परमेश्वर से पूछना
जब मेरे पति डैन को कैंसर का पता चला, मैं परमेश्वर से उन्हें चंगा करने के लिए आग्रह करने का “सही” तरीका नहीं खोज पाई l मेरे सीमित दृष्टि में, संसार में अन्य लोगों के पास भी ऐसी गंभीर समस्याएँ थी – युद्ध, अकाल, गरीबी, प्राकृतिक आपदाएं l तब एक दिन, हमारे प्रातःकाल की प्रार्थना में, मैंने अपने पति को दीनता से आग्रह करते सुना, “प्रिय प्रभु, कृपया मेरी बीमारी को ठीक कर दें l”
यह अत्यंत सरल परन्तु हृदय को छू जानेवाला अनुनय था कि उसने मुझे हर प्रार्थना अनुरोध को जटिल करने से रोकने के लिए याद दिलाया, क्योंकि परमेश्वर सहायता के लिए हमारे ईमानदार पुकार को पूरी तौर से सुनता है l जैसे दाऊद ने सरलता से पूछा, “लौट आ, हे यहोवा, और मेरे प्राण बचा; अपनी करुणा के निमित्त मेरा उद्धार कर” (भजन 6:4) l
यह वही है जो दाऊद ने आध्यात्मिक भ्रम और निराशा के समय में घोषित किया था l इस भजन में उसकी वास्तविक स्थिति को नहीं समझाया गया है l हालाँकि, उनकी ईमानदार दलीलें, परमेश्वर की मदद और बहाली की गहरी इच्छा दिखाती हैं l उसने लिखा, “मैं कराहते कराहते थक गया” (पद.6) l
फिर भी, पाप के साथ-साथ, दाऊद ने अपनी मर्यादा को नहीं छोड़ा, और यह उसे अपनी ज़रूरत के साथ परमेश्वर के पास जाने से रोक न सकी l इस प्रकार, परमेश्वर के उत्तर देने से पहले ही, दाऊद आनंदित हो गया, “यहोवा ने मेरे रोने का शब्द सुन लिया है . . . यहोवा मेरे प्रार्थना को ग्रहण भी करेगा” (पद.8-9) l
हमारे अपने भ्रम और अनिश्चितता के बावजूद, परमेश्वर अपने बच्चों की ईमानदार दलीलों को सुनता है और स्वीकार करता है l वह हमें सुनने के लिए तैयार है, खासकर जब हमें उसकी सबसे ज्यादा ज़रूरत होती है l
डर पर जीत
एक व्यक्ति के जीवन पर डर ने बत्तीस सालों तक राज्य किया l अपने अपराधों के लिए पकड़े जाने के डर से, वह अपनी बहन के फार्महाउस में छिप गया, न कहीं गया और न ही किसी से मिला, यहाँ तक कि अपनी माँ के अंतिम संस्कार में भी उपस्थित नहीं हुआ l जब वह चौंसठ साल का हो गया, उसे ज्ञात हुआ कि उसके विरुद्ध अपराध का कोई मामला दर्ज नहीं हुआ था l वह व्यक्ति स्वाभाविक जीवन जीने के लिए स्वतंत्र था l आवश्य ही, सजा का खतरा वास्तविक था, परन्तु उसने उस डर को उसे नियंत्रित करने की अनुमति दी l
इसी प्रकार, जब पलिश्तियों ने एला की घाटी में इस्राएलियों को चुनौती दी तो उनके ऊपर भय छा गया l खतरा वास्तविक था l उनका शत्रु गोलियात 9 फीट 9 इंच लम्बा था और उसके कवच/बख्तर का वजन 125 पौंड(लगभग 57 किलोग्राम) था l चालीस दिनों तक सुबह और शाम, गोलियात इस्राएली सेना को उसके साथ युद्ध लड़ने की चुनौती देता रहा l लेकिन किसी ने हिम्मत नहीं की l जब तक दाऊद युद्ध भूमि में नहीं पहुँचा तक तक कोई आगे नहीं आया l उसने ताना मारते हुए सुना और देखा, और गोलियात से लड़ने के लिए स्वेच्छा से आगे आया l
जब इस्राएली सेना के सभी लोग सोचते थे कि गोलियात लड़ाई के लिए बहुत बड़ा है, दाऊद चरवाहा लड़का जानता था कि वह परमेश्वर के लिए बहुत बड़ा नहीं था l उसने कहा, “संग्राम तो यहोवा का है, और वही तुम्हें हमारे हाथ में कर देगा” (पद.47) l
डर के चपेट में आने पर, हम दाऊद की मिसाल का अनुसरण करें, और समस्या का सही दृष्टिकोण प्राप्त करने के लिए अपनी नज़रें परमेश्वर की ओर लगाएँ l खतरा वास्तविक हो सकता है, लेकिन जो हमारे साथ और हमारी ओर है वह उससे भी बड़ा है जो हमारे विरुद्ध है l
रद्द किये गए ऋण
