लोकप्रिय फ़्रांसिसी कलाकार एडगर दिगास अपने बैले नर्तकियों(ballerinas) के पेंटिंग के लिए विश्व भर में याद किए जाते हैं l उन्होंने अपने मित्र एवं कलात्मक विरोधी एडौर्ड मेनेट, एक और माहिर पेंटर के प्रति जो इर्ष्या प्रगट की वह कम प्रगट है l एडगर मेनेट के विषय कहते हैं, “जो कुछ वह करता है हमेशा ही तुरंत आरंभ कर देता है, जबकि मैं बेहद कोशिश करता हूँ और उसके बाद भी सही नहीं कर पाता हूँ l”

ईर्ष्या, एक विचित्र भाव है – जिसे प्रेरित पौलुस ने सबसे खराब लक्षणों की सूची में रखा है, “सब प्रकार के अधर्म, और दुष्टता, और लोभ, और वैरभाव और डाह, और हत्या, और झगड़े, और छल, और ईर्ष्या . . . और चुगलखो[री]” (रोमियों 1:29) l पौलुस लिखता है कि यह मूर्खतापूर्ण सोच का परिणाम है – परमेश्वर के स्थान पर मूर्तियों की उपासना करने का परिणाम (पद.28) l

लेखिका ख्रिसटीना फॉक्स कहती हैं कि जब विश्वासियों के मध्य ईर्ष्या बढ़ती है, यह इसलिए है “क्योंकि हमारे हृदय हमारे एकमात्र सच्चे प्रेम से फिर गए हैं l” उसने कहा, “हमारी ईर्ष्या में हम यीशु की ओर देखने के बजाए इस संसार के घटिया सुख के पीछे भाग रहे होते हैं l परिणाम, हम भूल गए हैं हम किसके हैं l”

फिर भी एक समाधान है l परमेश्वर की ओर लौट जाएँ l पौलुस ने लिखा, “अपने अंगों को . . . परमेश्वर को सौंपों” (रोमियों 6:13) – विशेषकर अपने कार्य और जीवन l अपने एक अन्य पत्री में पौलुस ने लिखा, “पर हर एक अपने ही काम को जांच ले, और तब दूसरे के विषय में नहीं परन्तु अपने ही विषय में उसको घमण्ड करने का अवसर होगा” (गलतियों 6:4) l

परमेश्वर की आशीष के लिए धन्यवाद – केवल वस्तुएं नहीं, परन्तु उसके अनुग्रह की स्वतंत्रता के लिए l परमेश्वर द्वारा दिए गए अपने दानों को देखते हुए, हम पुनः संतोष प्राप्त करते हैं l