झुकी हुआ मीनार
शायद आपने इटली में पीसा की झुकी मीनार के बारे में सुना होगा, लेकिन क्या आपने सैन फ्रैंसिस्को की झुकी हुयी मीनार के विषय सुना है? इसे मिलेनियम टावर कहा जाता है l 2008 में निर्मित, यह अट्ठाईस मंजिला गगनचुम्बी इमारत गर्व से खड़ी है - लेकिन थोड़ी टेढ़ी-मेढ़ी - सैन फ्रैंसिस्को शहर के केंद्र में l
समस्या? इसके इंजिनियरों ने नींव को प्रयाप्त गहरी नहीं खोदी l इसलिए अब उसकी मरम्मत के साथ नींव को पुनः बनाने के लिए मजबूर किया जा रहा है जिसकी लागत पूरे टावर से अधिक हो सकती है जब इसे पहले बनाया गया था – मरम्मत जिसे कुछ लोग आवश्यक मानते हैं कि भूकंप के दौरान जो इसे गिरने से रोक सकता है l
यहाँ पर पीड़ादायक सबक? नींवें मायने रखती हैं l जब आपकी नींव ठोस नहीं होती है, तो तबाही मच सकती है l यीशु ने अपने पहाड़ी उपदेश के अंत में कुछ ऐसा ही सिखाया l मत्ती 7:24-27 में, उसने दो बिल्डरों की तुलना की, एक जिसने चट्टान पर बनाया, और दूसरा जिसने बालू पर l जब अपरिहार्य रूप से एक तूफ़ान आया, तो केवल एक ठोस नींव वाला घर ही खड़ा रह गया था l
हमारे लिए इसका क्या अर्थ है? यीशु स्पष्ट रूप से कहता है कि हमारा जीवन आज्ञाकारिता और उस पर विश्वास के द्वारा बनाया जाना चाहिए (पद.24) l जब हम उसमें विश्राम करते हैं, हमारा जीवन परमेश्वर की सामर्थ्य और अनंत अनुग्रह से ठोस आधार प्राप्त कर सकता है l
मसीह ने हमसे वादा नहीं किया है कि हम कभी भी तूफानों का सामना नहीं करेंगे l लेकिन वह अवश्य कहता है कि जब वह हमारी चट्टान है, तो तूफ़ान कभी भी हमारे विश्वास को बहा नहीं ले जा सकते हैं – उसमें मजबूत नींव l

अब से सौ साल बाद
1975 में पठकथा लेखक रॉड सर्लिंग ने कहा, “मैं चाहता हूँ कि लोग मुझे अब से सौ साल बाद याद रखें l” अमेरिकी टीवी श्रृंखला द ट्वाईलाइट ज़ोन के निर्माता, सर्लिंग चाहते थे कि लोग उनके बारे में कहें, “वह एक लेखक थे l” हममें से बहुत से लोग एक विरासत छोड़ने के सर्लिंग की इच्छा के साथ तादात्म्य स्थापित कर सकते हैं – कुछ जो हमारे जीवन को अर्थ और स्थायित्व दे सकता है l
अय्यूब की कहानी हमें एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बताती है जो जीवन के क्षणभंगुर दिनों के बीच अर्थ से जूझ रहा है l एक पल में, न केवल उसकी संपत्ति, बल्कि उसके लिए सबसे कीमती, उसके बच्चों को ले लिया गया l तब उसके मित्रों ने उस पर इस नियति का हकदार होने का आरोप लगाया l अय्यूब ने पुकारा : “भला होता, कि मेरी बातें लिखी जातीं; भला होता, कि वे पुस्तक में लिखी जातीं, और लोहे की टांकी और सीसे से वे सदा के लिए चट्टान पर खोदी जातीं” (अय्यूब 19:23-24) l
अय्यूब के शब्दों को “हमेशा के लिए चट्टान में उकेरा गया है l” यह हमारे पास बाइबल में हैं l फिर भी अय्यूब को अपने जीवन में उस विरासत से जो वह छोड़ता अधिक मायने रखने की ज़रूरत थी l उसने इसे परमेश्वर के चरित्र में खोजा l “मुझे तो निश्चय है कि मेरा छुड़ानेवाला जीवित है, और वह अंत में पृथ्वी पर खड़ा होगा,” अय्यूब ने घोषणा की (19:25) l इस ज्ञान ने उसे सही लालसा दी l “उसका दर्शन मैं आप अपनी आँखों से अपने लिए करूँगा,” अय्यूब ने कहा l “यद्यपि मेरा हृदय अन्दर ही अन्दर चूर चूर भी हो जाए” (पद.27) l
