कवि कार्ल सैंडबर्ग ने पूर्व अमेरिकी राष्टपति अब्राहम लिंकन के बारे में लिखा,  “कभी-कभी ही मानव जाति की कहानी में पृथ्वी पर आनेवाला एक व्यक्ति सख्त और कोमल दोनों होता है, . . . जिसके हृदय और मस्तिष्क में भयानक तूफ़ान और बयान से बाहर और सिद्ध शांति का विरोधाभास होता है l” “सख्ती और कोमलता” वर्णन करता है कि किस प्रकार लिंकन ने स्वतंत्रता की लालसा रखनेवाले व्यक्तियों के लिए चिंता के साथ अपने पद की ताकत को संतुलित किया l

सम्पूर्ण इतिहास में केवल एक व्यक्ति ने सामर्थ्य और कोमलता, ताकत और करुणा को पूर्णतया संतुलित किया l वह व्यक्ति यीशु मसीह है l  युहन्ना 8 में, जब धार्मिक अगुओं ने एक दोषी स्त्री को अपराधी ठहराने के लिए यीशु का सामना किया, उसने सख्ती और कोमलता दोनों ही प्रदर्शित किया l उसने रक्त-पिपासु भीड़ की मांगों का विरोध किया, और इसके बदले उनकी आलोचनात्मक दृष्टि को उन्हीं की ओर कर दिया l  उसने उनसे कहा, “तुम में जो निष्पाप हो, वही पहले उसको पत्थर मारे” (पद.7) l उसके बाद यीशु ने स्त्री से यह कहते हुए, “मैं भी तुम पर दण्ड की आज्ञा नहीं देता; जा, और फिर पाप न करना” (पद.11) करुणा की कोमलता का नमूना दर्शाया l

पिता का हमें यीशु के समान बनाने के कार्य को हम उसकी “सख्ती और कोमलता” को हमारे अपने प्रत्युत्तर में प्रतिबिंबित करके प्रगट कर सकते हैं l हम संसार को उसका हृदय दिखा सकते हैं जो करुणा की कोमलता और न्याय की सख्ती दोनों ही का भूखा है l