Month: सितम्बर 2019

सहज उपाए

पार्क के गाइड का अनुसरण करते हुए, मैंने कुछ नोट्स लिख लिए जब वह बहामा के अतिप्राचीन जंगल के वनस्पतियों के विषय बता रहा था l उसने हमें बताया कि किन पेड़ों से दूर रहना था l उसने कहा, “जहरली लकड़ी वाले पेड़ से काला रस निकलता है जिससे दर्द करनेवाली खुजली हो जाती है l परन्तु चिंता की कोई बात नहीं है! उसका इलाज उसी के निकट वाले पौधे में है l उसने बताया, “गोंध वाले धूप/धूना के पेड़ के लाल छाल को काटकर  उसके रस को खुजली पर मल दीजिए l वह तुरंत ठीक होना शुरू हो जाएगा l”

आश्चर्य से मेरी पेंसिल गिरने से बची l मैंने उस जंगल में उद्धार की तस्वीर पाने की आशा नहीं की थी l परन्तु मैंने गोंध वाले धूप के पेड़ में यीशु को देखा l जहां भी पाप का जहर पाया जाता है वह सहज उपाए है l उस पेड़ के लाल छाल की तरह, यीशु का लहू चंगाई देता है l

नबी यशायाह समझ गया था कि मानवता को चंगाई की ज़रूरत थी l पाप की खुजली ने हमें प्रभावित की थी l यशायाह ने प्रतिज्ञा की कि हमारी चंगाई “उस दुखी पुरुष” की ओर से आने वाली थी जो हमारी दुखों को अपने ऊपर ले लेगा (यशायाह 53:3) l वह व्यक्ति यीशु था l हम बीमार थे, परन्तु मसीह हमारे बदले घायल होने को तैयार था l जब हम उस पर विश्वास करते हैं, हम पाप की बीमारी से चंगाई पाते हैं (पद.5) l जो चंगाई प्राप्त कर चुके हैं उनके समान जीना सीखने में पूरा जीवन लग सकता है अर्थात् अपने पापों को पहचानकर अपने नए मनुष्त्व के पक्ष में उनको अस्वीकार करना – परन्तु यीशु के कारण, हम कर सकते हैं l

मैं कौन हूँ?

डेव अपने काम का आनंद लेता था, परन्तु काफी समय से वह कुछ और के प्रति खिंचाव महसूस कर रहा था l अब वह मिशन के कार्य में कदम रखकर अपने सपने को पूरा करना चाहता था l परन्तु, उसे असाधारण रूप से गंभीर शंका होने लगी थी l  

उसने अपने एक मित्र से कहा, “मैं इसके योग्य नहीं हूँ l मिशन बोर्ड मेरी वास्तविकता को नहीं जानती है l मैं बहुत अच्छा नहीं हूँ l”

डेव की संगति काफी अच्छी है l मूसा का नाम लीजिए और हम अगुवाई, सामर्थ्य, और दस आज्ञा के विषय सोचते हैं l हम भूल जाते हैं कि एक व्यक्ति की हत्या करने के बाद मूसा मरुभूमि में भाग गया था l हम भगोड़े के रूप में उसके चालीस वर्षों को नहीं देखते l हम उसके क्रोधित होने की समस्या और परमेश्वर को हाँ कहने की उसकी तीव्र हिचकिचाहट को नज़रअंदाज़ करते हैं l

जब परमेश्वर ने आगे बढ़ने के आदेश के साथ आह्वान किया (निर्गमन 3:1-10), मूसा ने मैं-बहुत-अच्छा-नहीं-हूँ वाला पत्ता फेंका l वह परमेश्वर के साथ एक लम्बा तर्क-वितर्क भी किया, और उससे पूछा : “मैं कौन हूँ?” (पद.11) l उसके बाद परमेश्वर ने मूसा से कहा कि वह कौन था : “मैं जो हूँ सो हूँ” (निर्गमन 3:14) l हमारे लिए उस रहस्यमय नाम को समझाना असंभव है क्योंकि हमारा अवर्णनीय परमेश्वर मूसा को अपनी अनंत उपस्थिति बता रहा रहा है l

अपनी निर्बलता को समझना स्वास्थ्यप्रद है l परन्तु यदि हम परमेश्वर को हमें उपयोग करने से रोकने के लिए उसको एक बहाने के रूप में इस्तेमाल करते हैं हम उसका अपमान करते हैं l परमेश्वर बहुत अच्छा नहीं है, यही हम वास्तव में कहना चाह रहे हैं l

प्रश्न यह नहीं कि हम कौन हैं? प्रश्न यह है कि मैं हूँ कौन है?

