युवा पिता थक चुका था l आइसक्रीम! आइसक्रीम! उसका छोटा बच्चा चिल्लाया l भीड़-भाड़ वाले मॉल के बीच में संकट ने आसपास के दुकानदारों का ध्यान खींचना शुरू कर दिया l “ठीक है, लेकिन हमें पहले मम्मी के लिए कुछ करने की ज़रूरत है, ठीक?” पिता ने कहा l “नहीं! आइसक्रीम!” और फिर वह उनके पास आई : एक छोटी, अच्छी पोषक वाली महिला जिसकी जूती और हैंडबैग मैच कर रहे थे l पिता ने कहा, “वह बहुत तड़क रहा है l” महिला ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया, “वास्तव में, ऐसा प्रतीत हो रहा है कि आपका बेटा इस बड़े तड़क का सामना कर रहा है l वह इतना छोटा है न भूलें l उसको आपके धैर्य और आपकी निकटता की ज़रूरत है l” स्थिति ने जादुई तरीके से अपना हल नहीं निकाली, लेकिन पिता और बेटे को एक ख़ास ठहराव की ज़रूरत थी, जो इस समय ज़रूरी था l 

भजन 103 में उस बुद्धिमान स्त्री के शब्दों की गूंज सुनाई देती है l दाऊद हमारे परमेश्वर के बारे में लिखता है, जो “दयालु, और अनुग्रहकारी, विलम्ब से कोप करनेवाला और अति करुणामय है” (पद.8) l वह तब एक सांसारिक पिता की छवि का आह्वान करते हुए आगे कहता है, जो “अपने बालकों पर दया करता है,” और इससे भी अधिक “यहोवा अपने डरवैयों पर दया करता है” (पद.13) l हमारा परमेश्वर पिता “हमारी सृष्टि जानता है; और उसको स्मरण रहता है कि मनुष्य मिट्टी ही है” (पद.14) l वह जानता है कि हम छोटे और नाजुक हैं l 

हम अक्सर असफल होते हैं और यह बड़ा संसार जो हमें देता है उससे अभिभूत होते है l परमेश्वर का धीरजवंत, सर्वदा उपस्थित, प्रचुर प्रेम को जानना अद्भुत निश्चयता है l