाग बाहर अथवा बाहर का भाग अन्दर?” मुख्य समाचार में यही लिखा था और वर्तमान का प्रचलित चलन दर्शा रहा था कि बाहरी बदलाव जैसे सौन्दर्य प्रसाधन द्वारा बदलाव अथवा बेहतर ढंग अन्दर की भावनाओं को जानने का और जीवन बदलने का भी एक सरल तरीका हो सकता है l

एक आकर्षक विचार कहता है कि कौन नहीं चाहता कि हमारे जीवन नए रूप की तरह अत्यंत सरल हो जाएँ? हममें से अनेक लोगों ने कठिन तरीके से सीखा है कि पुरानी आदतों को  छोड़ना लगभग असम्भव होता है l सरल बाहरी बदलाव पर ध्यान लगाने से आशा दिखाई देती है कि हमारे जीवनों में सुधार लाने का एक तेज़ तरीका है l

किन्तु यद्यपि ये बदलाव हमारे जीवनों में सुधार ला सकते हैं, बाइबिल चाहती है कि हम एक गंभीर बदलाव का प्रयास करें जो खुद पर भरोसा करने से संभव नहीं है l वास्तव में, गलातियों 3 में भी पौलुस का तर्क है कि परमेश्वर की व्यवस्था अर्थात् अनमोल उपहार जिसके द्वारा उसकी इच्छा प्रगट हुई, भी परमेश्वर के लोगों के टूटेपन को चंगा नहीं कर सका (पद.19-22) l वास्तविक चंगाई और छुटकारे के लिए ज़रूरी था कि वे विश्वास और पवित्र आत्मा के द्वारा ((5:5) मसीह को “पहिन” लें (पद.27) l उसके द्वारा चुने जाकर और रूप पाकर, उनकी पहचान मूल्यवान हो जाएगी अर्थात् हर एक विश्वासी परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं का बराबर से हक़दार होगा (3:28-29) l

हम आसानी से आत्म-सुधार तकनीक में अत्यधिक ऊर्जा खर्च कर सकते हैं l किन्तु उस प्रेम को जो ज्ञान से परे है और जो सब कुछ बदल सकता है, को जानने से ही हम अपने हृदयों में गहरा और अत्यधिक संतोषजनक बदलाव अनुभव कर सकते हैं (इफि. 3:17-19) l