भय हमें स्तंभित कर सकता है l हम सब भयभीत होने के कारण जानते हैं-सबकुछ जिसने अतीत में हमें हानि पहुंचायी है, और सबकुछ जो आसानी से पुनः हमें नुक्सान पहुँचा सकती है l इसलिए कभी-कभी हम अटक जाते हैं-लौटने में असमर्थ, आगे बढ़ने में अत्यधिक भयभीत l मैं बिलकुल असमर्थ हूँ l मैं इतना तीव्र बुद्धि वाला नहीं हूँ, इतना ताकतवर नहीं हूँ, अथवा मैं पुनः इस तरह की हानि को नहीं संभाल सकता हूँ l

लेखक फ्रेडरिक बुएच्नेर जिस प्रकार परमेश्वर के अनुग्रह का वर्णन करते हैं उससे मैं मुग्द हूँ :
“एक धीमी आवाज़ जो कहती है, “यहाँ यह संसार है l भयानक और खूबसूरत बातें होंगी l भयभीत न होना l मैं तुम्हारे साथ हूँ l”

भयानक बातें होंगीं l  हमारे संसार में, चोटिल लोग दूसरों को चोट पहुंचाते हैं, कभी-कभी अत्यधिक चोट l भजनकार दाऊद की तरह, हमारे चारोंओर की बुराइयों की हमारी अपनी कहानियाँ हैं, जब, “सिंहों,” की तरह अन्य लोग हमें हानि पहुंचाते हैं (भजन 57:4) l और इसलिए हम दुखित होते हैं; हम पुकारते हैं (पद.1-2) l

किन्तु इसलिए कि परमेश्वर हमारे साथ है, हमारे साथ खूबसूरत बातें भी होंगी l जब हम अपनी चोट और भय के साथ उसके निकट जाते हैं, हम खुद को ऐसे महान प्रेम से घिरा हुआ  पाते हैं जहां कोई भी ताकत हमारी हानि नहीं कर सकती(पद.1-3), ऐसी करुणा जो स्वर्ग तक है (पद.10) l विनाश के हमारे चारों ओर होने के बावजूद, उसका प्रेम हमारे हृदयों के लिए स्थिर आश्रय है (पद.1,7) l उस दिन तक जब हम नूतन साहस प्राप्त करके, उसकी विश्वासयोग्यता का गीत गाकर उस दिन का स्वागत करेंगे (पद.8-10) l