हमारे बच्चे और मैंने एक नया दैनिक अभ्यास आरम्भ किया है l हर दिन सोते समय, हम रंगीन पेंसिल इकठ्ठा करते हैं और एक मोमबत्ती जलाते हैं l  परमेश्वर से हमारे मार्ग को प्रकाशित करने की प्रार्थना करते हुए, हम अपनी दैनिकी खोलकर दो प्रश्नों के उत्तर को चित्रित करते हैं या लिखते हैं : आज मैंने प्रेम कब प्रदर्शित किया? और आज मैंने प्रेम कब प्रगट नहीं किया?

“आरंभ से” ही पड़ोसी से प्रेम करना मसीही जीवन का एक महत्वपूर्ण भाग रहा है (2 यूहन्ना 1:5) l  यूहन्ना अपनी दूसरी पत्री में अपनी मण्डली को यही लिखते हुए परमेश्वर की आज्ञाकारिता में एक दूसरे से प्रेम करने को कहता है (2 यूहन्ना 1:5-6) l यूहना की पत्री में प्रेम उसका एक पसंदीदा विषय है l उसका कहना है कि वास्तविक प्रेम का अभ्यास यह जानने का एक तरीका है कि हम “सत्य के है,” कि हम परमेश्वर की उपस्थिति में जीवन बिताते है (1 यूहन्ना 3:18-19) l जब मेरे बच्चे और मैं विचार करते हैं, हम महसूस करते हैं कि हमारे जीवनों में प्रेम साधारण कार्यों में दिखाई देता है : एक छाता को दूसरे के साथ बांटना, किसी दुखित को उत्साहित करना, या एक पसंदीदा भोजन बनाना l वे क्षण जब हम प्रेम को व्यवहारिक नहीं होने देते हैं : हम व्यर्थ बातें करते हैं, दूसरों के साथ कुछ भी नहीं बांटते हैं, या दूसरों की ज़रूरतों की अवहेलना करके अपनी खुद की इच्छा पूरी करते हैं l

रोज़ रात के समय परस्पर एक दूसरे पर ध्यान देने के द्वारा हम और भी सतर्क रहते हैं, और अपने दैनिक जीवन में पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन की ओर और भी उन्मुख होते हैं l आत्मा की सहायता से, हम प्रेम में चलना सीख रहे हैं (2 यूहन्ना 1:6) l