“आप कहां से हैं”?  दूसरों को बेहतर जानने के लिए हम यह प्रश्न पूछ लेते हैं। परन्तु हम से अधिकांश सब कुछ नहीं बताना चाहते। न्यायियों की पुस्तक में यिप्तह शायद इस प्रश्न का उत्तर कदापि नहीं देना चाहता थाI उसके सौतेले भाइयों ने उसे यह कह कर गिलाद के घराने से निकाल दिया था कि, “तू तो पराई स्त्री का बेटा है” (न्यायियों 11:2)। पाठ बताता है कि,” उसकी माता एक वैश्या थी” (पद 1)।

परंतु यिप्तह एक स्वभाविक अगुवा था। विरोधी जाति के गिलाद पर आक्रमण करने के कारण उसे बाहर निकालने वाले लोग अब उसे लौटने को कहने लगे। “हमारा प्रधान हो जा”, उन्होंने कहा (पद 6)। यिप्तह ने पूछा, “क्या तुमने मुझ से…”( पद 7)?  यह आश्वासन मिलने के बाद कि अब चीजें फ़र्क होंगी, वह उनकी अगुवाई करने के लिए सहमत हो गया। “तब यहोवा का आत्मा…” (पद 29)। विश्वास के द्वारा उसने उनकी अगुवाई कर एक महान विजय दिलायी। नया नियम उसे विश्वास के नायकों में सूचीबद्ध करता है (इब्रानियों 11:32)।

अक्सर परमेश्वर अपने कार्यों को करने के लिए विचार से परे लोगों को चुनते हैं,  है ना?  हम कहां से हैं, यहां कैसे आए, हमने क्या किया है, इससे फर्क नहीं पड़ता। मुख्य यह है,  कि हम उनके प्रेम का प्रतिउत्तर विश्वास से दें।