माह: अक्टूबर 2020

आपके पड़ोस में मसीह

अपने चर्च के पास कम आय वाले क्षेत्र से होकर गाड़ी से जाते हुए, एक पास्टर ने अपने "पड़ोसियों" के लिए प्रार्थना करना शुरू कर दिया । एक दिन उसने देखा कि एक आदमी सड़क पर पड़ा हुआ है, वह देखने के लिए रुक गया और उसके लिए प्रार्थना की जब उसे पता चला कि उसने एक दो दिनों से खाना नहीं खाया है । इस शख्स ने पास्टर से खाने के लिए कुछ रुपये मांगे, इससे बेघर लोगों के बीच एक आउटरीच(सुसमाचार सेवा) कार्यक्रम प्रारंभ हुआ l चर्च द्वारा प्रायोजित, सदस्यों ने भोजन पकाया और उन्हें अपने चर्च में और उसके आस पास दिन में दो बार बेघरों को वितरित किया । वे उन्हें समय-समय पर चर्च में लाते हैं और उनके लिए प्रार्थना करते हैं और उन्हें कामों में मदद करते हैं ।

उनका पड़ोस का आउटरीच(सुसमाचार सेवा), जो बेघरों को शामिल करने की हिम्मत करता है, अपने शिष्यों को यीशु के महान आदेश को दर्शाता है । जैसा कि उसने कहा, “स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है l इसलिए तुम जाओ, सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ; और उन्हें पिता, और पुत्र, और पवित्र आत्मा के नाम से बप्तिस्मा दो” (मत्ती 28:18-19) l

उनकी पवित्र आत्मा की शक्तिशाली उपस्थिति बेघर सहित "हर जगह" आउटरीच(सुसमाचार सेवा) को सक्षम बनाती है । वास्तव में, हम अकेले नहीं जाते हैं । जैसा कि यीशु ने वादा किया था, "मैं  जगत के अंत तक सदा तुम्हारे संग हूँ” (पद.20) l

इस पास्टर ने सड़क पर एक बेघर आदमी के साथ प्रार्थना करने के बाद उस सच्चाई का अनुभव किया । जैसा कि पास्टर ने बताया, "जब हमने अपने दिल खोल दिए, तो मंडली के हर सदस्य ने हमसे हाथ मिलाया ।" उन्होंने कहा कि इन लोगों पर प्रभाव सबसे पवित्र क्षणों में से एक था जिसे उन्होंने एक पास्टर के रूप में अनुभव किया था ।

सीख? आइए मसीह की घोषणा करने के लिए हर जगह जाएं ।

संसार में क्या गड़बड़ी है?

किसी से सुनी हुई एक कहानी है कि लंदन टाइम्स ने बीसवीं सदी के मोड़ पर पाठकों से एक सवाल किया । संसार में क्या गड़बड़ी है?

यह काफी अहम् सवाल है, क्या यह नहीं है? कोई जल्दी से जवाब दे सकता है, "ठीक है, मेरे पास आपको बताने के लिए कितना समय है?" और यह उचित होगा, क्योंकि ऐसा लगता है कि हमारी दुनिया के साथ बहुत कुछ गलत है । जैसे ही कहानी आगे बढ़ती है, द टाइम्स को कई प्रतिक्रियाएँ मिलती हैं, लेकिन विशेष रूप से एक ही अपनी संक्षिप्त प्रतिभा में धीरज धरा है । अंग्रेजी लेखक, कवि और दार्शनिक जी. के. चेस्टरटन ने इन चार शब्दों की प्रतिक्रिया के साथ, दूसरे पर आरोप मढ़ने के विपरीत एक तरोताजा आश्चर्य प्रगट किया : “प्रिय महोदय, मैं हूँ l”

कहानी तथ्यात्मक है या नहीं, बहस के लिए तैयार है । लेकिन वह प्रतिक्रिया? यह सच है इसके आलावा कुछ नहीं l चेस्टरटन के आने से बहुत पहले, पौलुस नाम का एक प्रेरित था । एक आजीवन मॉडल नागरिक से दूर, पौलुस ने अपनी पिछली कमियों को कबूल किया : “मैं तो पहले निंदा करनेवाला, और सतानेवाला, और अंधेर करनेवाला था” (पद.13) । यह बताने के बाद कि यीशु किसको (“पापी”) बचाने आया, वह आगे बढ़कर एक घोषणा करता है : “जिनमें सबसे बड़ा मैं हूँ”(v.15) । पौलुस को ठीक-ठीक पता था कि संसार में क्या गड़बड़ी है । और वह आगे भी चीजों को सही बनाने की एकमात्र आशा जानता था - "हमारे प्रभु का अनुग्रह" (पद.14) । क्या अद्भुत वास्तविकता है! यह स्थायी सत्य हमारी आँखों को मसीह के प्रेम के प्रकाश की ओर ले जाता है ।

