हटना
जब मेरे पास्टर ने हमारी कक्षा से यीशु के जीवन के बारे में एक कठिन सवाल पुछा, तो मेरे हाथ खड़े हो गए। मैंने उस कहानी को हाल ही में पढ़ी थी, इसलिए मैं इसे जानता था, और मेरी इच्छा थी कि कमरे में और भी जो लोग हैं उनको भी यह मालूम हो जाए कि मैं भी जानता था। आखिरकार, मैं एक बाइबल शिक्षक हूँ। उन सब के सामने असफल होना कितना लज्जाजनक होता! अब मैं शर्मिन्दिगी के भय से लज्जा महसूस की इसलिए मैंने अपना हाथ नीचे कर लिया। क्या मैं इतना असुरक्षित हूँ?
यूहन्ना बप्तिस्मा देनेवाला हमें और बेहतर मार्ग दिखाता है। जब उसके शिष्य शिकायत करने लगे कि लोग उसे छोड़कर यीशु का अनुसरण करने लगे हैं, यूहन्ना ने कहा कि वह यह सुनकर आनंदित है। वह केवल संदेशवाहक था। “मैं मसीह नहीं, परन्तु उसके आगे भेजा गया हूँ . . . कि वह बढ़े और मैं घटू” (3:28-30)। युहन्ना ने समझ लिया था कि उसके अस्तित्व का आशय यीशु था। वह ही है “जो ऊपर से आता है” और “सर्वोत्तम है” (पद.31)। – वह दिव्य पुत्र जिसने हम सब के लिए अपने आप को दे दिया और सम्पूर्ण महिमा और प्रसिद्धि उसे प्राप्त हो।
खुद की ओर किसी भी प्रकार का ध्यानाकर्षण हमें हमारे प्रभु से ध्यान भटकाता है और चूँकि वह हमारा एकमात्र उद्धारकर्ता है और संसार के लिए एकमात्र आशा है, जो भी श्रेय हम उससे चुराते हैं वह हमें नुक्सान पहुंचाता है।
खुली बाहें
सैम्युएल और उसके परिवार के पास “खुली बाहें और खुला घर” वाला दर्शन है। उसका कहना है कि उसके घर में हमेशा लोगों का स्वागत है, “विशेषकर जो लोग परेशानी में हैं।” लाइबीरिया में अपने नौ भाई बहनों के साथ उसके पास इसी प्रकार का घर था जहां उसका पालन पोषण हुआ था। उसके माता-पिता ने हमेशा अपने परिवार में दूसरों का स्वागत किया। वह कहता है, “हम एक समुदाय के रूप में बड़े हुए हैं। हम एक दूसरे से प्यार करते थे। सभी लोग सभी के लिए जिम्मेदार थे। मेरे पिता ने हमें एक दूसरे से प्यार करना, एक दूसरे की देखभाल करना, एक दूसरे की सुरक्षा करना सिखाया।”
जब राजा दाऊद ज़रूरत में था, तब उसने परमेश्वर में इसी प्रकार की देखभाल को प्राप्त किया। 2 शमूएल 22 (और भजन 18) उन्हीं तरीकों के लिए परमेश्वर के लिए अपनी प्रशंसा के गीत रिकॉर्ड करता है जैसे वह उसके सम्पूर्ण जीवन में उसका शरणस्थान रहा था। उसने याद किया, “अपने संकट में मैं ने यहोवा को पुकारा, और अपने परमेश्वर के सम्मुख चिल्लाया। उसने मेरी बात को अपने मंदिर में से सुन लिया, और मेरी दोहाई उसके कानों में पहुँची” (2 शमूएल 22:7) l परमेश्वर ने अनेक बार, उसे राजा शाऊल समेत, उसके शत्रुओं से छुड़ाया था। उसने परमेश्वर को उसका गढ़ और छुटकारा देनेवाला होने के लिए उसकी प्रशंसा की जिसमें उसने शरण लिया था (पद.2-3) l
जबकि हमारी परेशानियां दाऊद की तुलना में छोटी हो सकती हैं, परमेश्वर चाहता है कि हम उसकी ओर दौड़ कर उस आश्रय को प्राप्त करें जिसकी हम इच्छा करते हैं l उसकी बाहें हमेशा खुली हैं l इसलिए हम “[तेरे] नाम का भजन [गाते हैं]” (पद.50) l
छोटों से सीखना
