अपनी माँ शारोंडा की दुखद मृत्यु के चौबीस घंटे के भीतर, क्रिस ने खुद को इन शक्तिशाली, अनुग्रह से भरे शब्दों का उच्चारण करते हुए पाया : “प्यार नफरत से ज्यादा मजबूत है ।” उसकी माँ, आठ अन्य लोगों के साथ, अमेरिका के दक्षिण कैरोलिना के चार्ल्सटन में बुधवार रात बाइबिल अध्ययन के समय मारी गयी थी । ऐसा क्या था जिसने इस किशोर के जीवन को इतना आकार दिया कि ये शब्द उसके होठों और उसके दिल से बह सके? क्रिस यीशु में एक विश्वासी है जिसकी माँ ने “हर किसी से पूरे दिल से प्यार किया था l”

लूका 23:26-49 में हमें सामने वाली पंक्ति से एक मृत्यु देने का दृश्य मिलता है जिसमें दो अपराधी और निर्दोष यीशु (पद.32) शामिल थे । तीनों को क्रूस पर चढ़ाया गया (पद.33) l  क्रूस पर टंगे हुओं से हांफने और आहें भरने और संभावित कराहों के बीच, यीशु के निम्नलिखित शब्दों को सुना जा सकता था : “हे पिता, इन्हें क्षमा कर, क्योंकि ये जानते नहीं कि क्या कर रहे हैं” (लूका 23:34) l धर्मगुरुओं की घृणा से भरी पहल का नतीजा प्रेम के हिमायती को क्रूसित किया जाना था l यद्यपि वेदना में, यीशु का प्यार विजयी होता गया l

आप या आप जिसे प्यार करते हैं, किस तरह नफरत, बुरी इच्छा, कड़वाहट या कुरूपता का निशाना बने हैं? काश आपकी पीड़ा आपकी प्रार्थनाओं को प्रेरित करे, और यीशु का उदाहरण और क्रिस जैसे लोग आपको नफरत पर प्यार का चयन करने के लिए आत्मा की शक्ति से प्रोत्साहित करें ।