Month: जुलाई 2020

नए जीवन का मुर्ख मार्ग

कुछ चीजें जब तक आप उनको अनुभव न करें बिलकुल समझ में नहीं आती हैं l जब मैं अपने पहले बच्चे के साथ गर्भवती थी, तो मैंने बच्चे के जन्म के बारे में कई किताबें पढ़ीं और दर्जनों महिलाओं से उनकी प्रसव पीड़ा की कहानियाँ सुनीं l लेकिन मैं अभी भी वास्तव में कल्पना नहीं कर सकती थी कि अनुभव कैसा होगा l मेरा शरीर जो करने वाला था वह असंभव लग रहा था!

1 कुरिन्थियों में पौलुस लिखता है कि परमेश्वर के राज्य में जन्म लेना, उद्धार जो परमेश्वर मसीह के द्वारा हमें देता है, समान रूप से उनके लिए समझ से परे है जिन्होंने उसका अनुभव नहीं किया है l यह कहना “मुर्खता” सी लगती है कि क्रूस के द्वारा उद्धार मिल सकता था – निर्बलता, हार और अपमान द्वारा चिन्हित एक मृत्यु l फिर भी यह “मुर्खता” ही वह उद्धार था पौलुस ने जिसका प्रचार किया!

यह ऐसा नहीं था जिसकी कोई कल्पना कर सकता है l कुछ लोगों ने सोचा कि उद्धार एक मजबूत राजनैतिक नेता या एक चमत्कारी संकेत के द्वारा आयेगा l दूसरों ने सोचा कि उनकी अपनी शैक्षिक या दार्शनिक उपलब्धियां उनका उद्धार बनेंगी (1 कुरिन्थियों 1:22) l लेकिन परमेश्वर ने सभी को इस तरह से उद्धार दिलाकर आश्चर्यचकित कर दिया, जो केवल उन लोगों की समझ में आता है जिन्होंने इसे अनुभव किया l

परमेश्वर ने कुछ शर्मनाक और दुर्बल वस्तु लिया – क्रूस पर एक मृत्यु – और उसे बुद्धिमत्ता और सामर्थ्य का आधार बना दिया l परमेश्वर अकल्पनीय करता है l वह जगत के मूर्खों और निर्बलों को चुनता है कि ज्ञानवानों को लज्जित करे (पद.27) l

और उसका चकित करनेवाले, असंगत तरीके हमेशा ही सर्वोत्तम तरीके होते हैं l

विफलता में एक मित्र

27 नवम्बर, 1939 को, तीन निधि खोजी(treasure hunters) तीन कर्मी दल के साथ अमेरिका में “हॉलीवुड” नामक प्रसिद्ध फिल्म निर्माण स्थल के बाहर गड्ढा खोदे l वे गड़ा हुआ धन ढूँढ रहे थे, जिसमें सोना, हीरे, और मोती थे जिसके वहां पचहत्तर साल पहले गाड़े जाने की अफवाह थी l

उनको वह कभी नहीं मिला l चौबीस दिनों तक खोदने के बाद, उनको एक शिलाखंड मिला और वे रुक गए l उनकी उपलब्धि धरती में केवल नौ फीट चौड़ा, बयालीस फीट गहरा सुराख़ था l वे खिन्न होकर लौट आए l  

गलती करना मानवता है – हम सभी कभी-कभी विफल होते हैं l पवित्रशास्त्र हमें बताता है कि युवा मरकुस एक मिशनरी यात्रा पर पौलुस और बरनबास से अलग चला गया “और काम पर उनके साथ न गया l” इस कारण, अगली यात्रा में “पौलुस . . . उसे साथ ले जाना अच्छा न समझा” (प्रेरितों 15:38), जिसका परिणाम बरनबास के साथ एक गहरा मतभेद था l लेकिन अपनी शुरूआती असफलताओं के बावजूद, वर्षों बाद मरकुस आश्चर्यजनक तरीके से दिखायी दिया l जब पौलुस अकेला था और अपने जीवन के अंत के समीप जेल में था, उसने मरकुस के विषय पुछा और उसे “सेवा के लिए . . . बहुत काम का है” कहा (2 तीमुथियुस4:11) l परमेश्वर ने मरकुस को सुसमाचार लिखने के लिए भी प्रेरित किया जो उसके नाम से है l

