Month: जुलाई 2019

और दौड़ने/भागने की ज़रूरत नहीं

जुलाई 18, 1983 को, एक अमरीकी एयर फ़ोर्स कप्तान न्यू मेक्सिको के एबुकर्की से लापता हो गया, जिसका सुराग नहीं मिला l पैतीस वर्षों के बाद, वह अधिकारियों को कैलिफोर्निया में मिला l न्यूयॉर्क टाइम्स  अखबार बताता है कि, वह “अपने काम से निराश होकर,” यूँ ही भाग गया था l

परन्तु मुझे भी स्वीकार करना होगा, मैं भी कुछ-कुछ “बचने की स्थिति” के विषय जानता हूँ l नहीं, मैंने अचानक से शारीरिक रूप से कभी भी अपने जीवन में बचने की कोशिश नहीं की है l परन्तु कभी-कभी मुझे ज्ञात है कि कुछ है जो परमेश्वर चाहता है कि मैं करूँ, कुछ जिसका मैं सामना करूँ या अंगीकार करूँ l मैं उसे करना नहीं चाहता l और इसलिए, मैं भी  अपने तरीके से बचना चाहता हूँ l

योना नबी, वस्तुतः नीनवे नगर में परमेश्वर के प्रचार करने के निदेश से बचने के लिए बदनाम है (देखें योना 1:1-3) l परन्तु, वास्तव में, वह परमेश्वर से आगे नहीं निकल सकता था l शायद आपने सुना होगा कि क्या हुआ (पद.4,17) : एक आंधी l एक महामच्छ l निगला जाना l और उस प्राणी के पेट में, हिसाब-किताब, जिसमें योना ने अपने कार्यो का सामना किया और परमेश्वर से सहायता मांगी (2:2) l

योना एक सिद्ध नबी नहीं था l परन्तु में उसकी अद्भुत कहानी में आराम पाता हूँ, क्योंकि, योना के ढिठाई के बावजूद, परमेश्वर ने उसे अपने से दूर जाने नहीं दिया l प्रभु ने फिर भी उस मनुष्य की हताश प्रार्थना सुन ली, अपने अनिच्छुक सेवक को अनुग्रह से पुनर्स्थापित कर दिया (पद.2) – जैसा वह हमारे साथ करता हैं l

श्रेष्ठ हस्तक्षेप

बारबरा की परवरिश 1960 के दशक में ब्रिटिश सरकार की देखरेख में हुयी, परन्तु जब वह सोलह साल की हुयी, वह और उसका नवजात पुत्र, साइमन, बेघर हो गए l राज्य उसके लिए उस उम्र में प्रबंध करने के लिए अब और बाध्य नहीं था l बारबरा ने इंग्लैंड की रानी से सहायता मांगी और उत्तर प्राप्त की! रानी ने सहानुभूतिपूर्वक बारबरा के लिए एक घर का प्रबंध कर दिया l

इंग्लैंड की रानी के पास बारबरा की सहायता करने के लिए सही संसाधन थे, और उसकी सहानुभूतिपूर्ण सहायता परमेश्वर की सहायता का एक छोटा प्रतिरूप हो सकता है l स्वर्ग का राजा हमारी सभी ज़रूरतें जानता है और प्रमुखता से हमारे जीवनों में अपनी योजनाएं पूरी करता है l करते समय, हालाँकि, वह चाहता है हम उसके पास जाएँ, उसके साथ प्रेमी सम्बन्ध के तौर पर  – अपनी ज़रूरतें और दूसरी चिंताएं साझा करें l

इस्राएलियों ने छुटकारे की अपनी ज़रूरत को परमेश्वर के पास लेकर आए l वे मिस्री दासत्व के बोझ के नीचे दुःख उठा रहे थे और उन्होंने सहायता मांगा l वह उनकी सुनकर उसने अपनी प्रतिज्ञा को याद किया : “परमेश्वर ने इस्राएलियों पर दृष्टि करके उन पर चित्त लगाया” (निर्गमन 2:15) l उसने मूसा से उसके लोगों को छुटकारा देने को कहा और घोषणा की कि वह एक बार फिर उनको छुड़ाकर “एक अच्छे और बड़े देश में, जिसमें दूध और मधु की धाराएं बहती है” पहुँचाएगा (3:8) l

