एक अंग्रेजी फिल्म भेड़ियों की भावनाओं और व्यवहार को दर्शाती है l जब वे खुश होते हैं, वे अपनी पूँछ हिलाते हैं और उछल-कूद करते हैं l लेकिन झुण्ड के किसी सदस्य की मृत्यु के बाद, वे हफ़्तों तक दुःख मनाते हैं l वे उस स्थान पर जाते हैं जहाँ पर झुण्ड के सदस्य की मृत्यु हुई थी, और अपनी लटकीपुंछ और दुखभरेरुदन के द्वारा अपना दुःख प्रगट करते हैं l

दुःख एक शक्तिशाली भावना है जिसे हम सब अनुभव करते हैं, विशेष रूप से किसी प्रियजन की मृत्यु के समय या कीमती आशा पर l मरियम मगदलीनीने इसका अनुभव किया l वह मसीह के समर्थकों से सम्बन्ध रखती थी और उनके और उनके शिष्यों के साथ यात्रा करती थी (लूका 8:1-3) l लेकिन क्रूस पर उसकी क्रूर मृत्यु ने अब उनको अलग कर दिया था l मरियम के पास यीशु के लिए करने हेतु केवल एक बात बची थी और वह थी उसके देह के दफ़न किये जाने के लिए उसको अभ्यंजित करना – एक कार्य जिसे सब्त के दिन ने बाधित किया था l लेकिन कल्पना कीजिए कि मरियम ने कब्र पर पहुँचकर बेजान, टूटा शरीर नहीं लेकिन एक जीवित उद्धारकर्ता को पाकर कैसा अनुभव की होगी! यद्यपि पहले पहल वह अपने सामने खड़े व्यक्ति को पहचान नहीं पायी थी, उस व्यक्ति द्वारा उसके नाम का उच्चारण उसे बता दिया कि वह कौन था – यीशु! तुरंत, शोक ख़ुशी में बदल गया l मरियम के पास अब खुशखबरी थी : “मैंने प्रभु को देखा [है]” (यूहन्ना 20:18) l 

यीशु स्वतंत्रता और जीवन देने के लिए हमारे अँधेरे संसार में प्रवेश किया l उसका पुनरुत्थान इस सच्चाई का उत्सव है कि जो वह करने को निकला था उसे पूरा किया l मरियम की तरह, हम मसीह के पुनरुत्थान का उत्सव माना सकते हैं और खुशखबरी साझा कर सकते हैं कि वह जीवित है! हल्लेल्युयाह!