मरकुस का जीवन हमें दिखाता है कि परमेश्वर हमें हमारी गलतियों और विफलताओं का सामना करने के लिए अकेले नहीं छोड़ेगा l वह मदद और सामर्थ्य भी देगा जिनकी हमें ज़रूरत है l

प्रार्थना के अन्डे

मेरी रसोई की खिड़की के ठीक बाहर, एक कबूतर ने अपना घोंसला हमारी आँगन की छत के नीचे बनाया l उसका एक सुरक्षित स्थान पर घास रखना और उसके बाद अन्डे सेने मकसद से उन पर बैठना मुझे अच्छा लगा l प्रत्येक सुबह मैं उसकी प्रगति जांचती थी; लेकिन हर सुबह, वहां कुछ भी नहीं था l कबूतर के अन्डे से बच्चे निकलने में कुछ हफ्ते लगते हैं l

इस तरह की अधीरता मेरे लिए नई नहीं है l मैंने इंतज़ार करने के आगे हमेशा अथक प्रयास किया है, खासकर प्रार्थना में l मेरे पति और मैंने अपने पहले बच्चे को दत्तक लेने में पांच साल इंतज़ार किया l दशकों पहले, लेखिका कैथरीन मार्शल ने लिखा, “प्रार्थनाएं, अण्डों की तरह, रखते ही तुरंत नहीं फूटती हैं l”

नबी हबक्कूक ने प्रार्थना में प्रतीक्षा के साथ कुश्ती की l यहूदा के दक्षिणी राज्य के बाबुल के क्रूर दुर्व्यवहार के साथ परमेश्वर की चुप्पी से निराश, हबक्कूक “पहरे पर खड़ा [रहने], और गुम्मट पर चढ़कर [ठहरे रहने], और [ताकते रहने] कि मुझ से वह कहेगा” (हबक्कूक 2:1) के लिए समर्पित  होता है l परमेश्वर उत्तर देता है कि हबक्कूक को “नियत समय” तक इंतज़ार करना है (पद.3) और हबक्कूक को “दर्शन की बातें लिख” देने के लिए निर्देश देता है ताकि ये बातें दिए जाने के तुरंत बाद ही फ़ैल जाए (पद.2) l

परमेश्वर जो बातें उल्लिखित नहीं करता है वह यह है कि “नियत समय” जब बाबुल पराजित होगा वह छह दशक दूर है, जिससे प्रतिज्ञा और उसके पूरा होने के बीच एक लम्बा अंतर उत्पन्न करता है l अण्डों की तरह, प्रार्थनाएं अक्सर तुरंत पूरी नहीं होती हैं, बल्कि परमेश्वर के अति महत्वपूर्ण उद्देश्यों में हमारे संसार और हमारे जीवनों के लिए पूरी होती हैं l 

एक फलता-फूलता वृक्ष

मेरे अन्दर हमेशा ही एक संग्राहक का हृदय रहा l बचपन में, मैं डाक टिकट, सिक्के, कॉमिक्स इकठ्ठा करता था l वर्तमान में, एक अभिभावक होने के कारण, मैं अपने बच्चों में वही असर देखता हूँ l कभी-कभी मैं विचार करता हूँ, क्या मुझे वास्तव में एक और टेडी बेयर की ज़रूरत है?

निःसंदेह, यह ज़रूरत के विषय नहीं है l यह किसी नई चीज़ की ओर आकर्षण के विषय है l या कभी-कभी कुछ पुरानी, कुछ दुर्लभ चीजों का तरसानेवाला खिंचाव l जो कुछ भी हमारी कल्पना को मंत्रमुग्ध करता है, हम यह विश्वास करने की ओर फुसलाए जाते हैं कि काश हमारे पास “फलां” वस्तु होती, तो हमारे जीवन बेहतर होते l हम खुश होते l संतुष्ट l

