पैरों के लिए खुशखबरी
उस विज्ञापन ने मेरे चेहरे पर मुस्कराहट ला दिया : “पैरों के इतिहास में सबसे आरामदायक मोज़े l” फिर, आगे भी पैरों के लिए अच्छी खबर के अपने दावे का विस्तार करते हुए, विज्ञापनदाता ने कहा कि क्योंकि मोज़े बेघर आश्रयों में सबसे अधिक अनुरोध किये गए कपड़ों की वस्तु बने हुए हैं, इसलिए ख़रीदे गए प्रत्येक जोड़ी मोज़े के लिए कंपनी ज़रुरतमंद किसी व्यक्ति को एक जोड़ो दान करेगी l
उस मुस्कराहट की कल्पना कीजिए, जब यीशु ने एक ऐसे व्यक्ति के पैर ठीक किये, जो अड़तीस साल तक चलने में सक्षम नहीं था (युहन्ना 5:2-8) l अब मंदिर के अधिकारियों के चेहरों पर विपरीत नज़र देखें जो यीशु द्वारा किसी के पैरों या हृदय की चंगाई से जो इतने लम्बे समय तक बिना किसी मदद का था प्रभावित नहीं थे l उन्होंने उस व्यक्ति और यीशु पर एक धार्मिक कानून तोड़ने का आरोप लगाया जो सब्त के दिन काम करने की अनुमति नहीं देता था (पद.9-10, 16-17) l जहाँ यीशु ने करुणा की आवश्यकता देखी उन्होंने नियम को देखा l
इस बिंदु पर वह व्यक्ति भी नहीं जानता था कि किसने उसे नए पैर दिए थे l केवल बाद में वह बोलने में सक्षम होने वाला था कि वह यीशु ही था जिसने उसे चंगा किया था (पद.13-15) – वही यीशु जिसने उस व्यक्ति के लिए – और हम सब के लिए अपने पैरों को काठ पर ठोकने की अनुमति देता – टूटी देह, मन, और हृदयों के इतिहास में सर्वोत्तम खबर l
प्रेमोत्सव
एक डैनिश फिल्म बैबेट फीस्ट (Babette’s Feast) में, एक तटीय गाँव में एक फ्रांसीसी शरणार्थी दिखाई देता है l समाज के धार्मिक जीवन की अगुआई करनेवाली, दो वृद्ध बहनें, उसे अपने घर के भीतर ले जाती हैं और चौदह वर्ष के लिए बैबेट उनकी सेविका के रूप में काम करती है l जब बैबेट ढेर सारा पैसा कमा लेती हैं वह बारह लोगों की मंडली को अपने साथ असाधारण फ्रांसीसी भोजन और बहुत कुछ और खाने को आमंत्रित करती है l
एक भोजन खाने के बाद दूसरा भोजन खाना आरंभ करते के दौरान, अतिथि सुस्ताते हैं; कुछ लोग क्षमा पाते हैं, कुछ प्रेम को फिर से जागृत पाते हैं, और कुछ लोग उन आश्चर्यक्रमों को याद करने लगते हैं जो उन्होंने देखे थे और सच्चाइयाँ जो उन्होंने बचपन में सीखे थे l “याद करें कि हमें क्या सिखाया गया था?” वे कहते हैं l “छोटे बच्चे, एक दूसरे से प्यार करो l” जब भोजन समाप्त होता है, बैबेट बहनों को बताती है कि उसने भोजन पर अपना सब कुछ खर्च दिया l उसने सब कुछ दे दिया – जिसमें पेरिस में प्रसिद्द रसोइया के अपने पुराने जीवन में लौटने का कोई अवसर भी शामिल था – इसलिए कि भोजन खाने वाले उसके मित्र अपने हृदयों को खुला महसूस कर सकें l
यीशु धरती पर एक अजनबी और सेवक के रूप में आया, और उसने सब कुछ दे दिया ताकि हमारी आत्मिक भूख संतुष्ट हो जाए l युहन्ना रचित सुसमाचार में, वह अपने सुननेवालों को याद दिलाता है कि जब उनके पूर्वज मरुभूमि में भूखे भटक रहे थे, परमेश्वर ने बटेर और रोटी का प्रबंध किया (निर्गमन 16) l उस भोजन ने थोड़े समय के लिए संतुष्ट किया, परन्तु यीशु प्रतिज्ञा करता है कि जो उन्हें “जीवन की रोटी” के रूप में ग्रहण करते हैं “हमेशा तक जीवित रहेंगे” (युहन्ना 6:48, 51) l उसका बलिदान हमारी आत्मिक लालसा को संतुष्ट करता है l
