एक स्त्री को मैं जानता हूँ जिसने एक स्थानीय पार्क में एक कार्यक्रम आयोजित की और पड़ोस के बच्चों को भाग लेने के लिए आमंत्रित किया l वह अपने पड़ोसियों के साथ अपने विश्वास को साझा करने के अवसर के विषय उत्तेजित थी l

उसने अपने तीन नाती-पोते और दो हाई स्कूल विद्यार्थियों को उसकी सहायता करने के लिए तैयार किया, उन्हें काम दिया, कई खेल और दूसरी गतिविधियों की योजना बनायी, भोजन तैयार किया, बच्चों को बताने के लिए यीशु के विषय बाइबल की एक कहानी तैयार की, और उनके इकट्ठे होने का इंतज़ार किया l

पहले दिन एक भी बच्चा नहीं आया l या दूसरे दिन l या तीसरे दिन l फिर भी, हर दिन मेरे मित्र ने अपने नाती-पोते और सहयोगियों के साथ उस दिन की गतिविधियों को पूरा किया l

चौथे दिन, उसने एक परिवार को निकट ही पिकनिक मानते देखा और बच्चों को खेल में भाग लेने के लिए आमंत्रित की l एक छोटी लड़की आई, आनंद में भाग ली, उनके साथ भोजन की, और यीशु के विषय कहानी सुनी l शायद अभी से सालों बाद वह उसे याद करेगी l किसे मालुम है कि परिणाम क्या होगा? परमेश्वर, गलतियों की किताब से, हमें उत्साहित करता है, “हम भले काम करने में साहस न छोड़े, क्योंकि यदि हम ढीले न हों तो ठीक समय पर कटनी काटेंगे l इसलिए जहां तक अवसर मिले हम सब के साथ भलाई करे” (6:9-10) l

संख्या अथवा सफलता के दृश्य मानकों की चिंता न करें l हमारा काम है कि वह हमें जो काम देता है उसके प्रति विश्वासयोग्य रहें और फिर परिणाम उस पर छोड़ दें l परमेश्वर परिणाम निर्धारित करता है l