2009 में, लॉस एंजल्स काउंटी(प्रान्त) ने परिवारों से शुल्क लेना बंद कर दिया जिनके बच्चे जेल में बंद थे l हालाँकि कोई नया शुल्क नहीं लिया गया, लेकिन निति में बदलाव से पहले
जिन्होनें शुल्क नहीं चुकाया था उनको अपने ऋण चुकाना ज़रूरी था l उसके बाद 2018 में काउंटी ने सभी बकाया वित्तीय दायित्वों को रद्द कर दिया l
कुछ परिवारों के लिए, उनके जीवित रहने के संघर्ष में ऋण के रद्दीकरण ने बहुत अधिक सहायता की; अब काउंटी का उनकी संपत्ति पर वैध अधिकार नहीं होना या उनकी मजदूरी/मेहनताना से उनको वंचित नहीं करने के कारण वे अपने लिए भोजन का बेहतर प्रबंध कर पाते थे l इस प्रकार की कठिनाई के कारण ही प्रभु ने प्रत्येक सात साल में कर्ज माफ़ करने का आह्वान दिया था (वव्यवस्थाविवरण 15:2) l वे नहीं चाहते थे कि लोग उनके द्वारा हमेशा के लिए पंगु हो जाएँ l
इसलिए कि इस्राएलियों को साथी इस्राएलियों (निर्गमन 22:25) को दिए गए ऋण पर ब्याज वसूलने की मनाही थी, पड़ोसी को उधार देने का उनका उद्देश्य लाभ प्राप्त करना नहीं था, बल्कि उन लोगों की मदद करना था, जो कठिन समय को सहन कर रहे थे, शायद एक खराब फसल l हर सात साल में ऋणों को स्वतंत्र रूप से माफ़ किया जाना था l परिणामस्वरूप, लोगों के बीच कम गरीबी होती (व्यवस्थाविवरण 15:4) l
आज, यीशु के विश्वासी इन नियमों से बंधे हुए नहीं हैं l लेकिन परमेश्वर कभी-कभार हमें किसी को कर्ज माफ़ करने के लिए प्रेरित कर सकता है ताकि जो लोग संगर्ष कर रहे हैं वे समाज के योगदान करनेवाले सदस्यों के रूप में नए सिरे से शुरु कर सकें l जब हम दूसरों पर ऐसी दया और उदारता दिखाते हैं, तो हम परमेश्वर के चरित्र को ऊंचा उठाते हैं और लोगों को आशा देते हैं l
अंत में अनुग्रह
कलाकार डौग मर्के की उत्कृष्ट मूर्तिकला रुथलेस ट्रस्ट(Ruthless Trust) में एक कांस्य मानव आकृति अति मायूसी से अखरोट की लकड़ी के बने क्रूस से लिपटा हुआ है l वह लिखता है, “यह जीवन के लिए हमारे निरंतर और उचित आसन की एक बहुत ही सरल अभिव्यक्ति है – मसीह और सुसमाचार के साथ और उनके ऊपर सम्पूर्ण, बंधनमुक्त अंतरंगता l”
हम इस प्रकार का भरोसा मरकुस 5:25-34 में अनाम स्त्री की क्रिया और शब्दों में व्यक्त होते देखते हैं l बारह वर्षों तक उसका जीवन जर्जर अवस्था में रहा (पद.25) l “उसने बहुत वैद्यों से बड़ा दुःख उठाया, और अपना सब माल व्यय करने पर भी उसे कुछ लाभ न हुआ था, परन्तु और भी रोगी हो गयी थी” (पद.26) l लेकिन यीशु के विषय सुनकर उसने उसके निकट पहुँचने का मार्ग बना लिया, और उसे स्पर्श किया, और अपनी “बीमारी से मुक्त” हो गयी (पद.27-29) l
क्या आप अपने आप के अंत तक पहुँच गए हैं? क्या आपने अपने सभी संसाधनों को ख़त्म कर दिया है? चिंताग्रस्त, निराश, खोए हुए, परेशान लोगों को हताश होने की ज़रूरत नहीं है l प्रभु यीशु आज भी मायूस लोगों के विश्वास का प्रत्युतर देता है – जिस प्रकार इस पीड़ित स्त्री द्वारा दर्शाया गया और मर्के की मूर्तिकला में चित्रांकित किया गया l इस प्रकार का विश्वास गीत लेखक चार्ल्स वेस्ली के शब्दों में दर्शाया गया है : “पिता मैं हाथ बढ़ाता हूँ, मुझे तू थामे रह, सहायक दूसरा है नहीं l” उस प्रकार का विश्वास नहीं है? परमेश्वर से उस पर भरोसा करने के लिए मदद मांगे l वेस्ली अपने गीत को एक प्रार्थना से समाप्त करता है : “विश्वास के कर्ता, मैं अपनी थकी, लालसा से भरी आँखें उठता हूँ; काश मैं उस उपहार को प्राप्त कर सकूँ! मेरी आत्मा उसके बिना मर जाएगी l”