दूसरी श्रेणी नहीं
प्रथम विश्व युद्ध के समापन के बाद, अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन को पृथ्वी पर सबसे शक्तिशाली नेताओं में से एक के रूप में मान्य्ता दी गयी थी l परन्तु कम ही लोग जानते थे कि 1919 में विनाशकारी हृदयाघात के बाद, यह उनकी पत्नी ही थी जिन्होनें उनके सभी मामलों को प्रबंधित किया, यह निर्धारित करते हुए कि किन मामलों को उनके ध्यान में लाया जाना चाहिए l वास्तव में आधुनिक इतिहासकारों का मानना है कि थोड़े समय के लिए, यह वास्तव में इडिथ विल्सन ही थी जिन्होनें संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में सेवा की थी l
यदि आरंभिक कलीसिया के अगुओं के नाम पूछें जाएँ, तो हममें से अधिकाँश पतरस, पौलुस, और तीमुथियुस को मुट्ठीभर व्यक्तियों के रूप सूचीबद्ध करते हैं जिनके पास प्रलेखित वरदान थे l परन्तु रोमियों 16 में, पौलुस ने विभिन्न पृष्ठभूमि के लगभग चालीस व्यक्तियों को सूचीबद्ध किया है – पुरुष, महिलाएँ, दास, यहूदी, और गैरयहूदी – जिनमें से सभी ने विविध तरीके से कलीसिया के जीवन में योगदान दिया l
और कलीसिया के दूसरे दर्जे के सदस्यों पर विचार करने से दूर, यह स्पष्ट है कि पौलुस ने इन लोगों को सबसे अधिक सम्मान दिया l वह उन्हें प्रेरितों के मध्य उत्कृष्ट बताता है (पद.7) – लोग जिनको यीशु की सेवा करने के लिए सराहा जाना था l
हममें से कई लोग अनुभव करते हैं कि हम कलीसिया में अगुआ बनने के लिए बहुत सामान्य हैं l परन्तु सच्चाई यह है कि हममें से प्रयेक के पास वरदान हैं जिनका उपयोग दूसरों की सेवा और सहायता के लिए किये जा सकते हैं l परमेश्वर की ताकत में, हम अपने वरदानों को उसके आदर के लिए उपयोग करें!
सख्ती और कोमलता
कवि कार्ल सैंडबर्ग ने पूर्व अमेरिकी राष्टपति अब्राहम लिंकन के बारे में लिखा, “कभी-कभी ही मानव जाति की कहानी में पृथ्वी पर आनेवाला एक व्यक्ति सख्त और कोमल दोनों होता है, . . . जिसके हृदय और मस्तिष्क में भयानक तूफ़ान और बयान से बाहर और सिद्ध शांति का विरोधाभास होता है l” “सख्ती और कोमलता” वर्णन करता है कि किस प्रकार लिंकन ने स्वतंत्रता की लालसा रखनेवाले व्यक्तियों के लिए चिंता के साथ अपने पद की ताकत को संतुलित किया l
सम्पूर्ण इतिहास में केवल एक व्यक्ति ने सामर्थ्य और कोमलता, ताकत और करुणा को पूर्णतया संतुलित किया l वह व्यक्ति यीशु मसीह है l युहन्ना 8 में, जब धार्मिक अगुओं ने एक दोषी स्त्री को अपराधी ठहराने के लिए यीशु का सामना किया, उसने सख्ती और कोमलता दोनों ही प्रदर्शित किया l उसने रक्त-पिपासु भीड़ की मांगों का विरोध किया, और इसके बदले उनकी आलोचनात्मक दृष्टि को उन्हीं की ओर कर दिया l उसने उनसे कहा, “तुम में जो निष्पाप हो, वही पहले उसको पत्थर मारे” (पद.7) l उसके बाद यीशु ने स्त्री से यह कहते हुए, “मैं भी तुम पर दण्ड की आज्ञा नहीं देता; जा, और फिर पाप न करना” (पद.11) करुणा की कोमलता का नमूना दर्शाया l
पिता का हमें यीशु के समान बनाने के कार्य को हम उसकी “सख्ती और कोमलता” को हमारे अपने प्रत्युत्तर में प्रतिबिंबित करके प्रगट कर सकते हैं l हम संसार को उसका हृदय दिखा सकते हैं जो करुणा की कोमलता और न्याय की सख्ती दोनों ही का भूखा है l