सुनहरे दाग़

नीदरलैंड में, फैशन डिजाइनरों का एक समूह "सुनहरा काष्ठकर्म/Golden Joinery” कार्यशाला प्रदान करता है । जापानी तकनीक किन्त्सुगी/Kintsugi से प्रेरित, जहां टूटे हुए चीनी मिट्टी के बरतन को सोने के साथ मरम्मत की जाती है, प्रतिभागी कपड़ों को उन तरीकों से जोड़ने में सहयोग करते हैं, जो इसे छिपाने की कोशिश करने के बजाय मरम्मत के कार्य को विशिष्टता/हाईलाइट प्रदान करती है l जिन्हें आमंत्रित किया जाता है, वे "एक प्रिय लेकिन फटे  हुए परिधान को लाते हैं और उन्हें सोने से मरम्मत करते हैं l जब वे अपने कपड़ों को मरम्मत कर देते हैं, वह मरम्मत सजावटी हो जाती है, "सुनहरा दाग़ ।"

कपड़े उन तरीकों से रूपांतरित होते हैं जो उन जगहों को उजागर करते हैं जहां वे फटे या घिसे हुए थे । शायद यह कुछ ऐसा ही है जैसा कि पौलुस का मतलब था जब उसने कहा कि वह अपनी कमजोरी दिखाने वाली चीजों में "घमंड" करता है । हालाँकि उसे "प्रकाशनों की बहुतायत”  का अनुभव था, लेकिन वह उनके बारे में डींग नहीं मारता था (2 कुरिन्थियों 12: 6) । वह कहता है, उसके “शरीर में एक काँटा चुभाया गया है” जिससे वह गर्व और अति आत्मविश्वास से बचाया जाता है (पद.7) l कोई नहीं जानता कि वह वास्तव में क्या कह रहा था - शायद अवसाद, मलेरिया का एक रूप, दुश्मनों से उत्पीड़न, या कुछ और । जो कुछ भी था, उसने परमेश्वर से इसे दूर करने के लिए विनती की । लेकिन परमेश्वर ने कहा, “मेरा अनुग्रह तेरे लिए बहुत है; क्योंकि मेरी सामर्थ्य निर्बलता में सिद्ध होती है” (पड़.9) l

जिस तरह पुराने कपड़ों में चीरा और फटन ख़ूबसूरती की जगहें बन सकते हैं, जब वे डिजाइनरों द्वारा पुनः बना दिए जाते हैं, हमारे जीवन में टूटी हुई और कमजोर जगह वे स्थान बन सकते हैं जहां परमेश्वर की शक्ति और महिमा चमक सकती है । वह हमें एक साथ रखता है, हमें बदल देता है, और हमारी कमजोरियों को सुंदर बनाता है ।

नफरत से मजबूत

अपनी माँ शारोंडा की दुखद मृत्यु के चौबीस घंटे के भीतर, क्रिस ने खुद को इन शक्तिशाली, अनुग्रह से भरे शब्दों का उच्चारण करते हुए पाया : "प्यार नफरत से ज्यादा मजबूत है ।" उसकी माँ, आठ अन्य लोगों के साथ, अमेरिका के दक्षिण कैरोलिना के चार्ल्सटन में बुधवार रात बाइबिल अध्ययन के समय मारी गयी थी । ऐसा क्या था जिसने इस किशोर के जीवन को इतना आकार दिया कि ये शब्द उसके होठों और उसके दिल से बह सके? क्रिस यीशु में एक विश्वासी है जिसकी माँ ने "हर किसी से पूरे दिल से प्यार किया था l”

लूका 23:26-49 में हमें सामने वाली पंक्ति से एक मृत्यु देने का दृश्य मिलता है जिसमें दो अपराधी और निर्दोष यीशु (पद.32) शामिल थे । तीनों को क्रूस पर चढ़ाया गया (पद.33) l  क्रूस पर टंगे हुओं से हांफने और आहें भरने और संभावित कराहों के बीच, यीशु के निम्नलिखित शब्दों को सुना जा सकता था : “हे पिता, इन्हें क्षमा कर, क्योंकि ये जानते नहीं कि क्या कर रहे हैं” (लूका 23:34) l धर्मगुरुओं की घृणा से भरी पहल का नतीजा प्रेम के हिमायती को क्रूसित किया जाना था l यद्यपि वेदना में, यीशु का प्यार विजयी होता गया l

आप या आप जिसे प्यार करते हैं, किस तरह नफरत, बुरी इच्छा, कड़वाहट या कुरूपता का निशाना बने हैं? काश आपकी पीड़ा आपकी प्रार्थनाओं को प्रेरित करे, और यीशु का उदाहरण और क्रिस जैसे लोग आपको नफरत पर प्यार का चयन करने के लिए आत्मा की शक्ति से प्रोत्साहित करें ।