अमेरिका में मेरे राज्य में, सर्दी शून्य से नीचे तापमान और कभी न ख़त्म होनेवाले बर्फ के साथ क्रूर हो सकती है l एक अत्यंत ठन्डे दिन में, जब मैं जमी हुयी बर्फ को बेलचा से हटा रहा था तो मुझे महसूस हुआ मानो मैंने हज़ार बार हटाया हो l उसी समय हमारा डाकिया अपना चक्कर लगाते हुए थोड़ा रुक कर पूछा कि मैं कैसा हूँ l मैंने उससे कहा कि मुझे सर्दी नापसंद है और इस भारी बर्फ से परेशान हूँ l तब मैंने टिप्पणी की कि ऐसे अति ठन्डे मौसम में उसकी नौकरी बहुत कठिन होगी l उसका प्रत्युत्तर था, “हाँ, लेकिन कम से कम मेरे पास एक नौकरी है l बहुत सारे लोगों के पास नहीं है l मैं आभारी हूँ कि मेरे पास काम है l”

मुझे यह स्वीकार करना होगा कि आभार के उनके व्यवहार से मैंने खुद को काफी दोषी महसूस किया l सब कुछ जिनके लिए हमें धन्यवादी होना चाहिए जीवन की परिस्थितियों के अप्रिय होने पर हम कितनी आसानी से उनको अपनी आँखों से ओझल कर देते हैं l

पौलुस ने कुलुस्से के विश्वासियों से कहा, “मसीह की शांति जिसके लिए तुम एक देह होकर बुलाए भी गए हो, तुम्हारे हृदय में राज्य करे; और तुम धन्यवादी बने रहो” (कुलुस्सियों 3:15) l उसने थिस्सलुनीकियों को लिखा, “हर बात में धन्यवाद करो; क्योंकि तुम्हारे लिए मसीह यीशु में परमेश्वर की यही इच्छा है” (1 थिस्सलुनीकियों 5:18) l

यहाँ तक कि हमारे वास्तविक संघर्ष और पीड़ा के समय में, हम परमेश्वर की शांति को जान सकते हैं और इसे हमारे हृदयों पर राज करने की अनुमति दे सकते हैं l और उस शांति में, हम इन सब के ताकीद पाएंगे जो हमें मसीह में दी गए हैं l उसमें, हम वास्तव में शुक्रगुजार हो सकते हैं l