अंत में, अय्यूब को वह नहीं मिला जिसकी उसने अपेक्षा की थी l उसने बहुत अधिक पाया – सभी अर्थों और स्थायित्व का श्रोत (42:1-6) l

गुप्त सुपुर्दगी
सुन्दर लाल और सफ़ेद गुलाब के साथ डैफोडिल्स फुलों के एक स्पष्ट, कांच के फूलदान ने उसके सामना के दरवाजे पर कला का अभिवादन किया l सात महीनों तक, यीशु के एक अनाम विश्वासी ने कला को सुन्दर गुलदस्ते भेजे l प्रत्येक मासिक उपहार, वचन के शाब्दिक प्रोत्साहन से भरे एक पत्र के साथ आता था और हस्ताक्षरित होता था : “यीशु से प्यार करो l”
कला ने इन गुप्त सुपुर्दगियों की तस्वीरे फेसबुक पर शेयर कीं l फूलों ने उस एक व्यक्ति की दयालुता का जश्न मनाने और परमेश्वर द्वारा अपने लोगों के द्वारा से अपने प्रेम का इज़हार करने के तरीके को स्वीकार करने का अवसर दिया l जब उसने एक अनत्य बीमारी(terminal disease) के साथ अपनी लड़ाई के माध्यम से उस पर भरोसा किया, हर रंगीन फूल और लिखित पत्र ने उसके लिए परमेश्वर की दयालुता की पुष्टि की l
प्रेषक की गुमनामी दिल की मंशा को दर्शाती है जो यीशु अपने लोगों से दान देने के समय अपनाने के लिए प्रोत्साहित करता है l वह दूसरों के द्वारा “दिखाने के लिए” धार्मिक कार्यों का अभ्यास करने के खिलाफ चेतवानी देता है (मत्ती 6:1) l अच्छे कामों का उद्देश्य हमारे लिए परमेश्वर द्वारा किये गए समस्त कार्य के लिए कृतज्ञता से भरे उपासना के भाव हैं जो हमारे हृदयों से उमंड़ते हैं l सम्मानित होने की आशा या अपेक्षा के साथ हमारी खुद की उदारता की विशिष्टता दर्शाने से सभी अच्छी वस्तुओं के दाता –यीशु – से ध्यान खिंच सकता है l
परमेश्वर जानता है जब हम अच्छे इरादों के साथ देते हैं (पद.4) l बस वह चाहता है कि हमारी उदारता प्रेम द्वारा प्रेरित हो जब हम उसको महिमा, आदर, और प्रशंसा देते हैं l

रहस्यमय सहायक
लीला मस्क्युलर डिस्ट्रॉफी(muscular dystrophy)- एक आनुवंशिक बीमारी - से पीड़ित है l एक दिन ट्रेन स्टेशन से निकलते समय उसे एक लिफ्ट या एस्कलेटर(स्वचालित सीढ़ियाँ) के बिना लम्बी सीढ़ियों का सामना करना पड़ा l रोने के कगार पर, लीला ने अचानक एक व्यक्ति को देखा जो आकर, उसके बैग को उठाते हुए धीरे-धीरे सीढ़ियों पर चढ़ने में उसकी सहायता की l जब वह धन्यवाद देने के लिए मुड़ी, वह जा चुका था l
माइकल को बैठक के लिए देर हो चुकी थी l पहले से ही एक रिश्ते के टूटने से तनावग्रस्त था, और अब लन्दन के यातायात से निकलने के प्रयास में उसकी गाड़ी का टायर पन्चर हो गया l जब वह बारिश में असहाय खड़ा था, एक व्यक्ति भीड़ से बाहर निकला, पेटी खोलकर जैक के कार को ऊपर उठाया और पहिया बदल दिया l जब माइकल उसे धन्यवाद देने के लिए मुड़ा, वह जा चुका था l
कौन थे ये रहस्यमय सहायक? दयालु अजनबी, या कुछ और?