“वह मात्र कार्यालय था”?

मैं उत्तरी इंग्लैंड के लानकशायर में लहरदार, हरियाली से भरी पहाड़ियों को टकटकी नगाहों से देखती रही, पत्थरों के बाड़े जिनके अन्दर कुछ भेड़ पहाड़ियों पर चर रहीं थी l दीप्त आसमान में मोटे बादल उड़ रहे थे और मैंने उस नज़ारे का गहराई से आनंद लिया l जब मैंने रिट्रीट सेंटर की महिला कर्मी से इस खुबसूरत दृश्य के विषय चर्चा की जिसका मैं भ्रमण कर रही थी, उसने कहा, “आप जानती हैं, मैंने अतिथियों के बताने से पूर्व कभी भी यह ध्यान नहीं दिया l हम यहाँ पर वर्षों से रहते हैं; और जब हम किसान थे, यह मात्र कार्यालय था!”

हम सरलता से उस उपहार को खो सकते हैं जो ठीक हमारे सामना है, विशेषकर वह सुन्दरता जो हमारे दैनिक जीवनों का हिस्सा है l हम उन खुबसूरत तरीकों को भी आसानी से भुला सकते हैं जिसके द्वारा परमेश्वर प्रतिदिन हमारे अन्दर और हमारे चारों ओर कार्य करता है l परन्तु यीशु में विश्वासी परमेश्वर की आत्मा से अपनी आत्मिक आँखों को खोलने के लिए कह सकते हैं ताकि हम समझ सकें वह कैसे कार्य करता है, जिस प्रकार पौलुस ने इफिसियों के विश्वासियों को अपने पत्र में लिखा l पौलुस की यह हार्दिक इच्छा थी कि उनकी मन की आँखें ज्योतिर्मय हों कि वे परमेश्वर की आशा, प्रतिज्ञात भविष्य, और सामर्थ्य को जान लें (पद.18-19) l 

मसीह की आत्मा का परमेश्वर का उपहार हमारे अन्दर और हमारे द्वारा उसके कार्य के प्रति हमें जगा सकता है l उसके साथ, जो किसी समय “मात्र एक कार्यालय” दिखाई देता था उसकी ज्योति और महिमा को प्रदर्शित करने वाला एक स्थान के रूप में जाना जा सकता है l

ऐसा जीवन जीएं मानो यीशु आनेवाला है

मैं लोक गायक टिम मैग्राव के गीत “लिव लाइक यू वर डाईंग(Live Like You Were Dying)” से प्रेरित हूँ  l उस गीत में वह ऐसे रोमांचक अनुभवों की सूची प्रस्तुत करता है जो एक व्यक्ति ने अपने स्वास्थ्य के विषय बुरी खबर सुनकर किया l उसने लोगों से प्रेम करना और उनको अधिक स्वतंत्र रूप से क्षमा करने का भी चुनाव किया और उनसे अधिक कोमलता से बातचीत भी करने लगा l गीत सिफारिश करता है कि हम अच्छी तरह जीवन व्यतीत करें, मानों यह जानते हुए कि हमारे जीवनों का अंत जल्द होने वाला है l

यह गीत हमें याद दिलाता है कि हमारा समय सीमित है l हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि जो हमें आज करना है हम उसे कल के लिए न छोड़े, क्योंकि एक दिन आनेवाला कल नहीं होगा l यह विश्वासियों के लिए ख़ास तौर पर ज़रूरी है, जो विश्वास करते हैं कि यीशु किसी भी क्षण आ सकता है (शायद उसी क्षण जब आप इस वाक्य को पढ़ रहें हैं!) l यीशु हमसे तैयार रहने की विनती करता है, और उन पांच “कुवारियों” की तरह जीवन जीने के लिए मना करता है जो दूल्हे के लौटने पर तैयार नहीं थीं (मत्ती 25:6-10 l

परन्तु मैग्राव का गीत पूरी कहानी नहीं बताता है l हम यीशु से प्रेम करनेवालों के पास आनेवाले कल की कमी नहीं होगी l यीशु ने कहा, “पुनरुत्थान और जीवन मैं हूँ; जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए तौभी जीएगा” (यूहन्ना 11:25-26) l उसमें हमारे जीवन का कभी अंत नहीं होता है l

इसलिए इस तरह न जीएं जैसे आपकी मृत्यु होने वाली है l क्योंकि आपकी मृत्यु नहीं होगी l इसके बदले, ऐसा जीवन व्यतीत करें मानो यीशु आनेवाला है l क्योंकि वह ज़रूर आनेवाला है!