हमारे चर्च के छः लोगों के एक परिवार के घर में भयानक आग लग गयी l यद्यपि पिता और पुत्र बच गए, पिता अभी भी अस्पताल में भर्ती थे जबकि उसकी पत्नी, माँ, और दो छोटे बच्चों की मृत्यु हो गयी l दुर्भाग्यवश, इस प्रकार की दिल दहला देनेवाली घटनाएं बार-बार होती रहती हैं l जब उनकी पुनरावृति होती है, उसी तरह वह पुराना प्रश्न भी है : अच्छे लोगों के साथ बुरी बातें क्यों होती हैं? और यह हमें चकित नहीं करता कि इस पुराने प्रश्न के नए उत्तर नहीं हैं l

फिर भी भजन 46 में भजनकार द्वारा बताया गया सच दोहराया गया है और उसका अभ्यास किया गया  है और बार-बार अपनाया गया है l “परमेश्वर हमारा शरणस्थान और बल है, संकट में अति सहज से मिलनेवाला सहायक” (पद.1) l पद. 2-3 में वर्णित स्थिति विनाशकारी है – पृथ्वी और पहाड़ का समुद्र में डाल दिया जाना और समुद्र का गर्जना l जब हम आंधी में घिरे होने की कल्पना करते हैं हम भयभीत होते हैं जिसका वर्णन यहाँ पर काव्यात्मक रूप से किया गया है l किन्तु कभी-कभी हम ज़रूर अपने को वहाँ पाते हैं – लाइलाज बीमारी की बढ़ती पीड़ा में, विनाशकारी आर्थिक संकट के द्वारा उछाले जाने में,  प्रिय लोगों की मृत्यु द्वारा आहत और निस्तब्ध l

परेशानियों की उपस्थिति का अर्थ परमेश्वर की अनुपस्थितीत है पर तर्क संगत व्याख्या करना प्रलोभक है l परन्तु वचन का सच ऐसे विचारों का विरोध करता है l “सेनाओं का यहोवा हमारे संग है; याकूब का परमेश्वर हमारा ऊंचा गढ़ है” (पद.7,11) l जब हमारी स्थितियां बर्दाश्त करने से बाहर होती है वह उपस्थित होता है, और हम उसके चरित्र में आराम पाते हैं : वह अच्छा, प्रेमी और विश्वासयोग्य है l