जब एक मित्र और मैं केन्या, नैरोबी के एक झुग्गी झोपड़ी में गए, वहां की निर्धनता को देख कर हमारे हृदय बहुत अधिक नम्र किये गए। हालाँकि, उसी दृश्य में, हमारे अन्दर - भिन्न भावनाएँ - ताज़े जल के समान हलचल मचा दिए जब हमने छोटे बच्चों को दौड़ते और चिल्लाते हुए देखा, “म्चुन्गजी, मचुन्गजी!”(स्वाहिली भाषा में पास्टर)। हमारे साथ वाहन में अपने आध्यात्मिक अगुआ को देख कर उनकी प्रतिक्रिया ख़ुशी से भरी हुई थी। इन कोमल चीखों के साथ, छोटे बच्चों ने उनकी देखभाल और चिंता करने वाले का स्वागत किया।
जैसे ही यीशु एक गधे पर सवार होकर यरूशलेम पहुंचा, आनंदित बच्चे उनमें से थे जिन्होंने उसका उत्सव मनाया। “धन्य है वह जो प्रभु के नाम से आता है! . . . दाऊद के संतान को होशाना” (मत्ती 21:9,15)। लेकिन यीशु के लिए प्रशंसा हवा में केवल ध्वनियाँ नहीं थीं। कोई भी व्यक्ति भागते, पैसा कमाने वाले व्यापारियों के शोर की कल्पना कर सकता है जो यीशु को देख कर भाग खड़े हुए (पद.12-13)। इसके अलावा, धार्मिक अगुवे जिन्होंने उसकी दया को व्यवहार में देखा था “क्रोधित हुए” (पद.14-15)। उन्होंने बच्चों की प्रशंसा पर नाराजगी दर्शायी (पद.16) और इस प्रकार अपने खुद के हृदयों की निर्धनता को प्रगट किया।
हम सभी उम्र और स्थानों के परमेश्वर के बच्चों के विश्वास से सीख सकते हैं जो यीशु को संसार के उद्धारकर्ता कर रूप में पहचानते हैं। यह वही है जो हमारी प्रशंसा सुनता है और रोता है, और हमारी देखभाल करता है और बचाता है जब हम बच्चों की तरह भरोसा से उसके पास आते हैं।
सदैव का प्यार
वर्षों पहले, मेरे चार साल के बेटे ने मुझे एक धातु की प्लेट पर रखा हुआ एक लकड़ी का बना हुआ दिल दिया था, जिसके बीच में पेंट से शब्द हमेशाअंकित था l “माँ, मैं हमेशा आपसे प्यार करता हूँ,” उसने कहा।
मैंने गले लगाकर उसे धन्यवाद दिया। “मैं तुमसे और अधिक प्यार करती हूँ।”
वह बहुमूल्य उपहार अब भी मुझे मेरे बेटे के कभी न ख़त्म होनेवाले प्यार का विशवास दिलाता है। कठिन दिनों में, परमेश्वर उस मधुर उपहार का उपयोग आराम देने और प्रोत्साहित करने के लिए करता है क्योंकि वह मुझे आश्वास्त करता है कि मुझे गहराई से प्यार किया जाता है।
वह फ्रेम मुझे परमेश्वर के हमेशा के प्यार के उपहार की भी याद दिलाता है, जैसा कि उसके सम्पूर्ण वचन में व्यक्त किया गया है और उसकी आत्मा द्वारा पुष्टि की गयी है। हम परमेश्वर की अपरिवर्तनीय भलाई पर भरोसा कर सकते हैं और भजन गा सकते हैं, जो उसके स्थाई प्रेम की पुष्टि करता है, जैसे कि भजनकार करता है (भजन 136:1)। हम प्रभु को सबसे महान और सबसे ऊंचा मान कर महिमान्वित कर सकते हैं (पद.2-3), जब हम उसके न ख़त्म होने वाले आश्चर्य कर्मों और असीमित समझ पर विचार करते हैं। परमेश्वर जो हमें हमेशा प्यार करता है, वह आकाश और पृथ्वी को जागरूक और देखभाल करनेवाला निर्माता है, जो समय के नियंत्रण को बनाए रखता है (पद.6-9)।
हम आनंदित हो सकते हैं क्योंकि जिस चिरस्थायी प्रेम के बारे में भजन कार ने गाया वही निरंतर प्रेम हमारे सर्वशक्तिमान रचनाकार और संभालनेवाला आज अपने बच्चों के जीवन में उंडेलता है। कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम किसका सामना कर रहे हैं, जिसने हमें बनाया है और हमारे साथ रहता है हमसे शर्तहीन और पूर्ण प्यार करके निश्चित करते हुए हमें दृढ़ करता है। परमेश्वर, आपके अंतहीन और जीवन-परिवर्तन करने वाले प्रेम के अनगिनित ताकीद के लिए, धन्यवाद!