एक मसीही संस्था का उद्देश्य/मिशन क्षमा की चंगाई प्रकृति को बढ़ावा देना है l उनकी एक आकर्षक गतिविधि में एक लघु नाटिका शामिल है जिसमें हानि सहने और हानि पहुँचानेवाले को पीठ से पीठ लगाकर एक रस्सी से बांध दिया जाता है l जिसके विरुद्ध पाप किया गया है केवल वही रस्सी खोल सकता है l चाहे वह जो भी करे, कोई तो उसके पीठ पर है l क्षमा किये बिना – रस्सी खोले बिना – वह छुट नहीं सकता है l

किसी को क्षमा की पेशकश जो अपनी गलती के लिए खेद के साथ हमारे पास आता है हमारी और उनकी उस कड़वाहट और पीड़ा से निकलने की प्रक्रिया है जो हमारे द्वारा सहन की गयी गलातियों के लिए हमसे सख्ती से चिपक सकती है l उत्पत्ति में, हम याकूब द्वारा एसाव के पहिलौठे का अधिकार चुराने के बाद, दो भाइयों को बीस वर्षों तक एक दूसरे से अलग देखते हैं l इस लम्बे समय के बाद, परमेश्वर ने याकूब को अपनी जन्मभूमि लौटने को कहा (उत्पत्ति 31:3) l उसने आज्ञा मानी, परन्तु घबराहट के साथ, अपने आगे एसाव को भेंट स्वरुप पशुओं के झुंड भेजे (32:13-15) l जब भाई आपस में मिले, याकूब एसाव के पैरों पर गिरकर सात बार दण्डवत की (33:3) l उसके आश्चर्य की कल्पना करें जब एसाव दौड़कर उसे गले लगा लिया, और दोनों अपने मेल-मिलाप पर रो रहे थे (पद.4) l याकूब अब उस पाप से बिल्कुल छूट गया था जो उसने अपने भाई के विरुद्ध किया था l

क्या आप क्षमा न करने, क्रोध, भय, अथवा लज्जा के कैद में हैं? यह जान लें कि परमेश्वर अपने पुत्र और पवित्र आत्मा के द्वारा आपको छुटकारा दे सकता है जब आप उसकी सहायता मांगते हैं l वह किसी भी रस्सी को खोलने और आपको स्वतंत्र करने की प्रक्रिया आरंभ करने में आपको योग्य बनेगा l