हमारा राजा पसंद करता है कि हम उसके पास जाएँ! वह बुद्धिमानी से हमारी ज़रूरतों का प्रबंध करता है, ज़रूरी नहीं कि जो हमारी इच्छा है l उसके श्रेष्ठ, प्रेमी प्रबंध में विश्राम करें l

परमेश्वर अधिक सामर्थी है

एक दक्षिण अफ़्रीकी आखेट निरीक्षक, गाइल्स केल्मैनसन, एक अविश्वसनीय दृश्य का वर्णन करता है : दो बिज्जू (Honey badgers) छः शेरों के समूह का सामना कर रहे थे l संख्या में कम होने के बावजूद, बिज्जू हिंसक परभक्षी शरों से पीछे नहीं हटे जो उनसे आकर में दस गुना बड़े थे l शेरों ने सोचा था शिकार आसान होगा, परन्तु विडिओ फुटेज में बिज्जू कुछ चीज़ को लेकर इठलाते हुए जाते दिखायी दिए l 

दाऊद और गोलियात इससे भी अधिक असम्भव कहानी पेश करते हैं l युवा, अनुभवहीन दाऊद भयंकर पलिस्ती गोलियात का सामना करता हैं l इस युवा योद्धा से अत्यंत प्रचंड, गोलियात के पास शारीरिक शक्ति और बेमिसाल हथियार थे – काँस्य का कवच और घातक, धारदार बरची/भाला (1 शमूएल 17:5-6) l दाऊद, एक अनुभवहीन चरवाहा, के पास केवल एक गोफन था जब वह अपने भाइयों के लिए रोटी और पनीर की टिकियाँ लेकर युद्ध के मैदान में पहुँचा (पद.17-18) l

गोलियात ने इस्राएल को लड़ने के लिए ललकारा, परन्तु कोई भी लड़ने के लिए तैयार नहीं था l राजा शाऊल और “और समस्त [इस्राएली] . . . अत्यंत डर गए” (पद.11) l उस दहशत की कल्पना करें जब दाऊद युद्ध में शामिल हुआ l किस ने उसे वह साहस दीया जो किसी भी इस्राएली योद्धा के पास नहीं था? ज्यादातर सभी के लिए, गोलियात उनकी सोच पर हावी था l हालांकि, दाऊद ने परमेश्वर को देखा l वह दृढ़ता से बोला, “यहोवा [गोलियात] को मेरे हाथ में कर देगा” (पद.46) l जबकि बाकी सभी लोग को भरोसा था कि इस कहानी पर गोलियात का नियंत्रण था, उसका विश्वास था कि परमेश्वर अधिक सामर्थी है l और, दाऊद उस भीमकाय व्यक्ति के माथे पर पत्थर से ऐसा मारा कि वह भीतर घुस गया l इस तरह दाऊद का विश्वास सच्चा साबित हुआ l

हमारे पास यह विश्वास करने की परीक्षा आती है कि “गोलियात” (हमारी परेशानियां) कहानी को संचालित करती हैं l परन्तु, परमेश्वर सामर्थी है l वह हमारे जीवनों की कहानी पर प्रभुत्व करता है l

अभी से

जब मेरी सबसे बड़ी बहन के बायोप्सी(ख़ास चिकित्सीय जाँच) ने फरवरी 2017 के अंतिम दिनों में कैंसर प्रगट कर दिया, मैंने अपनी सहेलियों से कहा, “अभी से शुरू करते हुए - मुझे अपनी बहन कैरोलिन के साथ अधिकाधिक समय व्यतीत करना होगा l” कुछ लोगों ने मुझसे कहा कि मेरी भावनाएं उस खबर के प्रति एक अनावश्यक प्रतिक्रिया थी l परन्तु दस महीनों के भीतर उनकी मृत्यु हो गयी l और उनके साथ घंटों बिताने के बावजूद, जब हम किसी से प्रेम करते हैं हमारे हृदयों के पास प्रयाप्त प्रेम करने के लिए प्रयाप्त समय कभी नहीं है l

