वह रेस्टोरेंट एकांत में था परन्तु अँधेरा l हर एक मेज़ पर केवल एक छोटी मोमबत्ती टिमटिमा रही थी l प्रकाश लाने के लिए, भोजन करनेवाले अपनी व्यंजन-सूची पढ़ने के लिए अपने  स्मार्टफोन्स का उपयोग कर रहे थे, अपने साथ भोजन करनेवालों की ओर देखते थे और यह भी कि वे क्या खा रहे थे l

आख़िरकार, एक ग्राहक अपनी कुर्सी पीछे खिसकाकर उठा, वेटर के पास गया, और एक साधारण प्रश्न पुछा l “क्या आप बत्तियां जला सकते हैं?” तुरंत, ऊँचाई पर की एक तेज़ बत्ती जल गयी और कमरे में उच्च प्रशंसा ध्वनि सुनाई दी l परन्तु हंसी भी l और उल्लासपूर्ण बातचीत भी l और ढेर सारे धन्यवाद l मेरी सहेली के पति ने अपना फोन बंद कर दिया, अपने बरतनों को उठाया, और हममें से हर एक के लिए बोला l “और उजियाला हो! अब, हम भोजन करना आरम्भ करें!”

हमारी सूनी शाम स्विच के दबाने से उत्सव में बदल गयी l परन्तु सच्ची ज्योति के वास्तविक श्रोत को जानना कितना अधिक महत्वपूर्ण है l परमेश्वर स्वयं ही सृष्टि को बनाते समय पहले दिन चौकानेवाले शब्द उच्चारित किये, “उजियाला हो,” तो उजियाला हो गया (उत्पत्ति 1:3) l उसके बाद “परमेश्वर ने उजियाले को देखा कि अच्छा है” (पद.4) l

प्रकाश हमारे लिए परमेश्वर के महान प्रेम को दर्शाता है l उसका प्रकाश हमें “जगत की ज्योति” यीशु की ओर इशारा करता है (युहन्ना 8:12), जो पाप के अंधकार से निकलने में हमारा मर्क्दर्शन करता है l प्रकाश में चलने से, हमें उसके पुत्र को महिमान्वित करनेवाला, जीवन का प्रकाशमान पथ मिलता है l वह संसार का सबसे प्रकाशमान उपहार है l जब वह चमकता है, हम उसके मार्ग पर चल सकें l