इस्राएल के याद वाशेम के हौलोकास्ट म्यूजियम में मैं और मेरे पति राष्ट्रों में धार्मिक बगीचे में गए, जो उन पुरुष और महिलाओं के सम्मान में है जिन्होंने यहूदियों के सर्वनाश के समय यहूदी लोगों को बचाने के अपने प्राणों की आहूति दी थी । मेमोरियल को देखते हुए हमारी भेंट नीदरलैंड से आए एक समूह से हुई। एक महिला उस बड़े पत्थरों पर अपने दादा-दादी का नाम खोजने के लिए आई थी। युक्ति के साथ हम ने उसके परिवार की कहानी के बारे में पूछा।

रेजिस्टेंस नेटवर्क के सदस्य, उस महिला के दादा-दादी रेव. पीटर और आद्रिआना ने एक यहूदी लड़के को अपने घर में आने दिया और उसे 1943-1945 तक अपने आठ बच्चों में सबसे छोटे बच्चे के रूप में रखे रखा।

उस कहानी से भावुक हो कर हम ने पूछा, “क्या वह लड़का जीवित बचा?” उस समूह से एक वृद्ध भद्रपुरुष आगे आया और बोला, “मैं वह छोटा लड़का हूँ!”

यहूदियों के लिए अनेक लोगों की वीरता मुझे रानी एस्तेर की याद दिलाती है। हो सकता है 350 ईस्वी में रानी ने सोचा कि वह राजा क्षयर्ष के यहूदियों को मार डालने के आदेश से बच सकती थी, क्योंकि उसने अपनी पहचान को छिपाए रखा था। परन्तु वह यह कार्य करने के ली कायल हो गई-यहाँ तक कि मृत्यु तक के जोखिम में-जब उसके चचेरे भाई ने उससे यहूदी विरासत के बारे में शांत न रहने की दोहाई दी क्योंकि उसे “ऐसे समयों के लिए ही” उस पद पर रखा गया था (एस्तेर 4:14)।

हो सकता है हमें कभी भी ऐसा नाटकीय निर्णय लेने के लिए कभी न कहा जाए। परन्तु सम्भव है हमें एक अन्याय के बारे में बोलने या शान्त रहने; मुसीबत में किसी की सहायता करने या छोड़ देने के चुनाव का सामना करना पड़े। परमेश्वर हमें साहस प्रदान करे।