प्रेरित पतरस ने आरम्भिक कलीसिया में यीशु के अनुयायियों को “एक दूसरे से अधिक प्रेम” (1 पतरस 4:8) रखने का आह्वान किया l वह सताव के अंतर्गत दुःख उठा रहे थे और उनके लिए अपने मसीही समुदाय में अपने भाइयों और बहनों से पहले से अधिक प्रेम करना ज़रूरी था l क्योंकि परमेश्वर ने उनके हृदयों में अपना प्रेम उंडेला था, बदले में वे भी दूसरों को प्रेम करना चाहेंगे l उनका प्रेम प्रार्थना, उदार आतिथ्य, और कोमल और सच्चे संवाद द्वारा प्रगट होना था – सबकुछ परमेश्वर द्वारा दी गयी सामर्थ्य में (पद.9-11) l अपने अनुग्रह के द्वारा, परमेश्वर ने उनको लाभहीन तरीके से उसके नेक उद्देश्य के साथ परस्पर सेवा करने का वरदान किया था l ताकि “सब बातों में यीशु मसीह के द्वारा, परमेश्वर की महिमा प्रगट हो” (पद.11) l यह परमेश्वर की सामर्थी योजना है जो वह हमारे द्वारा पूरी करता है l

हमें दूसरों की और उनको हमारी ज़रूरत है l हम प्रेम करने के लिए परमेश्वर से जितना भी समय या जितने भी संसाधन प्राप्त किये हैं उनका उपयोग करें – अभी से l

अपने प्रचार का अभ्यास

पासवान और संपादक इयूजीन पीटरसन को स्विट्ज़रलैंड के चिकित्सक और उच्च आदर प्राप्त पास्त्रीय परामर्शदाता पॉल टोर्नियर का व्याख्यान सुनने का अवसर मिला l पीटरसन ने डॉक्टर के कार्यों को पढ़ा था, और चंगाई के प्रति उनके दृष्टिकोण की प्रशंसा की थी l व्याख्यान ने पीटरसन पर एक गहरी छाप छोड़ी l जब वे सुन रहे थे, उनको महसूस हुआ कि टोर्नियर के कथनी और करनी में अंतर नहीं था l पीटरसन ने अपने अनुभव का वर्णन करने के लिए इस शब्द का चुनाव किया : “अनुरूपता l यह सबसे अच्छा शब्द है जो मैं ढूढ़ सकता हूँ l”

अनुरूपता (Congruence) – इसको कुछ लोग ”अपने प्रचार का अभ्यास करना” या “अपनी कथनी को करनी में बदलना” संबोधित करते हैं l प्रेरित यूहन्ना बल देते हैं कि यदि हममें से कोई “यह कहता है कि मैं ज्योति में हूँ और अपने भाई से बैर रखता” है तो वह अब तक “अन्धकार ही में है” (1 यूहन्ना 2:9) l निष्कर्ष यह है, हमारे जीवन और हमारे कार्य बस मेल नहीं खाते हैं l यूहन्ना आगे कहता हैं कि ऐसे लोग “नहीं [जानते] कि कहाँ [जाते] हैं” (पद.11) l यह शब्द जिसका उन्होंने यह बताने के लिए चुनाव किया कि परस्पर-विरोधी हमें किस प्रकार छोड़ जाता है? दृष्टिहीन l

वचन के प्रकाश को हमारे मार्गों को आलोकित करने की अनुमति देने के द्वारा परमेश्वर के साथ निकटता से पंक्तिबद्ध रहकर जीवन जीना हमें दृष्टिहीन होने से बचाता है l परिणाम एक धर्मी दृष्टिकोण होता है जो हमारे दिनों को स्पष्टता देता है और उन्हें केन्द्रित करता है – हमारी कथनी और करनी अनुरूप होते हैं l जब दूसरे यह देखते हैं, प्रभाव आवश्यक रूप से किसी ऐसे व्यक्ति का नहीं है जिसे सभी स्थान की जानकारी है जहाँ वह जा रहा है, परन्तु ऐसे व्यक्ति का है जो स्पष्टता से जानता है वह किसका अनुगामी है l