युद्ध के प्रशिक्षण पर घर से दूर गए अमेरिकी रंगरूटों ने चुनौतियों का सामना करने के लिए मजाक और पत्र लिखने का रास्ता अपनाया। एक पत्र में किसी युवक ने टीके लगने की प्रक्रिया को हास्यप्रद अंदाज़ में लिखा “दो डाक्टर भाला लेकर हमारे पीछे दौड़े। उन्होंने हमें घर दबोचा और एक-एक करके उसे हमारी बाँह में उसे घोंप दिया”।
एक सैनिक को जब बाइबिल मिली तो उसने लिखा, “मैं इसे बहुत पसंद करता हूँ। मैं हर रात इसे पढ़ता हूं। मैं नहीं जानता था कि सीखने के लिए इसमें कितनी बातें हैं।“
कई वर्ष बंधक रहने के बाद जब निर्वासित यहूदी बाबुल से घर लौटे तो अपनी समस्याएं भी साथ लाए। यरूशलेम की दीवारों के पुनर्निर्माण के संघर्ष के साथ ही, उनका सामना आकाल, शत्रुओं के विरोध, और अपने पापों से था। इस बीच वे परमेश्वर के वचन की ओर फिरे। याजक के व्यवस्था की पुस्तक से पढने पर लोग रोने लगे (नहेमायाह 8:9)। इन शब्दों ने उन्हें, “उदास मत रहो…”। (पद 10)
परमेश्वर से सुनने के लिए हमें समस्याओं की प्रतीक्षा करने की आवश्यकता नहीं है। उनकी क्षमा, आश्वासन, और व्यक्तित्व के बारे में हम बाइबिल से जान सकते हैं। इसे पढ़ने पर जो परमेश्वर की आत्मा हमें दिखाएगी उसे देखकर हम आश्चर्यचकित हो
हम जैसे वास्तव में हैं वह देखने में बाइबिल हमारी मदद करती है और यह दिखाती है कि परमेश्वर हमसे कितना प्यार करते हैं।