जब परमेश्वर हमें भरते हैं
“मेरी क्या गलती थी”? यह मेरे लिए सबसे रोमांचक समय होना चाहिए था। कॉलेज के बाद मुझे पहली नौकरी मिली थी घर से सैंकड़ों मील दूर एक अन्य शहर में। परन्तु यह रोमांच जल्दी ही फीका पड़ गया। मेरा फ़्लैट छोटा था, जिसमें फर्नीचर भी नहीं था। अनजान शहर जहाँ मैं किसी को नहीं जानता था। नौकरी रोचक थी पर अकेलापन काटने को दौड़ता था।
एक रात मैंने अपनी बाइबिल खोली तो भजन-संहिता 16 सामने आ गया, जिसके 11 पद में परमेश्वर हमें भरने का वादा करते हैं। मैंने प्रार्थना की “हे प्रभु, पहले यह नौकरी मुझे सही लगी थी परन्तु अब अकेलापन काटता है। मुझे अपनी निकटता की भावना से भर दें”। मैं कई हफ्तों तक यही प्रार्थना करता रहा। कई रातों में मुझे परमेश्वर की उपस्थिति का गहरा अनुभव होता, परन्तु अन्य रातों में मुझे अकेलेपन का पीड़ा जनक अनुभव होता।
परंतु जब मैं वचन पर अपने हृदय को दृढ़ करता तो परमेश्वर मेरे विश्वास को और गहरा करते, हर रात। मैंने उनकी विश्वासयोगिता को ऐसे महसूस किया जैसे पहले कभी नहीं किया। मैंने सीखा कि मेरा काम है कि अपने हृदय को परमेश्वर के आगे उंडेल दूं...और उनके उत्तर का विनम्रतापूर्वक इंतजार करूं, उनके वादे पर विश्वास करते हुए कि वे हमें अपनी आत्मा से भरेंगे।
परमेश्वर का प्रिय
उसका नाम डेविड था, पर लोग उसे “बाजा बजाने वाला" बुलाते थे। वह अस्त-व्यस्त सा रहने वाला बूढा था जो शहर के लोकप्रिय स्थानों में अक्सर दिख जाता था। वायलिन बजाने के अपने असाधारण कौशल से वह राहगीरों का दिल बहलाता, जो कभी-कभी उसके बक्से में पैसे डाल देते और आभार में सिर हिला कर डेविड मुस्कुरा देता था।
हाल ही में जब डेविड की निधन-सूचना एक स्थानीय समाचार पत्र में छपी, तो पता चला कि वह कई भाषाएँ बोलने वाला, विश्वविद्यालय से स्नातक प्राप्त और पूर्व चुनाव में राज्यसदन की सीट का उम्मीदवार था। जिन लोगों ने रूपरंग के आधार पर उनका आंकलन किया था, वह उनकी उपलब्धियों पर आश्चर्यचकित थे।
बाइबिल बताती है कि "परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप में बनाया" (उत्पत्ति 1:27)। इससे हमारे भीतर निहित मूल्य का पता चलता है। हम कैसे भी दिखें, हमारी उपलब्धियां जो हों, या लोग जो भी सोचें, चाहे हमने अपने पाप में परमेश्वर से फिरने का चुनाव भी किया हो। परमेश्वर ने हमें इतना महत्वपूर्ण समझा कि अपने पुत्र को उद्धार के और उनके साथ अनंत जीवन जीने के मार्ग को दिखाने के लिए भेजा।
परमेश्वर हमसे प्रेम करते हैं। हम परमेश्वर के प्रति अपने प्रेम को व्यक्त करने के लिए उसे दूसरों के साथ साझा कर सकते हैं।
फ़ोन का ज़ोन
मोबाइल फ़ोन के कारण दूसरों तक हमारी असीमित पहुंच हो गई है। कई लोग वाहन चलाते हुए फोन या टेक्स्ट करते हैं जिससे कभी-कभी भयानक दुर्घटनाएँ होती हैं। कई देशों में ध्यान भंग करके वाहन चलाना गैरकानूनी है। अमेरिका में हाईवे पर विशेष ज़ोन बने हैं, जहाँ वाहन रोक कर लोग सुरक्षित रूप से जितना चाहें फ़ोन इस्तेमाल कर सकते हैं।
फ़ोन पर बात करते हुए वाहन चलाने पर प्रतिबंध अच्छा है, पर एक ऐसी बातचीत है जिसे करने पर कोई प्रतिबंध नहीं होता: प्रार्थना। परमेश्वर हमें उनसे बात करने को हर समय आमंत्रित करते हैं, आते-जाते समय या जब हम स्थिर हों। नए नियम में, पौलुस के शब्द हर उस व्यक्ति के लिए हैं जो परमेश्वर से बातचीत करना चाहता हैं, “निरन्तर प्रार्थना मे लगे रहो”। साथ ही वह हमें "सदा आनन्दित” रहने" और "सभी परिस्थितियों में धन्यवाद देने" के लिए प्रोत्साहित करता है (1 थिस्सलुनीकियों 5:16-18)। आनन्दित और धन्यवादित रहना-मसीह के द्वारा परमेश्वर पर हमारे विश्वास की अभिव्यक्ति है, निरन्तर प्रार्थना में जिसका लंगर है।
चाहे रोने के लिए हो या लंबी बातचीत के लिए, परमेश्वर सर्वदा हमारे लिए उपलब्ध होते हैं। वह चाहते हैं हम अपनी खुशियों, आभार, इच्छाओं, प्रश्नों और चिंताओं को निरन्तर उनसे साझा करें (इब्रानियों 4:15-16)। हम निरन्तर प्रार्थना के ज़ोन में होते हैं।
हम नहीं टूटेंगे
कैलिफ़ोर्निया में रहने के नाते मैं सर्द चीजों से दूर रहती हूँ। हालांकि, बर्फ के चित्र देखना मुझे पसंद हैं। इसलिए जब इलिनोइस से मेरी मित्र ने उसकी खिड़की के बाहर के दृश्य का चित्र भेजा तो मैं मुस्कराने लगी। पर चमकीली बर्फ़ की चादर के बोझ से झुकी शाखाओं को देखकर मेरी प्रशंसा उदासीनता में बदल गई। कोई शाख बर्फ़ का बोझ कितनी देर सह पाएगी? उस भार को देखकर मैं अपने कंधों के बारे में सोचने लगी जो चिंताओं के बोझ से झुके हुए थे।
“सर्वोतम धन सांसारिक या अस्थायी नहीं होता”, यह कह कर यीशु हमें अपनी चिंताओं का त्याग कर देने को कहते हैं। ब्रह्मांड का सृष्टिकर्ता और निर्वाहक अपने बच्चों से प्रेम करता है, और उन्हें तृप्त करता है, तो हमें चिंता करके अनमोल समय व्यर्थ करने की आवश्यकता नहीं है। परमेश्वर जानते हैं कि हमें क्या चाहिए और वही हमारी देखभाल करेंगे (मत्ती 6:19-32)। वह सर्वप्रथम हमें उनके पास आने, वर्तमान में उनकी उपस्थिति और प्रावधान पर भरोसा करने, और हर दिन विश्वास से जीने को कहते हैं (पद 33-34)।
जीवन में, हम परेशानियों और अनिश्चितताओं का सामना करेंगे, जो हमारे कंधों को झुका सकती हैं। जब हम परमेश्वर पर भरोसा करेंगे, तो भले ही चिंता हमें झुका दे पर हमें तोड़ नहीं पाएगी।