प्रचलित या पंख वाले प्राणियों के रूप में हमारे पास स्वर्गदूतों की लोकप्रिय छवि केवल आधा सच है l जबकि कुछ इस के दिखाई देते हैं (यशायाह 6:2; मत्ती 28:3), अन्य लोग धूल भरे पैरों के साथ आते हैं, भोजन के लिए तैयार होते हैं (उत्पत्ति 18:1-5) और आसानी से उन्हें रोज़मर्रा के लोग समझ लिए जाने की भूल होती है (न्यायियों 13:16) l इब्रानियों के लेखक का कहना है कि अजनबियों को आतिथ्य दिखाने से, हम इसे महसूस किये बिना स्वर्गदूतों का सत्कार कर सकते हैं (13:2) l
हम नहीं जानते कि लीला और माइकल के सहायक स्वर्गदूत थे या नहीं l परन्तु पवित्रशास्त्र के अनुसार, वे हो सकते हैं l स्वर्गदूत अभी इसी वक्त काम कर रहे हैं, परमेश्वर के लोगों की मदद कर रहे हैं (इब्रानियों 1:14) l और वे सड़क पर एक साधारण व्यक्ति के रूप में दिखाई दे सकते हैं l

प्रकाश चमकाना
स्टीफन ने अपने माता-पिता से बोला कि उसे प्रतिदिन जल्दी स्कूल जाना ज़रूरी है, लेकिन किसी कारण से उसने कभी नहीं बताया कि क्यों ज़रूरी है l फिर भी उन्होंने यह निश्चित किया कि वह प्रत्येक सुबह 7.15 बजे स्कूल पहुँच जाए l
अपने जूनियर वर्ष में एक ठंडी सुबह के समय, स्टीफन का कार एक्सीडेंट हो गया जिससे उसकी दुखद मृत्यु हो गयी l बाद में, उसके माता पिता को पता चला कि क्यों वह जल्दी स्कूल जाया करता था l हर सुबह वह और उसके कुछ मित्र स्कूल के प्रवेश द्वार पर इकठ्ठा होकर मुस्कुराते हुए, हाथ हिलाते हुए और एक मधुर शब्द के साथ दूसरे विद्यार्थियों का अभिवादन करते थे l इससे सभी विद्यार्थी – वे भी जो लोकप्रिय नहीं थे – सुखद और स्वीकार्य महसूस करते थे l
यीशु में एक विश्वासी, स्टीफन अपनी ख़ुशी उन लोगों के साथ बांटना चाहता था, जिन्हें इसकी सख्त ज़रूरत थी l उसका उदाहरण एक अनुस्मारक के रूप में मौजूद है कि मसीह के प्रेम के प्रकाश को चमकाने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक दयालुता के इशारों और एक स्वागत योग्य भावना के माध्यम से है l
मत्ती 5:14-16 में, यीशु ने बताया कि हम उसके लिए “जगत की ज्योति” और “नगर [हैं] जो पहाड़ पर बसा हुआ है” (पद.14) l प्राचीन शहर अक्सर सफ़ेद चूना पत्थर से बने होते थे, वास्तव में अलग से दिखाई देते हुए चमकते सूरज को प्रतिबिंबित करते थे l काश हम भी छिपने के लिए नहीं बल्कि “घर के सब लोगों को प्रकाश” पहुँचाने का चुनाव करें (पद.15) l
और जब हम “[अपने] उजियाला को [दूसरों] के सामने [चमकने देते हैं]” (पद.16), काश हम मसीह के स्वागत करने वाले प्रेम का अनुभव करें l