सिवाय वे चीजें जो कभी भी अपेक्षित परिणाम नहीं देते हैं l क्यों? इसलिए कि परमेश्वर ने हमें उसके द्वारा भरे जाने के लिए बनाया है, उन चीजों से नहीं जो हमारे चारों ओर का संसार अकसर जोर देता है कि ये वस्तुएं हमारे अभिलाषी हृदयों को संतुष्ट करेंगे l

तनाव शायद ही नई बात है l नीतिवचन जीवन के दो तरीकों की तुलना करता है : धन का पीछा करने में व्यतीत जीवन के विपरीत प्रेमी परमेश्वर और उदारता से दान देने में जड़वत जीवन l नीतिवचन 11:28 में ऐसा कहा गया है : “जो अपने धन पर भरोसा रखता है वह गिर जाता है, परन्तु धर्मी लोग नए पत्ते के समान लहलहाते हैं l”

कितनी खुबसूरत तस्वीर! दो तरीके का जीवन : एक फलता-फलता, दूसरा खोखला और फलहीन l संसार जोर देता है कि भौतिक अधिकता बराबर “अच्छा जीवन l” इसकी तुलना में, परमेश्वर हमें उसमें जड़वत होने, उसकी भलाई का अनुभव करने और उन्नति करते हुए फलवंत होने के लिए आमंत्रित करता है l और जब हम उसके साथ अपने सम्बन्ध के द्वारा गढ़े जाते है, परमेश्वर हमारे हृदयों और इच्छाओं को पुनः आकार देते हुए, हमें अन्दर से बाहर रूपांतरित करता है l

नवीकृत सामर्थ्य

एक मनोचिकित्सक ने एक बार उन लोगों में एक नमूना(pattern) देखा जो दूसरों की सेवा करते समय हिम्मत हार जाते हैं l पहली चेतावनी संकेत थकावट है l इसके बाद स्थिति कभी नहीं सुधरेगी के विषय चिड़चिड़ापन आता है, उसके बाद कड़वाहट, निराशा, अवसाद, और अंततः हिम्मत हार जाना l

टूटे सपनों से उबरने के बारे में एक किताब लिखने के बाद, मैं सम्मेलन में भाषण देने के एक व्यस्त काल में प्रवेश किया l निराशा के बाद भी लोगों को आशा पाने में मदद करना बड़े पैमाने पर लाभदायक था, लेकिन यह कीमत देने पर मिला l एक दिन, मंच पर कदम रखते समय, मुझे लगा जैसे मैं बेहोश हो जाऊँगा l मैं अच्छी तरह से सोया नहीं था, एक छुट्टी ने मुझे थकान से बाहर नहीं निकाला था, और दूसरे व्यक्ति की समस्याओं को सुनने के विचार ने बाद में मुझे भय से भर दिया l मनोचिकित्सक ने जिस नमूने का वर्णन किया था मैं उसी का अनुसरण कर रहा था l

पवित्रशास्त्र हिम्मत हारने की स्थिति पर जय प्राप्त करने के लिए दो रणनीतियाँ बताता है l यशायाह 40 में, थकी हुई आत्मा नवीकृत होती है जब वह प्रभु में आशा रखती है (पद.29-31) मुझे परमेश्वर में विश्राम करने की ज़रूरत थी, अपनी घटती ताकत से बल लगाने की बजाए काम करने के लिए उस पर निर्भर होना था l और भजन 103 कहता है कि परमेश्वर हमारी लालसाओं को उत्तम पदार्थों से तृप्त करता है (पद.5) l जबकि इसमें क्षमा और छुटकारा शामिल है (पद.3-4), आनंद का प्रावधान और अच्छा समय भी उसी की ओर से आते हैं l जब मैंने अपने दिनचर्या को पुनः ठीक करके उसमें अधिक प्रार्थना, विश्राम, और फोटोग्राफी की तरह के  शौक शामिल किये, मैं फिर से स्वस्थ्य महसूस करने लगा l

हार मान लेना थकान से आरम्भ होता है l इसे आगे बढ़ने से रोक दें l हम दूसरों की उत्तम सेवा तब करते हैं जब हमारे जीवन में आराधना और विश्राम दोनों होंगे l