अंग्रेजी फिल्म एमिस्टैड (Amistad) 1839 में पश्चिम अफ़्रीकी गुलामों की कहानी बताती है जो उन्हें ले जाने वाली नाव पर कब्ज़ा कर लेते हैं और कप्तान और चालक दल के कुछ सदस्यों को मृत्यु के घाट उतार देते हैं l आखिरकार उन्हें पुनः पकड़ लिया जाता है, और उन पर मुकदमा चलता है l एक अविस्मरणीय कोर्ट रूम दृश्य में गुलामों का अगुआ दिखाई देता है जो स्वतंत्रता के लिए भाव प्रवणता से गुहार लगा रहा होता है l जंजीरों से बंधा हुआ एक व्यक्ति टूटी हुयी अंग्रेजी में बढ़ते बल के साथ तीन सरल शब्दों को दोहराता है “हमें आज़ादी दो!” न्याय दिया गया और पुरुषों को मुक्त कर दिया गया l 

आज ज्यादातर लोग शारीरिक रूप से बंधे होने के खतरे में नहीं हैं, फिर भी पाप के आध्यात्मिक बंधन से सच्ची मुक्ति मायावी है l यूहन्ना 8:36 में यीशु के वचन सुखद राहत देते हैं : इसलिए यदि पुत्र तुम्हें स्वतंत्र करेगा, तो तुम वास्तव में स्वतंत्र हो जाओगे l” यीशु ने स्वयं को सच्चे उद्धार के श्रोत के रूप में इंगित किया क्योंकि वह किसी को भी क्षमा प्रदान करता है जो उस पर विश्वास करता है l हालाँकि, मसीह के कुछ दर्शकों ने स्वतंत्रता (पद.33) का दावा किया, उनके शब्द, दृष्टिकोण और यीशु के विषय उनके कार्य उनके दावे को धोखा दे रहे थे l 

यीशु उन लोगों को सुनने के लिए तरसता है जो उस दलील को दोहराएंगे और कहेंगे, हमें आज़ादी दो!” करुणा के साथ वह उन लोगों के रोने का इंतज़ार करता है जो अविश्वास या भय या असफलता से बंधे हुए हैं l स्वतंत्रता दिल की बात है l ऐसी स्वतंत्रता उन लोगों के लिए आरक्षित है जो विश्वास करते हैं कि यीशु परमेश्वर का पुत्र है जिसे संसार में हमारे ऊपर पाप की पकड़ की सामर्थ्य को उसकी मृत्यु और पुनरुत्थान द्वारा तोड़ने के लिए भेजा गया l