एक साल जब मैं कॉलेज में था, मैं जलाऊ लकड़ी काटता, बेचता, और पहुंचाता था l यह एक कठिन काम था, इसलिए मेरे पास 2 राजा 6 की कहानी में अभागे लकड़हारे के लिए सहानुभूति है l  

एलिशा का नबियों का समूह समृद्ध हुआ था, और उनके मिलने की जगह बहुत छोटी हो गयी थी l किसी ने सुझाव दिया कि वे जंगल में जाएँ, लकड़ी का कुंदा काटें, और अपनी सुविधाओं को बढ़ाएं l एलिशा सहमत हुआ और कार्यकर्ताओं के साथ गया l काम ठीक चल रहा था जब तक कि किसी की कुल्हाड़ी पानी में न गिर गयी (पद.5) l 

कुछ लोगों ने सुझाव दिया है कि एलिशा केवल अपनी छड़ी से पानी में टटोलता रहा जब तक कि उसने पता न लगा लिया और फिर उसे खींच कर निकाल लिया l हालाँकि, यह शायद ही ध्यान देने योग्य होगा l नहीं, वह एक आश्चर्यकर्म था : परमेश्वर के हाथों ने उस कुल्हाड़ी को गति प्रदान की और वह तैरने लगा ताकि वह व्यक्ति उसे प्राप्त कर सके (पद.6-7) l 

इस साधारण आश्चर्यकर्म में एक गहरा सच है : परमेश्वर जीवन की छोटी चीजों की परवाह  करता है – खोई हुए कुल्हाड़ियाँ, खोयी हुयी चाबी, खोए हुए चश्मे, खोए हुए फोन – छोटी चीजें जो हमारे लिए खीज का कारण बनती हैं l जो खो जाता है, उन सभी को वह बहाल नहीं करता है, परन्तु वह समझता है और हमारे संकट में हमें आराम देता है l 

हमारे उद्धार के आश्वासन के आगे, परमेश्वर की देखभाल की निश्चयता ज़रूरी है l इसके बिना हम असंख्य चिंताओं के संपर्क में संसार में अकेला महसूस करेंगे, l यह जानना अच्छा है कि वह परवाह करता है और हमारी हानि से दुखित होता है – चाहे वे कितनी ही छोटी हों l हमारी चिंताएं उसकी चिंताएं हैं l