“पराजय असम्भव है!” ये शब्द सुज़न बी. एंथोनी (1820-1906) के थे, जो अमेरिका में महिलाओं के अधिकारों के लिए उनके अचल रुख के लिए जाना जाता है l यद्यपि उन्हें लगातार आलोचना का सामना करना पड़ा और बाद में अवैध रूप से मतदान करने के लिए गिरफ्तारी, मुकदमा और दोषी होने के फैसले का सामना करना पड़ा, एन्थोनी ने महिलाओं को वोट देने का अधिकार हासिल करने की लड़ाई कभी नहीं छोड़ने की कसम खायी, विश्वास करते हुए कि उनका कारण जायज़ था l हालाँकि वह अपने श्रम का फल देखने के लिए जीवित नहीं रहीं, लेकिन उनकी घोषणा सही साबित हुयी l 1920 में, संविधान के उन्नीसवें संशोधन ने महिलाओं को मतदान का अधिकार दे दिया l

असफलता नहेम्याह के लिए भी कोई विकल्प नहीं था, खासकर इसलिए कि उसके पास एक शक्तिशाली सहायक था : परमेश्वर l उससे अपने कारण को आशीर्वाद देने के लिए कहने के बाद – यरूशलेम की दीवार का पुनःनिर्माण – नहेम्याह और जो लोग बेबीलोन के निर्वासन से यरूशलेम लौट आए थे, ऐसा करने के लिए काम किया l दुश्मनों से लोगों को सुरक्षित रखने के लिए दीवार की ज़रूरत थी l लेकिन कारण का विरोध धोखे और धमकियों के रूप में सामने आया l नहेम्याह ने विरोध को उसे डराकर रोकने नहीं दिया l उसने उन लोगों को सूचित किया जिन्होंने काम का विरोध किया था, “मैं तो भारी काम में लगा हूँ” (नहेम्याह 6:3) l उसके बाद उसने प्रार्थना की, “तू मुझे हियाव दे” (पद.9) l दृढ़ता के लिए धन्यवाद, काम पूरा हो गया (पद.15) l

परमेश्वर ने नहेम्याह को विरोध के सामने दृढ़ रहने की शक्ति दी l क्या कोई ऐसा कार्य है जिसके समक्ष आप हार मानने के लिए उत्प्रेरित हैं?  आपको जो कुछ भी जारी रखने की ज़रूरत है उसका प्रावधान करने के लिए परमेश्वर से पूछें l